इसके बाद राग रागेश्री में आलाप जोड़ झाला और एक ताल में निबद्ध सितार वादन प्रस्तुत किया। अनुपमा भागवत ने अपने साथी कलाकारों के साथ राग जोग में झप ताल और तीन ताल में वादन प्रस्तुत कर अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। इस प्रस्तुति में अनुपमा भागवत का साथ तबले पर रामेन्द्र सिंह सोलंकी ने, सितार पर मालविका चौपड़ा और ब्रिजेश माधव ने दिया।
सितार वादन के बाद शामल कड़वे ने अपने साथी कलाकारों के साथ मोहिनीअट्टम नृत्य की शुरुआत राग मलिका आदि ताल में चोलकट्टू पर नृत्य प्रस्तुत कर की। इस प्रस्तुति में गणेश जी की स्तुति के साथ, उनके रूपों का बखान किया गया। गजानन्द जो एकदन्त हैं, लेकिन उनका मुख कमल के समान है। जिनकी सेवा न केवल देवता, अर्थात भूतादि गण भी करते हैं। चोलकट्टू के बाद राग मलिका आदि ताल में शिव स्तुति पर कलाकारों ने अपने नृत्य कौशल से शिव के रूपों और बिम्बों को मंच पर जीवंत किया। इस प्रस्तुति में भगवान शिव को ही ब्रह्माण्ड का प्रतीक माना गया।
राग यमुना कल्याणी मिश्र छप ताल में आज आए श्याम मोहन पर किया नृत्य शिव स्तुति के बाद राग आनन्द मैखी आदि ताल में अष्टलक्ष्मी पर कलाकारों ने मोहक प्रस्तुति प्रस्तुत दी। अष्टलक्ष्मी का अर्थ है लक्ष्मी के आठ रूपों से, अर्थात सद्बुद्धि, निद्रा, शक्ति, लज्जा, शांति, क्रांति, मां लक्ष्मी और दया है। देवी लक्ष्मी का अभिषेक दो गजों द्वारा किया जाता है और वह कमल के आसन पर विराजमान हैं।