scriptदिल्ली, हरियाणा और पंजाब नहीं निकलने दे रहे हैं प्रदेश के बाहर हारवेस्टर | deelli panjab, harbastat | Patrika News

दिल्ली, हरियाणा और पंजाब नहीं निकलने दे रहे हैं प्रदेश के बाहर हारवेस्टर

locationभोपालPublished: Mar 28, 2020 09:28:07 pm

Submitted by:

Ashok gautam

– संचालक कृषि अभियांत्रिकी ने कलेक्टरों और आरटीओ को पत्र लिखकर कहा प्रदेश में हारवेस्टर मूवमेंट को दें अनुमति

photo_2020-03-28_20-14-54.jpg
भोपाल। कोरोना वायरस के चक्कर में दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की सरकारें हारवेस्टर भी अपने प्रदेश से नहीं निकलने दे रही हैं। इसका सीधा असर दूसरे राज्यों में फसलों की कटाई पर पड़ रहा है। मध्य प्रदेश में अभी तक मात्र तीस फीसदी रवी फसलों की कटाई हो पाई हैं, बाहरी हारवेस्टर से प्रदेश की 60 फीसदी फसलें काटी जाती हैं।
मशीने प्रदेश में नहीं आने देने से सबसे बड़ी दिक्कत किसानों को हो रही है, क्योंकि समय पर फसलें नहीं कटने और हवा-पानी के चलते गेहूं सहित अन्य फसलों की बाली टूट कर जमीन में गिर रही हैं।
प्रदेश में लॉकडाउन होने से कुछ जिलों में जो हारवेस्टर खड़े हैं उन्हें दूसरे जिलों में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। इसे गंभीरता से लेते हुए संचालक कृषि अभियांत्रिकी ने सभी कलेक्टरों और आरटीओ को पत्र लिखा है कि वे इसे एक जिले से दूसरे जिले में हारवेस्टर मूवमेंट करने की लिखित अनुमति दें।
इसके साथ ही प्रदेश में बाहर से आने वाले हारवेस्टरों को भी प्रवेश की अनुमति दें, जिससे फसलों की कटाई प्रभावित न हो। वहीं कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि उनसे अगर कोई हारवेस्टर मशीन चलाने वाले किसी तरह की मदद मांगते हैं तो वे उनका सहयोग करें। इसके साथ ही वे उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण से बचने का उपाया बताएं।

प्रदेश में 15 हजार मशीनों की जरूरत
प्रदेश में करीब 5 हजार हारवेस्टर मशीनें हैं, जिसमें मध्य प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों की भी मशीनें यहां आकर पहले से ही खड़ी हैं। रवी सीजन में करीब दस हजार मशीनें दूसरे राज्यों से यहां फसलों की कटाई करने आती हैं, जिन्हें ये राज्य कोरोना वायरस के चलते अपने राज्य से बाहर जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।
अगर इन मशीनों को मप्र में आने की अनुमति नहीं मिलती है तो गेहूं की कटाई एक माह की देरी से होगी। देरी से कटाई होने से फसलें भी नष्ट हो जाएंगी।

——
प्रति घंटे एक एकड़ में गेहूं काटती है एक मशीन
एक मशीन एक घंटे में एक एकड़ के क्षेत्रफल में गेहूं काटती है। कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि प्रदेश में उपलब्ध 5 हजार मशीनों से प्रदेश में बोई गई 130 लाख हेक्टेयर में फसल को कटने के लिए जून तक का समय लगेगा। इसके साथ ही किसानों को फसलों की कटाई के लिए काफी संख्या में मजदूारों का भी सहयोग लेना पड़ेगा।

केन्द्र से चर्चा करेंगा कृषि विभाग
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पूरे प्रदेश में 21 दिन के लिए लॉक डाउन होने से फसलों की कटाई पिछड़ेगी। दूसरे राज्यों से आने वाली हारवेस्टर मशीन के संबंध में कृषि विभाग केन्द्र कृषि विभाग के अधिकारियों से बात चीत कर हारवेस्टर मशीन मूवमेंट की छूट के लिए सिफारिश करें। जिससे फसलों की कटाई मई अखिर तक पूर्ण रूप से हो सके, क्योंकि जून से मानसून दस्तक शुरू हो जाता है।

चैतुओं की बड़ी समस्या
चना, मसूर, सरसो की कटाई मजदूरों और चैतुओं के जरिए होती है। चैतुए मंडला, डिंडोरी, झाबुआ, छतरपुर, शहड़ोल और सीधी जिले सहित अन्य अदिवासी क्षेत्रों से फसलों की कटाई करने आते थे, लेकिन इस वर्ष कोरोना के चक्कर में ये मजदूर अब बाहर ही नहीं निकल रहे हैं। फसलों की कटाई का ठेका लेने वाले ठेकेदार इन चैतुओं को ट्रैक्टरों में बैठकर जिले की सीमा पार नहीं करा पा रहे हैं। इससे इन फसलों की कटाई में दिक्कत आ रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मजदूरों की समस्या के चलते अभी तक मात्र 50 फीसदी ही चना, मसूर सरसों की कटाई हो पाई है।

कोरोना वायरस के चक्कर में इस वर्ष फसलों की कटाई पिछडऩे की संभावना है। हारवेस्टर मशीनों को एक जिले से दूसरे जिले तक लेजाने की इजाजर देने के लिए कलेक्टरों और आरटीओ को पत्र लिखा गया है। वहीं विभाग भी केन्द्र सरकार से अन्य राज्यों से आने वाली हारवेस्टर मशीनों को मप्र में भेजने की इजाजत देने के संबंध में बाच-चीत करेगा, जिससे समय पर फसलों की कटाई और गहाई हो सके।
राजीव चौधरी, संचालक कृषि अभियांत्रिकी मप्र
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो