ऐसे में जहां राजधानी भोपाल में पदस्थ ईओडब्ल्यू की इंस्पेक्टर सीमा पटेल की चार दिन से एक निजी अस्पताल में चले इलाज के बाद डेंगू से संदिग्ध मौत की बात सामने आ रही है। महिला इंस्पेक्टर की सोमवार को सुबह मौत हो गई।
वहीं इसे डेंगू से संदिग्ध मौत की बात इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि डेंगू से मौत की पुष्टि तब मानी जाएगी, जब मरीज की रिपोर्ट एलाइजा पॉजिटिव आएगी। ये जांच सरकारी अस्पतालों में ही होती है। इसलिए मरीज को डेंगू था या नहीं। इसके लिए एलाइजा रिपोर्ट का इंतजार है।
डेंगू: ऐसे समझें… डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह काटते हैं। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है, क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। वहीं एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता।
डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून में डेंगू वायरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह उस मरीज का खून चूसता है।
मच्छर द्वारा काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है।
यह तीन तरह का होता है
1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार
2. डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) इन तीनों में से दूसरे और तीसरे तरह का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता, लेकिन अगर किसी को DHF या DSS है और उसका फौरन इलाज शुरू किया जाना जरूरी होता है अन्यथा जान तक जा सकती है।
साधारण डेंगू बुखार :
– ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना ।
– सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।
– बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना और जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना ।
– गले में हल्का-सा दर्द होना ।
– शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना ।
डेंगू में कुछ एक्सपर्ट 20 के फॉर्मूले की बात करते हैं। अगर धड़कन यानी पल्स रेट 20 बढ़ जाए, ऊपर का ब्लड प्रेशर 20 कम हो जाए, ऊपर और नीचे के ब्लड प्रेशर का फर्क 20 से कम हो जाए, प्लैटलेट्स 20 हजार से कम रह जाएं, शरीर के एक इंच एरिया में 20 से ज्यादा दाने पड़ जाएं – इस तरह का कोई भी लक्षण नजर आए तो मरीज को अस्पताल में जरूर भर्ती करना चाहिए।
आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं। अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स नीचे ही जाएं।
चाइल्ड स्पेशिलिस्ट डॉ. इंदू के अनुसार बच्चों का इम्युन सिस्टम ज्यादा कमजोर होता है और वे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए उनके प्रति सचेत होने की ज्यादा जरूरत है।
डेंगू होने पर किसी अच्छे फिजिशियन के पास जाना चाहिए। बच्चों में डेंगू के लक्षण नजर आएं तो उसे पीडिअट्रिशन के पास ले जाएं।
– अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है।
– डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले सकते हैं।
– एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें। इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।
– अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें।
– सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है।
– मरीज को आराम करने दें।
आयुर्वेद के डाक्टर राजकुमार के अनुसार आयुर्वेद में डेंगू की कोई पेटेंट दवा नहीं है। लेकिन डेंगू न हो, इसके लिए यह नुस्खा अपना सकते हैं। एक कप पानी में एक चम्मच गिलोय का रस (अगर इसकी डंडी मिलती है तो चार इंच की डंडी लें। उस बेल से लें, जो नीम के पेड़ पर चढ़ी हो), दो काली मिर्च, तुलसी के पांच पत्ते और अदरक को मिलाकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाए और 5 दिन तक लें।
इसकी दवाई लक्षण देखकर और प्लेटलेट्स का ब्लड टेस्ट कराने के बाद ही दी जाती है। लेकिन किसी भी तरह के डेंगू में मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं आने देनी चाहिए। उसे खूब पानी और बाकी तरल पदार्थ (नीबू पानी, छाछ, नारियल पानी आदि) पिलाएं ताकि ब्लड गाढ़ा न हो और जमे नहीं। साथ ही, मरीज को पूरा आराम करना चाहिए। आराम भी डेंगू की दवा ही है।
– ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं।
– खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें।
– इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी न खाएं।
– हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच सके।
– पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं और पानी को उबालकर पीएं।
– मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं।
– खूब पानी पीएं। छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं।
– जहां तक हो सके पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें, ताकि मच्छर आपको नहीं काट सकें।
– बीमारी से बचने के लिए फिजिकली फिट, मेंटली स्ट्रॉन्ग और इमोशनली बैलेंस रहें।
– अच्छा खाएं, अच्छा पीएं और अच्छी नींद ले।
– नाक के अंदर की तरफ सरसों का तेल लगाकर रखें। इससे तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के अंदर जाने से रोकती है।
– विटामिन-सी से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें जैसे : एक दिन में दो आंवले, संतरे या मौसमी ले सकते हैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है।
अपनी मर्जी से कोई भी एंटी-बायोटिक या कोई और दवा न लें।यदि बुखार ज्यादा है तो डॉक्टर के पास जाएं और उसकी सलाह से ही दवाई ले।
इन दिनों के बुखार में सिर्फ पैरासिटामोल ले सकते हैं।
– घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें।