इस उम्र में जब बच्चों को भविष्य निर्माण पर ध्यान देना चाहिए, तब वे अपराध की दुनिया में प्रवेश कर रहे होते हैं। ये हमारे ही बच्चे हैं, हम इनके लिए चिंतित तो होते हैं, लेकिन ये अपराध करते क्यों हैं, हम इस पर कभी भी बात नहीं करते। ऐसे अधिकांश बच्चों द्वारा अपराध करने के पीछे कहीं न कहीं पारिवारिक मुद्दों की अहम भूमिका होती है। पर इस ओर हमारा ध्यान नहीं जाता। माता-पिता के बीच बिगड़े रिश्तों की वजह से बच्चे बाहर की दुनिया में अपने लिए एक अलग जगह की तलाश करते हैं।
कई बार यह तलाश उन्हें अपराध की दुनिया में ले जाता है, तो कई बार माता-पिता के अवैध रिश्तों की वजह से भी बच्चे बहुत कम उम्र में बड़ा अपराध कर बैठते हैं। इसमें हत्या जैसे संगीन अपराध तक शामिल होते हैं। पत्रिका इन अनछुए पहलू पर आपको जागरूक करने का प्रयास कर रहा है। हमारी कोशिश है कि आपके बच्चे अपराध की दुनिया से दूर रहें और आपका परिवार बिखरने से बच जाए।
माता-पिता बच्चों के दोस्त बनकर रहें
क्या करें, क्या न करें
माता-पिता को अपने तनावपूर्ण रिश्तों को बच्चे से दूर रखना चाहिए, बच्चों के सामने एक दूसरे पर इल्जाम न लगाएं
लैंगिक गतिविधियों में शामिल होने से पूर्व यह अवश्य देख लें कि बच्चे आपकी पहुंच से दूर हैं या पास गर्भ निरोधक गोलियां सहित अन्य सामग्री को बच्चों की पहुंच से दूर रखें, पति-पत्नी बच्चों के सामने एडल्ट बातें न करें
तमाम सावधानियों के बावजूद भी इस तरह की कोई बात पूछें तो आप उन्हें टालें नहीं, बल्कि उनकी समझ व उम्र के हिसाब से उनके सवालोंं का जवाब देने की कोशिश करें, ताकि बच्चे इन सवालों के जवाब कहीं बाहर जाकर न तलाशें
बच्चों का दोस्त बनने की कोशिश करें, ताकि वे आपसे सारी बातें शेयर करें। उनके दोस्तों के साथ भी दोस्ती करें, जिससे उनके बारे में जान सकें।
बच्चों को बताएं यह सब करना अपराध है
किसी का पीछा करना, अश्लील कमेंट पास करना, किसी को अश्लील सामग्री दिखाना, अपने शरीर के निजी अंग दिखाना या उन्हें खुद को दिखाने को कहना आदि अपराध की श्रेणी में आता है।
लैंगिक उत्पीडऩ के लिए दंड
जो कोई भी व्यक्ति किसी बालक पर लैंगिक उत्पीडऩ करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय किया जाएगा।
ऐसा होगा स्वभाव
बच्चों द्वारा बात-बात पर गुस्सा करना
चिड़चिड़ापन, बात न करना
शैक्षणिक प्रदर्शन में गिरावट आना
बच्चों का लगातार गुमसुम रहना और अकेलापन पसंद करना
परिवार से दूरी बनाकर रखना, किसी खास दोस्त के साथ ज्यादा समय बिताना खास होता है
कुछ भी बदलाव देखें तो यहां करें सम्पर्क
चाइल्ड लाइन 1098
पुलिस : स्थानीय थाना
बाल अधिकार संरक्षण आयोग (मप्र) 0755 2559900
या तो अपने क्षेत्र में सक्रिय स्वंय सेवी संस्थाओं को जानकारी दें
केस एक – भोपाल का एक ऐसा ही मामला सामने आया था। जिसमें तीन नाबालिग बच्चे एक किशोरी को स्कूल जाते समय पीछा करते थे और उसे भाभी कह कर चिढ़ाते थे। किशोरी ने इसको लेकर पुलिस में शिकायत की और पुलिस ने उन तीनों नाबालिग बच्चों पर मामला दर्ज किया था। जब तीनों नाबालिगो को काउंसलिंग के लिए लाया गया तो उन्होंने बताया कि वह सिर्फ मजाक के लिए ऐसा कर रहे थे। उन्हें नहीं पता था कि यह अपराध है। यह भी लोगों के लिए जागरूकता का विषय है।
