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मलेरिया विभाग का दावा: अधिक बारिश होने से बढ़ा डेंगू का लार्वा, हकीकत: पूरे प्रदेश में रेकॉर्ड बारिश, पर मच्छर सिर्फ भोपाल में

locationभोपालPublished: Nov 20, 2019 01:39:31 am

Submitted by:

manish kushwah

राजधानी में डेंगू के मरीजों की संख्या पहुंची 1600, अन्य शहरों में 500 से अधिक नहीं

मलेरिया विभाग का दावा: अधिक बारिश होने से बढ़ा डेंगू का लार्वा, हकीकत: पूरे प्रदेश में रेकॉर्ड बारिश, पर मच्छर सिर्फ भोपाल में

मलेरिया विभाग का दावा: अधिक बारिश होने से बढ़ा डेंगू का लार्वा, हकीकत: पूरे प्रदेश में रेकॉर्ड बारिश, पर मच्छर सिर्फ भोपाल में

भोपाल. राजधानी में डेंगू लगातार पैर पसार रहा है। मलेरिया विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद डेंगू के मरीजों की संख्या 1600 के करीब पहुंच गई है। नाकामी छिपाने के लिए मलेरिया विभाग नए-नए बहाने बना रहा है। डेंगू के बेकाबू होने की वजह अति बारिश बताई है। विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि इस साल राजधानी में बीते 20 सालों में सबसे ज्यादा बारिश हुई है। इससे डेंगू का लार्वा खत्म नहीं हो रहा है। हालांकि विशेषज्ञ विभाग के इस तर्क को बहाना बता रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी ही नहीं पूरे प्रदेश में रेकॉडतोड़ बारिश हुई है, लेकिन डेंगू का कहर सिर्फ राजधानी में ही हुआ है। मालूम हो कि भोपाल में डेंगू के मरीजों की संख्या 1594 हो गई है। जबलपुर में 457 डेंगू मरीज मिले हैं। बारिश की बात करें तो राजधानी में 1756 मिमी बारिश हुई, वहीं जबलपुर में 1587 मिमी।
खाली प्लॉट्स को भी बताई वजह

स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट में इस साल हुई रेकॉर्डतोड़ बारिश और खाली प्लॉट्स में पसरी गंदगी को डेंगू के फैलने की मुख्य वजह बताया था। उन्होंने कहा था कि शहर में सैकड़ों खाली प्लॉट हैं, जिनके मालिक विदेशों में रहते हैं। ऐसे में इन प्लॉट्स में बारिश का पानी भरने से डेंगू का लार्वा पनप रहा है। खास बात है कि राजधानी में खाली प्लॉट्स की संख्या लगभग 20 हजार तो इंदौर में 50 हजार से अधिक है। इसके बावजूद इंदौर में डेंगू के 254 मरीज ही मिले हैं।
डेंगू को रोक नहीं पाने के कारण
कर्मचारियों की कमी: मलेरिया विभाग में स्थायी और संविदा आधारित 225 पद हैं, लेकिन काम पर 100 भी नहीं हैं। इनमें से भी 25 अन्य विभागों में पदस्थ हैं। आबादी के हिसाब से विभाग को 550 कर्मचारियों की जरूरत है।
अनट्रेंड कर्मचारी: लार्वा जांच के लिए 126 टीमें लगाने का दावा है। इनमें से 18 टीमें मलेरिया विभाग की हैं। बाकी टीमें शहरी आशा कार्यकर्ता, गैस राहत विभाग और नगर निगम की हैं। इन्हें लार्वा ढूढऩे और नष्ट करने की ट्रेनिंग तक नहीं दी गई है।
दवाओं का असर नहीं: मच्छर मारने वाली दवा पाइरेथ्रम का 15 साल से उपयोग किया जा रहा है। नतीजतन इसका मच्छरों पर असर नहीं हो रहा है। पिछले साल केंद्र की टीम ने राजधानी का निरीक्षण किया था। टी मने पाइरेथ्रम की जगह साइफिनोथ्रिन के इस्तेमाल की सलाह दी थी, इसे नहीं माना गया।
इस बार ज्यादा बारिश के चलते डेंगू मरीजों की संख्या बढ़ गई है। अति बारिश से शहर में पानी जमा है। इससे डेंगू के लार्वा को पनपने का पर्याप्त मौका मिला।
अखिलेश दुबे, जिला मलेरिया अधिकारी

अधिकारियों के दावे की हकीकत बताते आंकड़े

शहर – कुल बारिश – औसम बारिश – कितनी ज्यादा – डेंगू मरीज

भोपाल – 1756.5 – 962.4 – 83 फीसदी – 1574

इंदौर – 1434.5 – 827.2 – 73 फीसदी -254
जबलपुर – 1587.6 – 1111.2 – 43 फीसदी – 457

ग्वालियर – 823.9 – 819.9 – 10 फीसदी – 368

होशंगाबाद – 1934.1 – 1308.7 – 48 फीसदी -68

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