काफी समय बाद जब पिता को समझ आया कि बेटी की नियत मकान पर है, तो उन्होंने एसडीएम गोविंदपुरा मनोज वर्मा के यहां आवेदन देकर मदद मांगी। एसडीएम ने पहले दोनों पक्षों को बुलाया, इसके बाद बेटी की कई बार काउंसलिंग की तब कहीं जाकर वह मकान खाली करने पर राजी हुई। पिता ने बेटी को दूसरे मकान की चाबी सौंप दी, ताकि बेटी को कोई परेशानी न हो। इसके बाद भी बेटी की नियत बिगड़ गई।
आवेदक लाला राम मीना उम्र 74 वर्ष निवासी राजवंश कॉलोनी, करोंद ने एसडीएम गोविंदपुरा कार्यालय में आवेदन देकर बताया कि उनकी बेटी रुक्मिणी मीना जिसकी शादी हो चुकी है। कुछ समय पहले वह घर आई और बोली कि पति आए दिन मारपीट और झगड़ा करता है। जिस पर माता-पिता ने उसे घर में दूसरे माले पर रहने की इजाजत दे दी।
कुछ समय बाद दामाद भी आने लगा, बेटी और दामाद ने दूसरे माले पर कब्जा कर लिया। जब भी वे मकान खाली करने का बोलते तो दोनों परेशान करने लगे। जबकि भेल से रिटायर्ड लाला राम अपनी बेटी को एक मकान शिवानी होम्स बायपास पर दे चुके हैं जो खाली पड़ा है। इसके बाद भी बेटी पिता के घर में जबरन रहना चहती है, यही नहीं उनसे मासिक खर्चा भी लेती है।
न तारीख, न दलील, पिता के आवेदन पर ही बेटे ने दिया भरण पोषण…
एसडीएम गोविंदपुरा कार्यालय में एक और भरण पोषण का मामला सामने आया है, जिसमें पिता ने बेटे से भरण पोषण के तहत 10 हजार रुपए खर्चा मांगा था। एसडीएम मनोज वर्मा ने बेटे को नोटिस जारी किया तो बेटे ने पिता का आवेदन मांग कर उन्हें हर माह भरण पोषण देने का भरोसा दिलाया और एक माह का खर्चा भी दे दिया। ये पहला केस है जिसमें न तारीख न दलील और न सुनवाई हुई। आवेदन पर ही बेटे ने भरण पोषण दे दिया। एसडीएम ने केस को खारिज कर दिया। पिता से कहा कि भविष्य में कोई समस्या हो तो तत्काल बताएं।