प्रदेश की राजधानी भोपाल में अश्व प्रजाति के पशु यानि घोड़े, गधे और खच्चर के सार्वजनिक उपयोग पर प्रतिबंध लगा हुआ है. इन पशुओं में ग्लैंडर्स बीमारी के कारण यह प्रतिबंध लगा है. ग्लैंडर्स बीमारी बैक्टीरिया से होती है जोकि एक ही बर्तन में पानी पीने, एक साथ खाने, छींकने या खांसने की वजह से एक से दूसरे पशु में फैलती है.

पशु चिकित्सकों के अनुसार जिस क्षेत्र में प्रभावित पशु मिलता है, वहां से पांच किमी के दायरे में आने वाले सभी पशुओं के सेंपल लिए जाते हैं. इसके अलावा 5 से 10 किमी के दायरे में 20 से 30 और 10 से 15 किमी के दायरे में आने वाले अश्व प्रजाति के पशुओं के लगभग 20 सैंपल लिए जाते हैं. जानवरों से यह बीमारी इंसानों में आने की आशंका रहती है, इसलिए इनके सार्वजनिक उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाता है.
प्रभावित पशुओं में बुखार, नाक बहने, छींक आने के लक्षण दिखाई देते हैं. इसकी पुष्टि खून की जांच से की जाती है. लगातार तीन महीने तक नया मामला नहीं आने के बाद प्रतिबंध हटाने का भी नियम है. नया मामला पता करने के लिए हर महीने सेंपल लेकर जांच के लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार भेजे जाते हैं। जनवरी और फरवरी में भेजे गए सैंपलों की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई। इनमें ग्लैंडर्स की पुष्टि नहीं हुई तो मार्च में यह प्रतिबंध हटाया जा सकता है.