scriptडार्क नेट पर राजधानी के 1272 डेबिट-क्रेडिट कार्ड का डाटा मौजूद, हैकर बिटकाइन में कर रहे सौदा | Data of the capital's 1272 debit-credit card is present on the Dark Ne | Patrika News

डार्क नेट पर राजधानी के 1272 डेबिट-क्रेडिट कार्ड का डाटा मौजूद, हैकर बिटकाइन में कर रहे सौदा

locationभोपालPublished: Sep 03, 2018 08:26:12 am

Submitted by:

mudssair khan

कैश बैक के लालच में क्रेडिट और डेबिट कार्ड से भुगतान, आप अपने खाते कर रहे असुरक्षित

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डार्क नेट पर राजधानी के 1272 डेबिट-क्रेडिट कार्ड का डाटा मौजूद, हैकर बिटकाइन में कर रहे सौदा

भोपाल. एयर व रेल टिकट, बिजली बिल, मोबाइल रिचार्ज पर मिलने वाली छूट (कैश बैक) के लालच में आप अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड का सौदा कर रहे हैं। आपके डेबिट कार्ड की जानकारी हैकरों तक पहुंच रही है। वे डार्क नेट पर इनकी कीमत डॉलर्स में तय कर बिटकाइन में बेचते हंै।
भोपाल के 1272 और प्रदेश के 3 हजार डेबिट और क्रेडिट कार्ड डार्क नेट पर बिक रहे हैं। साइबर पुलिस की नजर इन हैकरों पर है, जो ऐसी ठगी को अंजाम दे रहे हैं। सायबर सेल ने सभी के कार्ड नंबर, नाम और एक्सपायरी डेट सहित डाटा निकालकर कार्ड जारी करने वाली बैंकों को इसकी जानकारी भेजी है।
इसे ऐसे समझें
एजेंट के ऑफर पर हम ऑनलाइन पेमेंट करते हैं, तो उसी समय इन हैकरों के पास हमारे कार्ड के संबंध में सारी जानकारी चली जाती है। वे अन्य हैकर्स को डाटा बेच देते हैं। फिर वे एक ऐप के माध्यम से खाते को हैक कर लेते हैं। हैक करने के बाद लोगों के खातों से लाखों रुपए निकाल लेते हैं।
खाते में जमा राशि से तय होती है कीमत
हैकर कार्ड को हैक कर उसकी डिटेल डार्क नेट पर डाल देते हैं। इसके बाद इसकी कीमत तय होती है। 6 से 10 डॉलर तक क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की जानकारी बिकती है। जिसके एकाउंट में अधिक राशि होगी, उसकी कीमत 10 डॉलर तक होगी। जिसके एकाउंट में रुपए कम होंगे, उसकी कीमत 6 डॉलर के आसपास रहेगी। डार्कनेट पर कीमत भले ही डॉलर में तय होती है, लेकिन रुपए का आदान-प्रदान बिटकाइन में होता है। ऐसे में साइबर पुलिस को ऐसे अंतरराष्ट्रीय गिरोह तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
चार अंकों से निकल जाती है पूरी जानकारी
इंदौर साइबर एसपी जितेंद्र सिंह ने बताया कि डार्क नेट पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड के चार अंक दिखते हैं। कीमत 6, 8 और 10 डॉलर तय रहती है। हैकर ऐप में चार अंकों का नंबर डाल देते हैं। इसके बाद कार्ड की डिटेल नंबर, नाम और एक्सपायरी डेट सहित अन्य डाटा हैकरों के पास जाता है। वे बिटकाइन में कार्ड को खरीद लेते हैं और इंटरनेशनल वेबसाइट के माध्यम से खाते से राशि निकाल लेते हैं। वेबसाइट में ओटीपी नंबर की भी जरूरत नहीं पड़ती है।
इंदौर की महिला को भी लालच देकर ठगा
दो दिन पहले भोपाल साइबर पुलिस ने एकाउंट हैक कर ऑनलाइन बिल पेमेंट करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया था। इंदौर की महिला सहायक प्रोफेसर की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की। महिला प्रोफेसर ने छूट के लालच में बिल जमा किया। हैकरों के पास उनके कार्ड की जानकारी पहुंची। उनके पास ओटीपी का मैसेज आया, लेकिन जब तक वे कुछ समझ पातीं तब तक दूसरा मैसेज खाते से रुपए निकलने का था। हैकरों ने इंटरनेशनल ऐप का उपयोग किया।
आप बिजली या मोबाइल पोस्टपेड बिल सर्विस प्रोवाइडर,एजेंट से जमा कराते हैं आपका डेटा सुरक्षित नहीं है। आमजन ऑनलाइन लेन-देन में मिलने वाले कमिशन के झांसे में न आएं। इससे आपका खाता खाली हो सकता है।
राजेश भदौरिया, एसपी साइबर क्राइम भोपाल
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