प्रारंभिक दौर में ही काफी सफर रहा। करीब 1800 किमी की यात्रा साइकिल से की थी। तब वाहन की बजाय साइकिल अपनाने के लिए लोगों को बताना मुद्दा रखा था। रास्ते में कई तरह की परेशानियां भी देखी। लोगों की समस्याओं को भी सुना। इन्हें आगे तक पहुंचाने का वे जरिया भी बने। स्वच्छता, पर्यावरण बचाने और पॉलिथिन मुक्त भारत के लिए भी काम किया जा रहा है।
अंतिम संस्कार में लकड़ियां खर्च न हों इसलिए देहदान
अशोक बताते हैं अंतिम संस्कार में लकड़ियों की जरूरत होगी। पेड़ काटने पड़ेंगे। ये बताते हैं कि इसे बचाने के लिए देहदान को दान कर दिया है। शरीर के अंग और देह मरने के बाद काम आ सकते हैं।
डिफेंस में नौकरी
ये बताते हैं कि डिफेंस (Defense) में नौकरी के बाद साइकिल के जरिए यात्राओं को ही एकमात्र लक्ष्य रखा। शहर के आसपास हर हफ्ते साइकिल से यात्रा कर गांवों तक पहुंच रहे हैं। इस दौरान लोगों को मदद भी पहुंचाई जाती है। कई जगह अगर बाधाएं मिलती हैं तो रुककर उसे हटाया भी जाता है।