स्टाफ की कमी : जिला मलेरिया कार्यालय के पास स्टाफ की कमी है। करीब 45 साल पहले जब विभाग का गठन हुआ था, तब जिस स्टाफ की भर्ती की गई थी, वही आज भी काम कर रहे हैं। तब से अब तक शहर की जनसंख्सा 10 गुना हो गई है लेकिन कर्मचारी वही हैं।
विभाग में सालों से कोई कीट विज्ञानी नहीं है। ऐसे में यह भी नहीं पता कि जिन दवाओं का छिडक़ाव किया जा रहा है, मच्छरों पर उसका असर हो रहा है या नहीं। क्योंकि बैक्टीरिया और वायरस जल्द ही अपने आप को दवाओं के अनुरूप ढाल लेते हैं। ऐसे में इसकी जांच जरूरी है।
वर्ष – मरीज – मौत
2009 – 228 – 02
2010 – 79 – 00
2011 – 06 – 00
2012 – 30 – 00
2013 – 165 – 00
2014 – 706 – 14
2015 – 57 – 04
2016 – 758 – 12
2017 – 920 – 08
बीते साल आठ मरीजों की हुई थी मौत
बीते साल सरकारी आंकड़ों के मुताबिक डेंगू से आठ लोगों की मौत हुई थी। वहीं करीब एक हजार लोग इस बैक्टीरिया की चपेट में आए थे। यह आंकड़ा इसलिए भी जरूरी है कि बीते पांच सालों से डेंगू के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।