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सरकार का बड़ा फैसलाः अब वाट्सअप पर मिलेंगे कानूनी नोटिस और समन

locationभोपालPublished: Mar 27, 2018 03:56:18 pm

Submitted by:

Manish Gite

थोड़े दिन पहले तक कई लोग सोशल मीडिया को टाइम पास का जरिया मानते थे। लेकिन, समय के साथ ही यह सभी के लिए जरूरत बन गया है। इसकी अहमियत ही है कि शादी के क

delhi  Court accepts WhatsApp

भोपाल। थोड़े दिन पहले तक कई लोग सोशल मीडिया को टाइम पास का जरिया मानते थे। लेकिन, समय के साथ ही यह सभी के लिए जरूरत बन गया है। इसकी अहमियत ही है कि शादी के कार्ड, नौकरी के ऑफर लेटर भेजने के साथ ही अब कोर्ट भी इसकी खूबियां अपनाने लगा है। एक समन तामील कराने में महिनों लगाने वाले कोर्ट अब पल भर में वाट्सअप के जरिए पेशी, समन या किसी भी प्रकार के नोटिस भेजने लगे हैं।

 


दिल्ली हाईकोर्ट ने दी मंजूरी
दिल्ली हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों में वाट्सऐप, टेक्स्ट मैसेज और इमेल के जरिए समन भेजने को मंजूरी दे दी। बीते माह जज सुरभि शर्मा वत्स ने घरेलू हिंसा मामले में यह व्यवस्था दी।
MP में निपट जाएंगे 14 लाख केस
-दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में वाट्सअप के जरिए समन भेजने की व्यवस्था शुरू हो गई है। यही प्रक्रिया यदि मध्यप्रदेश को कोर्ट अपनाएंगे तो देखते ही देखते 14 लाख पेंडिंग केस निपट जाएंगे।
बदल जाएगी यह आदत
वाट्सअप से समन तामील कराने की प्रक्रिया के बाद अब लोगों की आदत भी बदल जाएगी। घर पर समन भेजा तो कोई लेने वाला नहीं। वारंट लेकर दफ्तर गए तो स्वीकार ही नहीं किया। अंतत वारंट लौटकर अदालत आ जाता है और फिर मिलती है तारीख पर तारीख। अब सोशल मीडिया से समन भेजा जाएगा जो उसी वक्त तामील समझा जाएगा।
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हरियाणा बना पहला प्रदेश
वाट्सअप के जरिए कानूनी नोटिस भेजने वाला हरियाणा देश में पहला प्रदेश बन गया है। पिछले साल अप्रैल में वहां के वित्त आयुक्त की कोर्ट ने प्रापर्टी विवाद में एक पक्षकार को वाट्सअप के जरिए समन भेजा था। यह देश में अपने आप में पहला मामला था। वाट्सअप पर समन भेजने वाले प्रमुख हरियाणा के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका हैं।
डिजिटल इंडिया पर जोरवाट्सअप से समन भेजने और अदालतों को हाईटेक बनने को को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की ओर से किए जा रहे डिजिटल इंडिया का इसे एक प्रयास माना जा रहा है।
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यह भी है खास
-बताया जाता है कि हरियाणा की कोर्ट को वाट्सअप पर समन भेजने की जरूरत क्यों पड़ी इसके पीछे एक पक्ष का अपना गांव छोड़कर नेपाल की राजधानी काटमांडू चले जाना था। पत्राचार उस तक नहीं पहुंच पा रहा था। इसके बाद वाट्सअप का सहारा लिया गया।
-कोर्ट का मानना था कि जरूरी नहीं कि स्थानीय पता वही रहे, लेकिन ईमेल और मोबाइल फोन नंबर इसकी तुलना में ज्यादा स्थायी होते हैं। ऐसे में फोन अथवा ईमेल से भी किसी को समन भेजा जा सकता है।
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चौंकाने वाले रिपोर्ट
-MP की विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 14 लाख से ज्यादा हो चुकी है। यह खुलासा विधि एवं न्याय मंत्रालय की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार मप्र हाईकोर्ट में जहां 2 लाख 73 हजार 827 मामले लंबित चल रहे हैं तो वहीं जिला व अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 11 लाख 91 हजार 799 तक पहुंच चुकी है।
-मप्र हाईकोर्ट की एक वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक मप्र हाईकोर्ट में लंबित मामलों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि यहां एक मामले की सुनवाई पूरी होने में औसतन 403.4 दिन लग रहे हैं।
-हाईकोर्ट के हर जज साल में औसतन 3582.69 अर्थात 3583 मुकदमों की सुनवाई पूरी कर इनका निराकरण करते हैं, जो देश के किसी भी हाईकोर्ट की तुलना में अधिक है।

-रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट की तीनों खंडपीठों में 31 दिसंबर 2016 तक कुल 2 लाख 89 हजार 445 मामले लंबित हैं। 2016 में कुल 135638 मामले तीनों खंडपीठों में दायर किए गए।
-हाईकोर्ट ने 1 लाख 20 हजार 20 मामलों का निराकरण भी किया। लंबित मामलों में सर्वाधिक संख्या अपराधिक मुकदमों की है। इनका आंकड़ा गत दिसंबर तक 10,8493 पहुंच गया था।
हर साल बढ़ कर दायर हो रहे केस
हाईकोर्ट की तीनों खंडपीठों में बीते सालों में दायर होने वाले मुकदमों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। 2012 में जहां यह संख्या 24060 थी। 2015 में बढ़कर 57092 पहुंच गई । 2016 में यह आंकड़ा एक लाख को पार कर गया है। जबकि इसी दौरान निराकृत होने वाले मुकदमों की संख्या इनसे काफी कम रही।
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