एक निजी अस्पताल में भी एक मरीज बिना वजह थकान और कमजोरी की शिकायत लेकर पहुंचा। डॉक्टरों ने उसका ब्लड टेस्ट किया। टेस्ट में उनके खून में शुगर की अनियंत्रित मात्रा और ऐसिड का हाई लेवल पाया गया। मरीज के खून में रेड सेल्स, वाइट सेल्स और प्लेटलेट्स की संख्या भी बहुत कम थी। ब्लड टेस्ट के इन नतीजों को देखते हुए डॉक्टरों ने मरीज का डेंगू टेस्ट किया। एनएस1 ऐंटिजेन टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव निकला और इसके बाद दोबारा किए गए आरटी-पीसीआर टेस्ट में भी डेंगू वायरस की पुष्टि हुई।
हाल ही में एम्स दिल्ली में भी एक स्टडी की गई थी। इसमें भी माना गया था कि अब डेंगू का असर बिना बुखार के हो रहा है। जर्नल ऑफ द असोसिएशन ऑफ फि जिशन्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित स्टडी में यह बात कही है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी क्षेत्र में डेंगू ज्यादा है तो ऐसी जगह पर मरीजों को थकान या कमजोरी लगे तो जांच करानी चाहिए। ल्युकोपीनिया यानी वाइट सेल्स काउंट और प्लेटलेट्स काउंट में कमी देखी जाए तो बुखार न होने पर भी डेंगू की जांच की जानी चाहिए।
विशेषज्ञ डॉ. आदर्श वाजपेयी बताते हैं कि डेंगू के वैसे मरीज जिनमें बुखार नहीं दिखता, लेकिन उनके शरीर में डेंगू के वायरस मौजूद होते हैं। इनमें से ज्यादतर बुजुर्ग होते हैं या फि र पहले से ही डायबीटीज के मरीज होते हैं।
बिना वजह बहुत ज्यादा कमजोरी या थकान लगे
ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा लो हो जाए
खून में मौजूद प्लेटलेट की संख्या बहुत ज्यादा कम हो जाए
वायरस अपना रूप बदलता है, ऐसे में कई बार बिना लक्षणों या बुखार के भी डेंगू हो सकता है। वेबजह थकान या कमजोरी हो तो डॉक्टर जरूर से मिलें।
डॉ.सुधीर जेसानी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी