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दूध कारोबार में तीसरे नंबर पर MP – इस एक्ट से किसानों को सरकार पहुंचाएगी फायदा

locationभोपालPublished: Oct 13, 2019 10:56:36 am

Submitted by:

Arun Tiwari

– प्रदेश में है दूध का बड़ा कारोबार- देश में तीसरे नंबर पर मध्यप्रदेश
– प्राइवेट सेक्टर पर नहीं है सरकार का नियंत्रण- दूध के कारोबार में दस फीसदी भी नहीं सांची की हिस्सेदारी
 
 

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दूध

भोपाल : पशुपालकों और लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार प्रदेश में होने वाले दूध के पूरे कारोबार को अलग कानून के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। प्राइवेट सेक्टर पर नियंत्रण और निगरानी के लिए प्रदेश स्तर पर रेग्युलेटरी एक्ट बनाने पर विचार किया जा रहा है। इससे गाय पालने वाले किसानों और उपभोक्ताओं को सीधा लाभ पहुंचेगा। दूध का निश्चित दाम तय करने से किसानों को समय पर दूध की सही कीमत मिलेगी तो लोगों को भी उचित मूल्य के साथ शुद्धता की गारंटी दी जाएगी। दुग्ध उत्पादन के मामले में प्रदेश का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। सरकारी दावों के मुताबिक देश में तीसरे नंबर पर मध्यप्रदेश आता है। दुग्ध उत्पादन बढऩे से यहां प्राइवेट सेक्टर का बड़ा कारोबार हो गया है। सरकारी स्तर पर सहकारी संघ के जरिए जो दूध इक_ा किया जाता है वो प्रदेश के कुल दुग्ध उत्पादन का दस फीसदी भी नहीं है। प्रदेश में मिलावट के बड़े खुलासे के बाद सरकार ने इस संबंध में तेजी से विचार करना शुरु कर दिया है। दूध लोगों की बुनियादी जरुरत और बच्चों की जीवन रेखा माना जाता है, इसीलिए सरकार इसकी पूरी निगरानी और नियंत्रण की तैयारी कर रही है।
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प्रदेश में दूध का इतना कारोबार :
सरकार किसानों की सहकारी समितियों के जरिए दूध इक_ा करती है। यह काम सहकारिता के तहत डेयरी फेडरेशन करता है। फेडरेशन सांची के नाम से दूध या उसके उत्पाद बेचता है। प्रदेश में भोपाल,इंदौर,जबलपुर,ग्वालियर और बुंदेलखंड दुग्ध संघ हैं जो ग्रामीण प्राथमिक दुग्ध सहकारी समितियों से दूध लेते हैं,ये समितियां किसानों और पशुपालकों से दूध इक_ा करती हैं। प्रदेश में ४६९८ सहकारी समितियां हैं जिनसे २ लाख ५७ हजार ४१८ किसान जुड़े हैं। इन किसानों से प्रतिदिन १० लाख १० हजार ८८८ किलो दूध इक_ा होता है,जबकि ७ लाख ४० हजार २७१ किलो दूध का विक्रय होता है। बाकी से दुग्ध उत्पाद तैयार होते हैं। प्रदेश में दूध का कुल उत्पादन १५० लाख लीटर से ज्यादा है। जो कि प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां जैसे अमूल,मदर डेरी और सौरभ जैसी कंपनियां करती हैं। प्रदेश में दूध के कुल उत्पादन में सांची की हिस्सेदारी दस फीसदी भी नहीं है। यानी प्राइवेट सेक्टर की कंपिनयों की प्रदेश के उन गांवों तक पहुंच है जहां तक सरकार नहीं पहुंच पाती है।
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कानून के बाद ये होगा असर :

– दूध के दाम निर्धारित होने से किसानों को दूध का पूरा और उचित मूल्य मिलेगा,इतना ही नहीं पैसा भी समय पर मिलेगा। अभी देखने में ये आता है कि निजी क्षेत्र की कंपनियां किसानों से दूध तो ले लेती हैं लेकिन पैसे देने में देरी लगाती हैं,कई बार दूध में कमी निकालकर पैसे काटकर देती हैं।
– दूध और दुग्ध उत्पादों में शुद्धता की गारंटी रहेगी। निजी कंपनियां लोगों से दुग्ध उत्पादों के मनमाने दाम नहीं वसूल पाएंगी।

– ये निगरानी भी की जा सकेगी कि उत्पादों के लिए जितने दूध की आवश्कता है क्या उतने दूध से ही वे उत्पाद तैयार हो रहे हैं। कहां से कितना दूध ले रहे हैं और क्या बना रहे हेैं।
– निजी डेयरी संचालकों को निर्धारित मानकों का पालन करना पड़ेगा।

– प्राइवेट सेक्टर की निगरानी के साथ ही उन पर सरकार का पूरा नियंत्रण भी रहेगा।

– निजी क्षेत्रों की टेक्नोलॉजी और पैटर्न के आधार पर सांची को निजी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जा सकेगा।
– सांची के लिए मिल्क रुट बढ़ाया जाएगा
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वर्जन :
– प्रदेश में दुग्ध कारोबार को देखते हुए सरकार रेग्युलेटरी एक्ट बनाने पर विचार कर रही है। लोगों को सही कीमत पर शुद्ध दूध मिले और किसानों को उनके उत्पादन का उचित दाम मिले,इसके लिए प्राइवेट सेक्टर की निगरानी और उस पर नियंत्रण जरुरी है। सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है।
– लाखन सिंह यादव पशुपालन मंत्री –
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– दूध के बढ़ते कारोबार को देखते हुए ये जरुरी है कि सांची भी निजी क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धा में बढ़ सके। इसके लिए सरकार को कानून के साथ-साथ प्रोफेशनल एटीट्यूट भी अपनाना होगा। निजी क्षेत्रों की निगरानी से सरकार उनके तौर तरीके और बिजनेस मॉडल सीख पाएगी।
– सुभाष चंद्र मांडगे डेयरी विशेषज्ञ –
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