बनाई गई थी कमेटी
कलेक्टरों का पदनाम बदलने के लिए 5 आइएएस अफसरों की एक कमेटी बनाई गई थी। नाम को लेकर मंथन चलता रहा और डेढ़ साल तक सत्ता में रहने के बाद भी सरकार निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाई थी। उसके बाद मार्च 2020 में कमलनाथ की सरकार गिर गई। अब शिवराज सरकार ने उस आदेश और कमेटी को निरस्त कर दिया है जो कलेक्टरों का पदनाम बदलने के लिए बनाई गई थी।
कलेक्टरों का पदनाम बदलने के लिए 5 आइएएस अफसरों की एक कमेटी बनाई गई थी। नाम को लेकर मंथन चलता रहा और डेढ़ साल तक सत्ता में रहने के बाद भी सरकार निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाई थी। उसके बाद मार्च 2020 में कमलनाथ की सरकार गिर गई। अब शिवराज सरकार ने उस आदेश और कमेटी को निरस्त कर दिया है जो कलेक्टरों का पदनाम बदलने के लिए बनाई गई थी।
यह दिया गया था तर्क
कलेक्टरों का पदनाम बदलने के पीछे तर्क दिया गया था कि यह अंग्रेजों का दिया नाम है। तब जो कलेक्शन या कलेक्ट करने का काम करते थे उन्हें कलेक्टर कहा जाता था। यह गुलामी के समय की बात है और अब हम आजाद हैं। यही तर्क देते हुए कलेक्टरों का पदनाम बदलने के लिए मध्यप्रदेश में घोषणा की गई थी।
कलेक्टरों का पदनाम बदलने के पीछे तर्क दिया गया था कि यह अंग्रेजों का दिया नाम है। तब जो कलेक्शन या कलेक्ट करने का काम करते थे उन्हें कलेक्टर कहा जाता था। यह गुलामी के समय की बात है और अब हम आजाद हैं। यही तर्क देते हुए कलेक्टरों का पदनाम बदलने के लिए मध्यप्रदेश में घोषणा की गई थी।