मनोचिकित्सकों, एक्सपर्ट और डाक्टर्स की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में मानसिक बीमारियां 40 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। मानसिक रोगों के इलाज में क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट्स की बड़ी अहम भूमिका रहती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि हर चौथे व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य काउंसिलिंग की जरूरत है।
इसे देखते हुए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी जिला अस्पतालों में मानसिक रोगियों को परामर्श देने के लिए क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट नियुक्त किए जा रहे हैं। अभी प्रदेश के सिर्फ चार अस्पतालों में ही यह सुविधा है। अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मप्र इकाई ने शेष 47 अस्पतालों के लिए भी भर्ती प्रकिया शुरू की है। एनएचएम अधिकारियों का मानना है कि इससे मानसिक बीमारियों की पहचान की जा सकेगी और इन्हें कम करने में मदद मिलेगी।
मानसिक बीमारियों को ठीक करने में क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट का परामर्श सबसे महत्वपूर्ण होता है। वे मरीज की काउंसिलिंग कर बीमारी की असली वजह खोजते हैं। अलग-अलग तरह की साइकोथेरेपी की मदद से वे मरीज की गलत और भ्रामक सोच को दूर करते हैं।
ये हैं प्रमुख लक्षण
— बहुत उदास महसूस करना।
— शराब या नशीली चीजों का सेवन।
— अत्यधिक क्रोध आना।
— बिस्तर से उठने की इच्छा न होना
— नहाने जैसी डेली रुटीन की चीजें करना भी मुश्किल लगना
— लोगों से कटने यानि दूर रहने की इच्छा होना
— खुद से नफरत करना और अपने आप को खत्म कर लेने के विचार आना
— यह याद नहीं रहना कि आप आखिरी बार कब खुश थे