केस दो – ऐसा ही एक मामला नवम्बर 2018 में सामने आया था। इसमें माता-पिता एक दूसरे का साथ छोड़कर अन्य के साथ रहने लगे। इन दोनों का एक 14 वर्ष का बच्चा भी था, जो दोस्तों के साथ गलत संगत में पडऩे से नशे का आदी हो गया और ट्रेन में चलने लगा। पुलिस ने उसे जेब कतरों के गिरोह के साथ पकड़ा था। उसे सीडब्ल्यूसी में पेश किया गया, जहां उसे करीब डेढ़ महीने रखने के बाद उसके दादाजी के साथ घर भेज दिया। अब वह बेहतर है।
केस तीन – राजधानी में एक ऐसा ही मामला वर्ष 2018 में सामने आया था, जिसमें 17 साल के नाबालिग ने मां को गोली मार दी थी। पूछताछ में बताया था कि मां उसे खर्च के लिए रुपए नहीं दे रही थी। आपको बता दें की नाबालिग के माता-पिता अलग-अलग रह रहे थे। नाबालिग अपनी मां के साथ रह रहा था, गलत संगत में पडऩे से अपराध कर बैठा।
माता-पिता के परिवेश के कारण बच्चे बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इसके कारण बच्चों में अपराध की प्रवृत्ति आ जाती है और वे परिपक्व हो जाते हैं। माता- पिता चूंकि बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते, ऐसे में ये बच्चे अपराध या नशे की ओर अग्रसर हो जाते हैं।
– कृपाशंकर चौबे, सीडब्ल्यूसी सदस्य
बच्चे बहुत मासूम होते हैं, ऐसी स्थिति में उनका ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। माता-पिता को बच्चों के सामने लड़ाई, झगड़ा गाली-गलौच आदि नहीं करना चाहिए, क्योंकि बच्चे सीखते बहुत जल्दी हैं और हम जैसा करेंगे आगे चलकर वे भी वैसा ही करते हैं। अधिकतर पैंरेंट्स इन चीजों पर ध्यान नहीं देते, जिसकी वजह से बच्चे अपराध की दुनिया की ओर चल पड़ते हैं। ऐसी परिस्थित में बच्चा या तो गुमसुम रहेगा सा डिप्रेशन में चला जाता है। ऐसी स्थित में बच्चों से दूरी न बनाएं, बल्कि उनके साथ रहें, उनसे बातचीत करें, उनकी बातें सुनें और बोलने व खुलने का मौका दें।
डॉ. जगमीत कौर चावला, शिशुरोग एवं किशोर अवस्था विशेषज्ञ
बच्चे वो नहीं सीखते जो हम उन्हें सिखाना चाहते हैं, बल्कि वे आब्जर्ब करते हैं, जो वह देखते या सुनते हैं। आजकल के बच्चों में डिपे्रशन बढ़ता जा रहा है। ऐसी स्थिति में जब बच्चा 15 से 16 की उम्र का हो तो उस समय माता-पिता को बच्चे का दोस्त बनकर रहना चाहिए, लेकिन मौजूदा समय में पति-पत्नी के बीच मेें ही दोस्ताना व्यवहार नहीं होता। पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में होने वाले असंतुलन का प्रभाव बच्चों पर ज्यादा पड़ रहा है। जिसके कारण वे अपराध की दुनिया में जा रहे हैं।
– डॉ. दर्शना सोनी, काउंसलर
इस तरीके के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। चंूकि माता-पिता का आपसी संबंध बेहतर नहीं होने से बच्चों पर इसका असर हो रहा है। इसको लेकर ऐसे बच्चों में गुस्सा और नाराजगी है। जब वे दूसरे बच्चों से खुद को कम्पेयर करते हैं तो वे अपनी परिस्थिति के बारे में सोचते हैं और गुस्से या जाने-अनजाने में अपराध की ओर कदम बढ़ जाते हैं।
अर्चना सहाय, डॉयरेक्टर, चाइल्ड लाइन