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MP Alert: मौसम में बदलाव के बीच डेंगू की दस्तक, जानिये लक्षण से लेकर बचाव तक

locationभोपालPublished: Oct 22, 2019 01:38:46 pm

कई जिलों में डेंगू का दिख रहा असर…

how to prevent dengue

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भोपाल। मध्य प्रदेश में बदलते मौसम के बीच डेंगू ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। सामने आ रही जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में डेंगू ने दस्तक देनी शुरू कर दी है।

ऐसे में जहां राजधानी भोपाल में पदस्थ ईओडब्ल्यू की इंस्पेक्टर सीमा पटेल की चार दिन से एक निजी अस्पताल में चले इलाज के बाद डेंगू से संदिग्ध मौत की बात सामने आ रही है। महिला इंस्पेक्टर की सोमवार को सुबह मौत हो गई।

वहीं इसे डेंगू से संदिग्ध मौत की बात इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि डेंगू से मौत की पुष्टि तब मानी जाएगी, जब मरीज की रिपोर्ट एलाइजा पॉजिटिव आएगी। ये जांच सरकारी अस्पतालों में ही होती है। इसलिए मरीज को डेंगू था या नहीं। इसके लिए एलाइजा रिपोर्ट का इंतजार है।

वहीं दूसरी ओर कुछ दिन पहले ही अशोकनगर जिले के मुंगावली में भी डेंगू का एक मरीज सामने आया था।

इस मरीज के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और आनन-फानन में सर्वे टीम के वहां भेजा गया। यह मरीज ललितपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती था और इलाज के बाद अपने घर लौट आया है।
वार्ड नंबर 14 अजीत कॉलोनी निवासी बलराम पुत्र चंद्रभान को प्लेटलेट्स घटने के बाद ललितपुर में भर्ती किया गया था। जहां से उपचार के बाद जब वह वापस आया तो स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी लगी थी।
वहीं दूसरी ओर राजधानी में डेंगू के प्रकोप को देखते हुए कुछ दिन पहले डेंगू फैलने की शिकायत मिलने पर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट और जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा शहर के कई इलाकों में डेंगू की जांच कराई थी और सामने ही दवाओं का छिड़काव किया था।

डेंगू: ऐसे समझें…

डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह काटते हैं। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं।

डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है, क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। वहीं एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता।
ऐसे फैलता है डेंगू…
डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून में डेंगू वायरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह उस मरीज का खून चूसता है।
खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है। इसके बाद जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस दूसरे इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है।
डेंगू: लक्षण जो दिखते हैं…
मच्छर द्वारा काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है।
डेंगू के प्रकार…
यह तीन तरह का होता है
1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार
2. डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)

इन तीनों में से दूसरे और तीसरे तरह का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता, लेकिन अगर किसी को DHF या DSS है और उसका फौरन इलाज शुरू किया जाना जरूरी होता है अन्यथा जान तक जा सकती है।
इसलिए यह पहचानना सबसे जरूरी है कि मरीज को कौन सा डेंगू है, साधारण,DHF है या DSS है।

ये हैं तीनों तरह के डेंगू के लक्षण…
साधारण डेंगू बुखार :
– ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना ।
– सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।
– आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है ।
– बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना और जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना ।
– गले में हल्का-सा दर्द होना ।
– शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना ।
जानकारों का मानना है कि साधारण डेंगू बुखार करीब 5 से 7 दिन तक रहता है और मरीज ठीक हो जाता है। ज्यादातर मामलों में इसी किस्म का डेंगू बुखार होता है।

जानकारों का यह भी कहना है कि डेंगू से कई बार मल्टी ऑर्गन फेल्योर भी हो जाता है। इसमें सेल्स के अंदर मौजूद फ्लूइड बाहर निकल जाता है। पेट के अंदर पानी जमा हो जाता है। लंग्स और लिवर पर बुरा असर पड़ता है और ये काम करना बंद कर देते हैं।
ये है 20 का खास फॉर्मूला…
डेंगू में कुछ एक्सपर्ट 20 के फॉर्मूले की बात करते हैं। अगर धड़कन यानी पल्स रेट 20 बढ़ जाए, ऊपर का ब्लड प्रेशर 20 कम हो जाए, ऊपर और नीचे के ब्लड प्रेशर का फर्क 20 से कम हो जाए, प्लैटलेट्स 20 हजार से कम रह जाएं, शरीर के एक इंच एरिया में 20 से ज्यादा दाने पड़ जाएं – इस तरह का कोई भी लक्षण नजर आए तो मरीज को अस्पताल में जरूर भर्ती करना चाहिए।
डेंगू और प्लेटलेट्स का संबंध…
आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं। अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स नीचे ही जाएं।
प्लेटलेट्स अगर एक लाख से कम हैं तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए। अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिंग नहीं होती।
डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है, जिससे बॉडी में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। अगर प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे हैं, मसलन सुबह एक लाख थे और दोपहर तक 50-60 हजार हो गए तो शाम तक गिरकर 20 हजार पर पहुंच सकते हैं।
ऐसे में डॉक्टर प्लेटलेट्स का इंतजाम करने लगते हैं ताकि जरूरत पड़ते ही मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाए जा सकें। प्लेटलेट्स निकालने में तीन-चार घंटे लगते हैं।

बच्चों को खतरा ज्यादा …
चाइल्ड स्पेशिलिस्ट डॉ. इंदू के अनुसार बच्चों का इम्युन सिस्टम ज्यादा कमजोर होता है और वे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए उनके प्रति सचेत होने की ज्यादा जरूरत है।
पैरंट्स ध्यान दें कि बच्चे घर से बाहर पूरे कपड़े पहनकर जाएं। जहां खेलते हों, वहां आसपास गंदा पानी न जमा हो।

