scriptअभी से प्रदेश के बांधों का ये हाल, हे! राम | dams drought in MP, thirst will be big political issue | Patrika News

अभी से प्रदेश के बांधों का ये हाल, हे! राम

locationभोपालPublished: Apr 09, 2018 12:17:53 pm

Submitted by:

dinesh Binole

चुनावी साल में सरकार के लिए बन सकता है परेशानी का सबब, पड़ोसी राज्यों का पानी देने का दबाव, चुनाव के कारण सरकार के ठिठके कदम

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केंद्रीय जल आयोग ने मॉनिटरिंग रिपोर्ट में प्रदेश में भीषण जल संकट का संकेत दिया है।

भोपाल. प्रदेश में बांधों का जलस्तर 10 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। नर्मदा और उसकी सहायक नदियों के जल प्रवाह में 8 फीसदी कमी आई है। इससे बांधों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। सरदार सरोवर का जल शून्य स्तर पर आ टिका है, वहीं चम्बल नदी के गांधी सागर में 18 फीसदी पानी बचा है। पिछले साल इसमें 59 प्रतिशत पानी था। इस भयावह स्थिति से प्रदेश में बड़ा जल संकट खड़ा हो सकता है। यहां तक कि तीसरी फसल की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। पड़ोसी राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र ने भी पानी के लिए दबाव बना रखा है। चुनावी साल में यह प्रदेश सरकार के लिए मुसीबत बन सकता है।
केन-बेतवा प्रोजेक्ट अनुबंध से किनारा
केन-बेतवा विवाद सुलझाने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी दो बार उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की साझा बैठक ले चुके हैं, लेकिन ठोस बात नहीं बनी। दोनों राज्यों में नया अनुबंध होना है। चार महीने के बाद स्थिति जहां की तहां है। बाणसागर से पानी छोडऩे को लेकर भी दोनों राज्यों में विवाद है। दोनों जगह भाजपा की सरकारें होने से इसे टाल रही हैं।
मध्यप्रदेश-राजस्थान : छह दिन पहले पानी बंद
मध्यप्रदेश के गांधी सागर से 3900 क्यूसिक पानी राजस्थान को देने का अनुबंध है। इस बार प्रदेश ने छह दिन पहले ही 25 मार्च को पानी देना बंद कर दिया। अभी तक 2500 क्यूसिक पानी दिया है। इसके चलते राजस्थान भी यहां के श्योपुर, मुरैना और भिंड को कम पानी दे रहा है।
मध्यप्रदेश-गुजरात: एडवांस में ले लिया पूरा कोटा
गुजरात को जून तक 5500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देना था। गुजरात चुनाव के कारण उसने जनवरी से पहले ही एडवांस में पानी का पूरा कोटा ले लिया। इसका असर अब बड़वानी और धार में भीषण जल संकट के रूप में दिख रहा है। गुजरात ने और पानी लेने का दबाव बना रखा है, लेकिन मध्यप्रदेश ने इनकार कर दिया।
 मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र : थमा नहीं विवाद 
महाराष्ट्र को पेंच व कन्हान नदी पर माचागोरा बांध बनने से पानी कम मिल रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी दोनों राज्यों के साथ दो बार बैठक कर चुके हैं। अनुबंध के तहत महाराष्ट्र को 30 टीएमसी पानी मिलना था, जो उसके अनुसार नहीं मिल पा रहा है। विवाद बरकरार है।
जल आयोग की रिपोर्ट ने उड़ाई नींद

केंद्रीय जल आयोग ने मॉनिटरिंग रिपोर्ट में प्रदेश में भीषण जल संकट का संकेत दिया है। इसके मुताबिक, प्रदेश में ज्यादा मुश्किल में नर्मदा और उसकी सहायक नदियों में बने बांध हैं। सरदार सरोवर के अलावा इंदिरा सागर में 24 फीसदी पानी बचा है। पिछले साल इसी समय 35 प्रतिशत पानी था। चम्बल नदी पर बने गांधीसागर बांध में 18 फीसदी पानी बचा है। पिछले साल इस अवधि में 59 फीसदी पानी का स्टोरेज था। बाणसागर बांध में महज 47 प्रतिशत पानी है, जबकि पिछली बार यह 63 फीसदी था। इस बांध से उत्तर प्रदेश और बिहार को पानी दिया जाता है।
जल बंटवारे को टाल रही सरकार
जल संकट को देखते हुए सरकार ने फिलहाल महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात से पानी बंटवारे की बातचीत टाल दी है। रबी की सिंचाई के लिए अधिक पानी देने का समय अक्टूबर 2018 में आएगा। नवंबर 2018 में प्रदेश में चुनाव हैं। संभावना है, चुनाव बाद ही कोई कदम उठाए जाएंगे।

किसी दूसरे राज्य से जल विवाद नहीं है। राजस्थान को मांग के हिसाब से पानी दिया है।
राधेश्याम जुलानिया, अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन विभाग, मप्र

गुजरात को तय मात्रा का पानी पहले ही दे चुके हैं। बड़वानी और धार में पनबिजली-घरों को पानी देने से दिक्कत आई है। यह एक-दो दिन की समस्या है।
रजनीश वैश, उपाध्यक्ष, नर्मदा घाटी

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