केन-बेतवा विवाद सुलझाने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी दो बार उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की साझा बैठक ले चुके हैं, लेकिन ठोस बात नहीं बनी। दोनों राज्यों में नया अनुबंध होना है। चार महीने के बाद स्थिति जहां की तहां है। बाणसागर से पानी छोडऩे को लेकर भी दोनों राज्यों में विवाद है। दोनों जगह भाजपा की सरकारें होने से इसे टाल रही हैं।
मध्यप्रदेश के गांधी सागर से 3900 क्यूसिक पानी राजस्थान को देने का अनुबंध है। इस बार प्रदेश ने छह दिन पहले ही 25 मार्च को पानी देना बंद कर दिया। अभी तक 2500 क्यूसिक पानी दिया है। इसके चलते राजस्थान भी यहां के श्योपुर, मुरैना और भिंड को कम पानी दे रहा है।
गुजरात को जून तक 5500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देना था। गुजरात चुनाव के कारण उसने जनवरी से पहले ही एडवांस में पानी का पूरा कोटा ले लिया। इसका असर अब बड़वानी और धार में भीषण जल संकट के रूप में दिख रहा है। गुजरात ने और पानी लेने का दबाव बना रखा है, लेकिन मध्यप्रदेश ने इनकार कर दिया।
महाराष्ट्र को पेंच व कन्हान नदी पर माचागोरा बांध बनने से पानी कम मिल रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी दोनों राज्यों के साथ दो बार बैठक कर चुके हैं। अनुबंध के तहत महाराष्ट्र को 30 टीएमसी पानी मिलना था, जो उसके अनुसार नहीं मिल पा रहा है। विवाद बरकरार है।
जल संकट को देखते हुए सरकार ने फिलहाल महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात से पानी बंटवारे की बातचीत टाल दी है। रबी की सिंचाई के लिए अधिक पानी देने का समय अक्टूबर 2018 में आएगा। नवंबर 2018 में प्रदेश में चुनाव हैं। संभावना है, चुनाव बाद ही कोई कदम उठाए जाएंगे।
किसी दूसरे राज्य से जल विवाद नहीं है। राजस्थान को मांग के हिसाब से पानी दिया है।
राधेश्याम जुलानिया, अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन विभाग, मप्र
गुजरात को तय मात्रा का पानी पहले ही दे चुके हैं। बड़वानी और धार में पनबिजली-घरों को पानी देने से दिक्कत आई है। यह एक-दो दिन की समस्या है।
रजनीश वैश, उपाध्यक्ष, नर्मदा घाटी