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ठगी का अंतरराज्यीय गिरोह: पेट्रोल पंप डीलर चयन नाम से वेबसाइट बनाकर करते थे हेराफेरी

locationभोपालPublished: Jul 16, 2019 11:25:12 am

साइबर पुलिस ने बिहार से संचालित गिरोह ( CYBER CRIME Gang ) के दो ठगों को किया गिरफ्तार, 70 लाख रुपए की ठगी ( CYBER CRIME ) कबूली…

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ठगी का अंतरराज्यीय गिरोह: पेट्रोल पंप डीलर चयन नाम से वेबसाइट बनाकर करते थे हेराफेरी

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की साइबर पुलिस ने एक अंतरराज्यीय गिरोह का भांड़ाफोड़ किया है। यह लोग फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों से ठगी ( cyber crime ) किया करते थे। इस कार्रवाई में साइबर पुलिस ने अलग-अलग फर्जी वेबसाइट बनाकर आम लोगों को ठगी का शिकार बनाने वाले दो ठगों को गिरफ्तार किया है।
जांच में पता चला है कि गाजियाबाद उप्र के कोशांबी निवासी वरुण कुमार मिश्रा और पठानवाड़ी मलाड ईस्ट मुंबई निवासी मोहम्मद अनवर खान ने पेट्रोल पंप डीलर चयन नामक एक वेबसाइट बनाकर लोगों को ठगना शुरू किया। अब तक इन्होंने 70 लाख रुपए की ठगी ( CYBER CRIME ) करना कबूल किया है। भोपाल निवासी संजय मीणा से भी 15.32 लाख रुपए ठगे थे।
इन्होंने राष्ट्रीयकृत बैंकों में भी पेट्रोल पंप डीलर चयन नाम से खाते खुलवाकर निजी खातों में पैसे ट्रांसफर किए हैं। साइबर पुलिस के स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह गिरोह मप्र, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, उप्र सहित अन्य राज्यों में संगठित रूप से लोगों को ठग रहा था।
शिकायत मिलने पर इसकी जांच की तो पता चला कि इन्होंने अलग-अलग नाम से 22 वेबसाइट बनाकर कई तरह से ठगी के तरीके ईजाद कर रखे थे। इसकी जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया हैं, जो जांच करेगी।
चार राज्यों के राष्ट्रीयकृत बैंक में खाते
ठगों द्वारा रकम वसूलने के लिए राष्ट्रीयकृत बैंकों का इस्तेमाल किया गया। बैंगलुरु, कर्नाटक, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में इनके अलग-अलग खाते मिले हैं। इनसे कई अन्य खातों में पैसे ट्रांसफर किए जाने से बैंकों की भूमिका भी संदेहास्पद बताई जा रही है।
पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि बैंकों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता। बड़ी कंपनियों से मिलते-जुलते फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों को गुमराह किया जाता था।

रजिस्ट्रेशन के माध्यम से आम व्यक्ति की जानकारी हासिल कर उसे इस तरह इंटरटेन किया जाता था, जैसे उसे पेट्रोल पंप आवंटित हो चुका है। इससे झांसे में आकर लोग पैसे जमा कर देते थे। वरुण ने 16 और मोहम्मद अनवर खान ने 22 ऐसे वेब पोर्टल डिजाइन किए जो मूल कंपनियों से मिलते-जुलते हों और उन्हीं के जरिए ठगी की गई।
ऐसे करते थे ठगी
गूगल एडवर्ड की मदद से फर्जी वेबसाइट बनाकर मूल कंपनी की डीलरशिप आदि का लालच दिया जाता था। आम व्यक्ति इस फर्जी साइट को ही सही समझने लगता था। फोन कॉल करने के लिए फर्जी सिम कार्ड और नाम पतों का उपयोग किया जाता था। आवंटन का झांसा देकर रजिस्ट्रेशन, एनओसी, सिक्योरिटी, जीएसटी, इंश्योरेंस, डॉक्यूमेंटेशन, प्रोसेस, लाइसेंस फीस आदि के नाम से पैसे एडवांस में खातों में जमा करवा लिया जाता था।
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