scriptMP में यहां जर्जर जेल भवन में ही रहने को मजबूर बेटियां, नहीं मिला छात्रावास भवन | Daughters forced to live in jail building in INDIA MP | Patrika News

MP में यहां जर्जर जेल भवन में ही रहने को मजबूर बेटियां, नहीं मिला छात्रावास भवन

locationभोपालPublished: Aug 28, 2019 10:25:01 am

– शासन को नहीं बेटियों की चिंता…- छात्रावास भवन तक नहीं मिला यहां रहने को…- 10 से 14 वर्ष तक की रहती हैं 50 छात्राएं… – शासकीय गल्र्स स्कूल में कक्षा 6 से कक्षा 8 तक की कक्षाओं में पढ़ती हैं ये छात्राएं…

jail_bhawan
रायसेन। शासन बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे नारे तो दे देता है, मगर हकीकत ये है कि बेटियों की चिंता शासन को नहीं है। जी हां, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जिले के सिलवानी नगर के वार्ड नंबर 1 का पुराना जेल भवन। यहांं सालों से बालिका छात्रावास संचालित किया जा रहा है। यह जेल भवन बीस साल पहले बंद हो गया था, जिसे छात्रावास के लिए दिया गया है।
भवन जर्जर हो गया है, जिससे छात्राओं पर खतरा लगातार बना रहता है। जेल भवन में सर्व शिक्षा अभियान के तहत शासकीय बालिका उत्कृष्ट बालिका छात्रावास का संचालन किया जा रहा है, जिसमें 10 से 14 वर्ष तक की 50 छात्राएं रहती हैं। जो कि नगर के शासकीय गल्र्स स्कूल में कक्षा 6 से कक्षा 8 तक की कक्षाओं में पढ़ती हैं।
jail_bhawan jarjar
पुराने जेल भवन में शासकीय उत्कृष्ट बालिका छात्रावास का संचालन बीते कई सालों से किया जा रहा है। भवन के सामने एक बड़ा लोहे का गेट बना हुआ है। इसी गेट के बीच में एक छोटा गेट भी लगा है।
जेल के समय कैदियों के लिए लगाए गए गेट का उपयोग छात्राएं आने जाने के लिए करती हैं। यह भवन स्कूल से करीब एक किमी दूर है। जेल भवन के अंदर आज भी कैदियों के बैरक बने हुए हैं। इन्हीं बेरकों मे छात्राएं अपना सामान रखती हैं। जेलर के आवास में निवास करती हैं।
जर्जर हो गया भवन
गौरतलब है कि जेल भवन सालों पहले बना था, जिसका उपयोग बीस साल पहले ही बंद कर दिया गया था। मगर बाद में इसे छात्रावास के लिए दिया गया। पर अब यह भवन बुरी तरह जर्जर हो गया है। दीवारें गिरने लगी हैं। जिससे छात्राओं की जान पर खतरा बना रहता है।
प्रशासन छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। क्षतिग्रस्त दीवार से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। पूर्व में उक्त पुरानी जेल भवन में तीन बालिका छात्रावास का संचालन होता था। तीनों ही छात्रावास में दो सौ बालिकाएं निवास करती थीं, लेकिन वर्तमान में मात्र 50 सीट वाले एक मात्र छात्रावास का ही संचालन हो रहा है।

छात्राओं को दिक्कत नहीं
भवन बड़ा होने के साथ ही सर्वसुविधा युक्त भी है। छात्राओं को किसी प्रकार की असुविधा नहीं है। अधीक्षक को निर्देश दिए गए हैं अगर कहीं से भवन क्षतिग्रस्त है तो वहां छात्राओं को जाने नहीं दिया जाए।
– ब्रजेंद्र रावत, एसडीएम
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो