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मरम्मत के लिए सड़क खोदी तो निकलने लगी बड़ा तालाब की काली मिट्टी

locationभोपालPublished: Aug 10, 2019 01:28:15 am

Submitted by:

Sumeet Pandey

दाता कॉलोनी फ्लाईओवर भ्रष्टाचार-

flyover

मरम्मत के लिए सड़क खोदी तो निकलने लगी बड़ा तालाब की काली मिट्टी

भोपाल. सिंगारचोली से मुबारकपुर तक तैयार हो रहे 221 करोड़ रुपए के सिक्सलेन प्रोजेक्ट के अंतर्गत बने दाता कालोनी फ्लायओवर में अब भ्रष्टाचार के सबूत सामने आने लगे हैं। ब्रिज की सड़क की खुदाई के दौरान काली मिट्टी निकलने लगी है जबकि एनएचएआई और ठेका कंपनी सीडीएस इंफ्रा ने फिलिंग के लिए हार्ड मुरम यानी कोपरा का इस्तेमाल करने का दावा किया था। ब्रिज की मरम्मत के लिए इस मिट्टी को निकालकर इस बार कोपरा भरने की योजना है जिसके लिए स्थानीय और सीहोर की खदानों से अनुबंध किए जा रहे हैं। इससे साबित हो गया है कि दाता कॉलोनी सहित सिंगारचोली और गांधी नगर ब्रिज की रिटेनिंग वॉल में फिलिंग के लिए कोपरा यानी हार्ड मुरम की बजाए बड़ा तालाब गहरीकरण की खुदाई से निकली काली मिट्टी का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल हुआ है।
पत्रिका ने 5 अगस्त के अंक में एनएचएआई अफसरों और प्रायवेट कंस्ट्रक्शन के बीच साठगांठ से हुए इस भ्रष्टाचार पर विस्तृत खबर का प्रकाशन किया था। इधर सीडीएस इंफ्रा ने एनएचएआई के स्टेट हेड विवेक जायसवाल के उस बयान का खंडन किया है जिसमें जायसवाल ने ये दावा किया था कि उन्होंने गर्मियों में ही दाता कालोनी फ्लायओवर में खामियां पकड़ी थीं और दोबारा निर्माण के निर्देश सीडीएस इंफ्रा को दे दिए थे।
ठेका कंपनी के मैनेजर लंबी छुट्टी पर
सीडीएस इंफ्रा पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच कंपनी के मैनेजर प्रदीप राय लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। उन्होंने बताया कि वे व्यक्तिगत कारणों से छुट्टी पर हैं और कुछ दिनों बाद वापस भोपाल लौटेंगे। राय ने कहा कि एनएचएआई के अफसर अब पूरी जिम्मेदारी सीडीएस इंफ्रा पर डाल रहे हैं जबकि निगरानी के लिए प्रोजेक्ट डायरेक्टर और इंजीनियर विनाक्षी दहत को नियुक्ति दी गई थी। सीडीएस इंफ्रा ने ऐसे किसी निरीक्षण से भी इंकार किया जिसमें एनएचएआई हेड विवेक जायसवाल ने दाता कालोनी फ्लाईओवर दोबारा बनाने के निर्देश दिए थे।
कोपरा और काली मिट्टी का मिश्रण

कोपरा और काली मिट्टी के जरिए फ्लायओवर की रिटेनिंग वॉल में फिलिंग करने का सबसे बड़ा नुकसान ये हुआ कि काली मिट्टी के फूलने से दीवाल में चुने गए सीमेंटेड ब्लॉक खुलने लगे। विशेषज्ञों की राय में तालाब की काली मिट्टी पानी सोखती है और आकार में दोगुनी तक फैल जाती है। रिटेनिंग वॉल की फिलिंग में यदि केवल हार्ड मुरम (कोपरा) का इस्तेमाल किया जाता तो बारिश का पानी जाने के बाद भी कोई नुकसान नहीं होता। सिंगारचोली, दाता कालोनी और गांधी नगर फ्लायओवर की रिटेनिंग वॉल बनाने में लगभग 13 हजार डंपर कोपरा की जरूरत थी जबकि इतनी तादाद में भौंरी की किसी भी खदान से खुदाई हुई ही नहीं थी।
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