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प्रदेश का पहला तो देश का सातवां मामला, पीड़ित महिला की तलाशी जा रही कॉन्टेक्ट हिस्ट्री

locationभोपालPublished: Jun 17, 2021 11:50:50 am

Submitted by:

Ashtha Awasthi

कोविड-19 के म्यूटेशन और वैरिएंट की मौजूदगी जानने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही है…..

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coronavirus variant

भोपाल। राजधानी भोपाल में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट का मरीज मिला है। यह प्रदेश का पहला तो देश का सातवां मामला है। अब पीड़ित महिला की कॉन्टेक्ट हिस्ट्री तलाशी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, कोविड-19 के म्यूटेशन और वैरिएंट की मौजूदगी जानने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही है। इसमें भोपाल के बरखेड़ा पठानी में रहने वाली 65 साल की महिला में डेल्टा प्लस वैरिएंट पाया गया है। देश में इससे पहले 7 जून तक डेल्टा प्लस वैरिएंट के 6 केस सामने आ चुके हैं।

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पीड़ित ने बताया कि वह और मां कोविड निगेटिव हो चुके हैं। बुधवार को पता चला कि मां में वायरस का नया वैरिएंट पाया गया है। उसकी तबीयत ठीक है। बेटे ने कॉन्टेक्ट हिस्ट्री से इनकार किया है। सवाल उठता है कि आखिर महिला इस वैरिएंट की चपेट में आई कैसे।

घर में हैं बहुत चमगादड़

बेटे का कहना कि उनके घर में चमगादड़ बहुत है। ये कई बार बिस्तर पर भी आ जाती है। आंगन में उनकी बीट और उनके खाए हुए जामून बिखर रहते हैं। बता दें कि ‘डेल्टा प्लस’ प्रकार, डेल्टा या ‘बी1.617.2′ का अपग्रेड वायरस है। इसकी पहचान भारत में हुई थी। दूसरी लहर के लिए इसे ही जिम्मेदार माना गया था।

 

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विशेषज्ञों का कहना है कि चिंता की बात नहीं है। देश में डेल्टा प्लस का सीधे तौर पर इन्फेक्शन कम है। पहला मामला मिलने के बाद इसे इंडियन वैरिएंट कहा जाने लगा था। इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी। बवाल के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैरिएंट के नाम ग्रीक अल्फाबेट्स के आधार पर रखने शुरू कर दिए थे। डब्ल्यूएचओ ने इसे डेल्टा नाम दिया।

वैक्सीन के बाद भी हमला करेगा?

नए वैरिएंट पर वैक्सीनेशन कितना प्रभावी है, इसे लेकर अब तक कोई स्पष्ट रिपोर्ट नहीं है। हालांकि महिला मरीज के बेटे का कहना है कि मां ने दोनों टीके लगवा लिए हैं इसलिए शायद वह नए वैरिएंट मिलने के बावजूद सामान्य ही हैं।

क्या इसकी अभी कोई दवा है?

मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल नई दवा है, जो कोरोना के इलाज में प्रयोग की जाती है। हाल ही में इसे देश में उपयोग करने की स्वीकृति मिली है। हालांकि इसका उपयोग तब ही किया जाता है, जब मरीज की हालत बेहद गंभीर हो।

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