विधानसभा सत्र के दौरान सवाल जवाब के दौरान ये तथ्य सामने आया. विधायक जीतू पटवारी द्वारा सरकारी अस्पतालों में नवजातों की मौत पर पूछे गए सवाल पर विभाग के अधिकारियों ने जवाब में बताया कि पांच वर्ष में प्रदेशभर में कुल 68 हजार 301 नवजात शिशुओं की मौत हुई। यानी हर रोज औसतन 37 शिशुओं ने दम तोड़ा।
हर साल भर्ती होते हैं करीब 4 हजार बच्चे
इस मामले में हमीदिया अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल में पूरे साल में करीब चार हजार बच्चे भर्ती होते हैं। अधिकतम 700 से 800 बच्चों की मौत होती है। हमीदिया टर्सरी केयर अस्पताल है जहां अति गंभीर बच्चे भर्ती होते हैं। ऐसे में यह बच्चों की मौत मानकों के अनुरूप है।
सामने आई अधिकारियों की लापरवाही
विधानसभा के जवाब देने में भी विभाग कितने जिम्मेदार होते हैं, इसका उदाहरण मंगलवार को देखने को मिला। विधायक जीतू पटवारी द्वारा सरकारी अस्पतालों में नवजातों की मौत पर पूछे गए सवाल पर विभाग के अधिकारियों ने जवाब में हमीदिया अस्पताल में बीते पांच वर्ष में 68 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत की जानकारी दे दी। 2020-21 में 13530 नवजातों की मौत बताई गई। हालांकि यह आंकड़ा प्रदेशभर का है।
अधिकारियों से मिले उत्तर को विधायक ने जैसे ही ट्विटर पर साझा किया तो स्वास्थ्य महकमे से लेकर राजनीतिक गलियारों में हडक़ंप मच गया। अधिकारियों को गलती का अहसास हुआ। सफाई देनी पड़ी। अधिकारियों का कहना था कि आंकड़े पूरे प्रदेश के थे, लेकिन प्रश्न का शीर्षक आंकड़ों के ऊपर लिखा होने से गफलत हुई है।
हमीदिया में 3 साल में 2232 शिशुओं की मौत
साल भर्ती मौत
2020 2942 600
2019 4162 820
2018 3765 812
कुल 10869 2232
नवजात शिशुओं का इलाज और मौत
वर्ष इलाज मौत
2016-17 93630 12952
2017-18 95231 13106
2018-19 101854 13954
2019-20 111133 14759
2020-21 99148 13530
कुल 500996 68301