वहीं स्कूल प्रशासन इस बात का ध्यान रखे कि स्कूलों में मच्छर न पनप पाएं। बहुत छोटे बच्चे खुलकर बीमारी के बारे में बता भी नहीं पाते इसलिए अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो, लगातार सोए जा रहा हो, बेचैन हो, उसे तेज बुखार हो, शरीर पर रैशेज हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं।
बच्चों को डेंगू हो तो उन्हें अस्पताल में रखकर ही इलाज कराना चाहिए, क्योंकि बच्चों में प्लेटलेट्स जल्दी गिरते हैं और उनमें डीहाइड्रेशन (पानी की कमी) भी जल्दी होता है।

डॉक्टर को दिखाएं
डेंगू होने पर किसी अच्छे फिजिशियन के पास जाना चाहिए। बच्चों में डेंगू के लक्षण नजर आएं तो उसे पीडिअट्रिशन के पास ले जाएं।
ये है इलाज…
– अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है।
– डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले सकते हैं।
– एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें। इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।
– अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें।
– सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है।
– मरीज को आराम करने दें।
डेंगू Dengue: आयुर्वेद में इलाज…
आयुर्वेद के डाक्टर राजकुमार के अनुसार आयुर्वेद में डेंगू की कोई पेटेंट दवा नहीं है। लेकिन डेंगू न हो, इसके लिए यह नुस्खा अपना सकते हैं।

एक कप पानी में एक चम्मच गिलोय का रस (अगर इसकी डंडी मिलती है तो चार इंच की डंडी लें। उस बेल से लें, जो नीम के पेड़ पर चढ़ी हो), दो काली मिर्च, तुलसी के पांच पत्ते और अदरक को मिलाकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाए और 5 दिन तक लें।
अगर चाहे तो इसमें थोड़ा-सा नमक और चीनी भी मिला सकते हैं। दिन में दो बार, सुबह नाश्ते के बाद और रात में डिनर से पहले लें।

Dengue: एलोपैथी में इलाज…
इसकी दवाई लक्षण देखकर और प्लेटलेट्स का ब्लड टेस्ट कराने के बाद ही दी जाती है। लेकिन किसी भी तरह के डेंगू में मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं आने देनी चाहिए। उसे खूब पानी और बाकी तरल पदार्थ (नीबू पानी, छाछ, नारियल पानी आदि) पिलाएं ताकि ब्लड गाढ़ा न हो और जमे नहीं। साथ ही, मरीज को पूरा आराम करना चाहिए। आराम भी डेंगू की दवा ही है।
ये बरतें एहतियात…
– ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं।
– खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें।
– इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी न खाएं।
– हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच सके।
– पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं और पानी को उबालकर पीएं।
– मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं।
– खूब पानी पीएं। छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं।
ये हैं बचाव के तरीके…
– जहां तक हो सके पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें, ताकि मच्छर आपको नहीं काट सकें।
– बीमारी से बचने के लिए फिजिकली फिट, मेंटली स्ट्रॉन्ग और इमोशनली बैलेंस रहें।
– अच्छा खाएं, अच्छा पीएं और अच्छी नींद ले।
– नाक के अंदर की तरफ सरसों का तेल लगाकर रखें। इससे तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के अंदर जाने से रोकती है।
– खाने में हल्दी का इस्तेमाल ज्यादा करें। सुबह आधा चम्मच हल्दी पानी के साथ या रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध या के साथ लें। लेकिन अगर आपको -नजला, जुकाम या कफ आदि है तो दूध न लें। तब आप हल्दी को पानी के साथ ले सकते हैं।
– आठ-दस तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10 पत्तों को पौने गिलास पानी में उबालें, जब वह आधा रह जाए तब उस पानी को पीएं।
– विटामिन-सी से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें जैसे : एक दिन में दो आंवले, संतरे या मौसमी ले सकते हैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है।
अपने आप न लें दवाई…
अपनी मर्जी से कोई भी एंटी-बायोटिक या कोई और दवा न लें।यदि बुखार ज्यादा है तो डॉक्टर के पास जाएं और उसकी सलाह से ही दवाई ले।
इन दिनों के बुखार में सिर्फ पैरासिटामोल ले सकते हैं।
एस्प्रिन बिल्कुल न लें क्योंकि अगर डेंगू है तो एस्प्रिन या ब्रूफिन आदि लेने से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं। मामूली खांसी आदि होने पर भी अपने आप कोई दवाई न लें।

ऐसे बचें: डेंगू से – how to prevent dengue …
डेंगू से बचने के दो ही उपाय हैं। एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकना। एडीज मच्छरों के काटने से बचाव करना।

इन मच्छरों को पैदा होने से रोकने के ये हैं उपाय…
– घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें।
– अगर पानी जमा होेने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑयल डालें।

– रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें। घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें। अगर रखें तो उलटा करके रखें।
– डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें।

– अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें।
– मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल करें। गुग्गुल के धुएं से मच्छर भगाना अच्छा देसी उपाय है।

– घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवा का छिड़काव जरूर करें। यह दवाई फोटो-फ्रेम्स, पर्दों, कैलेंडरों आदि के पीछे और घर के स्टोर-रूम और सभी कोनों में जरूर छिड़कें।
दवाई छिड़कते वक्त अपने मुंह और नाक पर कोई कपड़ा जरूर बांधें। साथ ही, खाने-पीने की सभी चीजों को ढककर रखें।

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