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कैंप में आठवीं और दसवीं पास कर्मचारियों ने लिए ब्लड सैंपल

locationभोपालPublished: Nov 01, 2019 01:13:05 am

Submitted by:

Ram kailash napit

चौकसे नगर में डेंगू: निजी लैब में 12वीं पास अटैंडेंट मिला तो लाइसेंस निरस्त

Dengue

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प्रवीण श्रीवास्तव
भोपाल. शहर में डेंगू बेकाबू हो रहा है। हर रोज डेंगू के दर्जनों नए मरीज मिल रहे हैं, इसके बावजूद मलेरिया विभाग इसे गंभीरता ने नहीं ले रहा। यही नहीं खुद वहीं लापरवाही कर रहा है जिसके चलते उसने दो दिन पहले ही साकार लैब का लाइसेंस निरस्त करने की धमकी दी थी। चौकसे नगर में डेंगू के एक साथ 37 मरीज मिलने के बाद मलेरिया विभाग ने कॉलोनी में स्थित साकार लैब की जांच की। यहां उन्हें 12वीं पास कर्मचारी मिला जो मरीजों का ब्लड सैंपल ले रहा था। सीएमएचओ डॉ. सुधीर डहेरिया और जिला मलेरिया अधिकारी अखिलेश दुबे ने इसे गलत मानते हुए लैब का लाइसेंस निरस्त करने के निर्देश दे दिए। इसके बाद विभाग ने अगले दिन चौकसे नगर में मेगा कैंप लगा कर निवासियों का ब्लड टेस्ट किया। हैरानी की बात यह है कि इस कैम्प में ब्लड कलेक्ट कर रहे कर्मचारी आठवीं और दसवीं पास ही थे।
दवा छिड़कने का काम है इनका
कैंप में मरीजों का ब्लड कलेक्शन कर रहे कर्मचारी मुख्यत: मलेरिया स्क्वाड के कर्मचारी हैं। आठवीं और दसवीं पास हैं। यह कर्मचारी सड़कों का दवा छिड़कने के साथ लार्वा सर्वे का काम करते हैं। जबकि स्लाइड बनाने का काम एमपीडब्ल्यू होल्डर या डिप्लोमा धारी करते हैं।
डेंगू के 9 नए मरीज मिले
गुरुवार को आई रिपोर्ट में भी 09 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। शहर में डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर अब 920 पहुंच गई है।

अस्पताल कहे डेंगू तो डॉक्टर से मांगें एलाइजा रिपोर्ट
शहर में डेंगू का खौफ दिखाकर निजी अस्पताल मरीजों को भर्ती कर भारी-भरकम बिल बना रहे हैं। निजी अस्पताल और लैब रेपिड कार्ड से मरीज की जांच कर डेंगू पॉजीटिव बताते हैं। जबकि रेपिड कार्ड से डेंगू की जांच नहीं हो सकती। केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक डेंगू की जांच सिर्फ एलाइजा पद्धति से ही संभव है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर कोई अस्पताल मरीज को डेंगू बता रहा है तो उससे एलाइजा से जांच करने को कहें। सीएमएचओ डॉ. सुधीर डहेरिया बताते हैं कि जहां रैपिड से डेंगू की जांच हो रही है, वे अमान्य है। मरीजों को चाहिए कि वे अस्पताल से एलाइजा की रिपोर्ट मांगे। अगर कोई अस्पताल एलाइजा जांच कराने से इनकार करता है तो उसकी शिकायत सीएमएचओ ऑफिस में कर सकते हैं।

5 जगह होती है एलाइजा जांच:
जिला मलेरिया अधिकारी अखिलेश दुबे के मुताबिक अस्पतालों व लैब को निर्देश दिए गए हैं कि अगर रेपिड से डेंगू पॉजीटिव आता है तो उसकी एलाइजा जांच होना जरूरी है। शहर में जेपी अस्पताल, जिला मलेरिया कार्यालय, बीएमएचआरसी, गांधी मेडिकल और बैरागढ़ अस्पताल में एलाइजा की जांच होती है।
यह है रेपिड और एलाइजा टेस्ट में अंतर
विशेषज्ञों के मुताबिक रेपिड पद्धति से सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है। रेपिड पॉजीटिव को जब एलाइजा से जांच कराई जाती है तो 70 फीसदी रिपोर्ट नेगेटिव आते हैं। जबकि एलाइजा जांच सघन जांच होती है। इसमें रक्त से सीरम निकालकर उसके माध्यम से डेंगू की जांच की जाती है। इस जांच में करीब चार घंटे का समय लगता है।
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