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करोड़ों के प्रोजेक्ट में कहां हुआ भ्रष्टाचार, इसकी कराएंगे जांच

locationभोपालPublished: Dec 14, 2018 01:38:23 am

Submitted by:

Ram kailash napit

प्रदेश के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को लेकर भावी सीएम कमलनाथ बोले…

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Development of the state

भोपाल. प्रदेश के सबसे चर्चित मेट्रो-स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में देरी और जमीन अधिग्रहण की टीओडी-टीडीआर पॉलिसी पर जनता की नाराजगी को देखते हुए नई सरकार पड़ताल करेगी। प्रदेश के भावी सीएम कमलनाथ ने पत्रिका से कहा कि हम पता लगाएंगे कि प्रोजेक्ट क्यों लेट हो रहे हैं… कहां भ्रष्टाचार हुआ और जनता नए नियमों को लेकर क्यों नाराज है। बता दें कि दोनों ही प्रोजेक्ट पर प्रदेश सरकार खराब माली हालत के बावजूद सालाना 1500 करोड़ खर्च कर रही है।
भाजपा सरकार ने दो माह पहले काम तेज करने के लिए ट्रांसफर डेवलपमेंट और ट्रांजिट ओरिएंटेड पॉलिसी मंजूरी की थी। दोनों ही पॉलिसी जमीन अधिग्रहण से जुड़ी हैं, जो बगैर मुआवजा जमीनी कब्जा, जनसुनवाई में कटौती और अफसरों को पावरफुल करने का रास्ता खोलती हैं। इसे लेकर पूर्व सीएस निर्मला बुच, पूर्व डीजी अरुण गुर्टू से लेकर पब्लिक फोरम सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। आरोप ये भी हैं कि स्मार्ट सिटी, मेट्रो, टीओडी, टीडीआर पॉलिसी के मुद्दे पर पुरानी सरकार जनता के अधिकारों में कटौती कर बड़े
उद्योग समूहों को फायदा पहुंचाना चाहती थी।

ऐसे समझें प्रोजेक्ट और उनकी सरकारी पॉलिसी
मेट्रो रेल
वर्ष 2013 में फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनी। पहले चरण की लागत 6962.92 करोड़ रुपए भोपाल और इंदौर में 7100 करोड़ रुपए आंकी गई। पहला चरण 2019 में पूरा होना था। केंद्र ने मंजूरी ही 2018 में दी। भोपाल के लिए 249 और इंदौर के लिए 277 करोड़ रुपए के टेंडर जारी हुए और दिलीप बिल्डकॉन को वर्क ऑडर मिला। राज्य सरकार को अब हर साल मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए लगभग 1500 करोड़ रुपए देने हैं। पहले चरण में ही दोनों शहरों के लिए 60 प्रतिशत कर्ज यानी 8400 करोड़ रुपए भी चुकाने होंगे।
टीडीआर
भूमि अधिग्रहण के लिए ट्रांसफर डेवलपमेंट राइट्स पॉलिसी के तहत भूमि स्वामी को नगद मुआवजे के बदले एफएआर यानी किसी दूसरी जगह पर तीन या चार मंजिला भवन बनाने की छूट देने की बात तय हुई है। भूमि स्वामी विरोध नहीं कर सकेंगे, न्यायालय गए तो मुआवजे में एफएआर भी नहीं मिलेगा। लोगों की जमीनें प्राइवेट कंपनियों को डेवलप करने दी जाएंगी। कंपनियों को लुभाने अतिरिक्त एफएआर भी दिया जाएगा।
टीओडी
भोपाल, इंदौर के नए-पुराने हिस्सों को विकसित करने जमीनों का अधिग्रहण करेंगे। यहां मेट्रो, लो फ्लोर, आई बस, टैक्सी, ऑटो, स्मार्ट बाइक स्टैंड बनेंगे। निजी कंपनियां मॉल, स्टोर और होटल खोल सकेंगी जिसके लिए उन्हें छूट मिलेगी। भूमि स्वामी को जमीन के बदले नगद मुआवजा नहीं मिलेगा।
स्मार्ट सिटी
प्रदेश के सात स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में सरकार को सालाना 700 करोड़ रुपए खर्च करने हैं। इतनी ही राशि केंद्र से मिलेगी। इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, उज्जैन में उस फार्मूले पर काम शुरू नहीं हुआ जिसे प्रस्ताव में दिखाया था। यहां एरिया बेस्ड डेवलपमेंट, रेट्रो सिटी फंड को पेन सिटी फॉर्मूले के तहत खर्च किया जा रहा है।

मेट्रो हो या स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, इसमें देरी से लागत बढ़ गई। राशि का जो दुरुपयोग हुआ,जो भ्रष्टाचार हुआ, इसकी जांच करवाएंगे। इसकी व्यवहारिक दिक्कतों का व जनता की परेशानियों का भी अध्ययन करवाएंगे।
कमलनाथ, भावी मुख्यमंत्री
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