सरकारी अस्पतालों में भी बुखार की दवाओं की खपत में इजाफा हुआ है। स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि होलसेल मार्केट में जो दुकानदार एक माह में मुश्किल से चार से पांच पेटी पैरासीटामॉल बेचते थे वो अब 15 से 20 पेटी माल बेच रहे हैं। गौरतलब है कि बीते दस सालों में डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप सबसे ज्यादा है। शहर में अब तक डेंगू के एक हजार तो चिकनगुनिया के 500 से ज्यादा मरीजों की पहचान हो चुकी है। यही नहीं शहर में अस्पतालों में वायरल के डेढ़ से दो हजार मरीज पहुंच रहे हैं। वायरल होने पर पैरासीटामॉल ही सबसे कारगर दवा है।
ग्लूकोज की बिक्री भी बढ़ी मप्र ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन की माने तो बीते तीन माह में ग्लूकोज की बोतल की डिमांड भी 40 फीसदी बढ़ गई है। दवा बाजार के व्यापारी राजीव सिंघल ने बाताया कि जो दुकानदार हर महीने 1000 बोतल बेचता था वो अब 1400 बोतल बेच रहा है। बीते छह दिन में डेंगू 36 मरीजों की पहचान हो चुकी है, वहीं इसी दौरान 28 लोगों में चिकनगुनिया पॉजीटिव पाया गया। शहर में डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर 1033 पहुंच गई है वहीं चिकनगुनिया के 545 मरीज सामने आ चुके हैं।
बिना डॉक्टरी सलाह के दवा लेना हानिकारक हमीदिया अस्पताल के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. लोकेन्द्र दवे बताते हैं कि लोग बुखार आने पर खुद ही पैरासीटामॉल और एंटीबायोटिक दवाएं ले लेते हैं। उन्होंने बताया कि इस मौसम में सामान्य बुखार में भी सावधानी बरतनी चाहिए। बिना डॉक्टर के परामर्श से तो दवाएं बिल्कुल नहीं लेनी चाहिए।