2 जुलाई को हुआ था शपथ ग्रहण समारोह
2 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में 28 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इनमें से 9 मंत्री सिंधिया खेमे के तीन मंत्री कांग्रेस से आए हुए। जबकि बाकी बीजेपी के थे। 28 में से 20 मंत्री कैबिनेट स्तर के जबकि आठ मंत्रियों को राज्यमंत्री बनाया गया है।
2 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में 28 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इनमें से 9 मंत्री सिंधिया खेमे के तीन मंत्री कांग्रेस से आए हुए। जबकि बाकी बीजेपी के थे। 28 में से 20 मंत्री कैबिनेट स्तर के जबकि आठ मंत्रियों को राज्यमंत्री बनाया गया है।
क्यों नहीं हो पा रहा है विभागों का बंटवारा
सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया यह चाहते हैं कि सरकार में मलाईदार डिपार्टमेंट उनके समर्थक मंत्रियों को दिए जाएं। जबकि शिवराज सिंह चौहान ऐसे डिपार्टमेंट अपने खेमे के मंत्रियों को देना चाहते हैं। यही वजह है कि फैसला दिल्ली पर छोड़ा गया है। लेकिन अभी तक विभागों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी है।
सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया यह चाहते हैं कि सरकार में मलाईदार डिपार्टमेंट उनके समर्थक मंत्रियों को दिए जाएं। जबकि शिवराज सिंह चौहान ऐसे डिपार्टमेंट अपने खेमे के मंत्रियों को देना चाहते हैं। यही वजह है कि फैसला दिल्ली पर छोड़ा गया है। लेकिन अभी तक विभागों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी है।
अंतिम निर्णय के लिए हाइकमान के पास
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने कुछ मंत्रियों से विभागों को लेकर चर्चा भी की है, जिसमें उन्होंने अपनी प्राथमिकता बता दी है। माना जा रहा है कि प्रदेश संगठन से चर्चा के बाद अब अंतिम निर्णय लेने के लिए एक बार फिर केंद्रीय संगठन से संवाद किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने कुछ मंत्रियों से विभागों को लेकर चर्चा भी की है, जिसमें उन्होंने अपनी प्राथमिकता बता दी है। माना जा रहा है कि प्रदेश संगठन से चर्चा के बाद अब अंतिम निर्णय लेने के लिए एक बार फिर केंद्रीय संगठन से संवाद किया जा रहा है।
विभाग के बंटवारे पर अड़े
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब विभागों का फैसला भी केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में चला गया है। दिल्ली में दो दिन की मशक्कत के बाद भी यह तय नहीं हो सका कि भाजपा के पास कौन से विभाग रहेंगे और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे में क्या जाएगा? बताया जा रहा है कि ज्यादा झगड़ा नगरीय विकास, पीडब्ल्यूडी, राजस्व, स्वास्थ्य, परिवहन, जल संसाधन, पीएचई, वाणिज्यिक कर, आबकारी, स्कूल शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग को लेकर है। सिंधिया अपने खेमे के नेताओं को कई बड़ा पद दिलाना चाहते हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब विभागों का फैसला भी केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में चला गया है। दिल्ली में दो दिन की मशक्कत के बाद भी यह तय नहीं हो सका कि भाजपा के पास कौन से विभाग रहेंगे और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे में क्या जाएगा? बताया जा रहा है कि ज्यादा झगड़ा नगरीय विकास, पीडब्ल्यूडी, राजस्व, स्वास्थ्य, परिवहन, जल संसाधन, पीएचई, वाणिज्यिक कर, आबकारी, स्कूल शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग को लेकर है। सिंधिया अपने खेमे के नेताओं को कई बड़ा पद दिलाना चाहते हैं।