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विकास कार्यों को भेल की अनुमति का इंतजार

locationभोपालPublished: Mar 12, 2018 11:35:12 am

भेल क्षेत्र में 15 करोड़ की लागत से किया जाना है सीपीए की सडक़ और भेल कॉलेज भवन का निर्माण।

Development works

Development works permission for waiting

भेल। टाउनशिप में भेल मेनेजमेंट को छोडक़र नगर निगम और सीपीए जैसी विभागों को विकास कार्य कराने पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। चाहे सडक़, नाली या भवन निर्माण हो, शासन की मंजूरी के बाद भी जब तक भेल कार्पोरेट प्रबंधन नहीं चाहेगा, तब तक अनुमति नहीं मिलती।

टाउनशिप में होने वाले दो बड़े विकास कार्य में एक सीपीए रोड और दूसरा भेल कॉलेज का निर्माण है। ये दोनों कार्य करीब 15 करोड़ की लागत से होना है। वहीं टाउनशिप में स्थित तीन वार्डों की बस्तियों में नगर निगम को 2 करोड़ की लागत से सडक़ें और नालियां बनानी है, जिसे भेल प्रबंधन की अनुमति का इंतजार है।

भेल कॉलेज के भवन निर्माण पर ग्रहण
भेल प्रबंधन की हां नहीं होने से शासकीय पीजी कॉलेज के नए भवन का निर्माण अटक गया है। प्रदेश शासन ने राशि मंजूर कर दी है, लेकिन प्रबंधन की हरी झंडी अब तक नहीं मिली है। इसके लिए कॉलेज प्रबंधन और विद्यार्थी गर्वनर हाउस तक गुहार लगा चुके हैं। भेल प्रबंधन से हो रही देरी की शिकायत करने जनप्रतिनिधि भी गए थे। बहरहाल गर्वनर ने फाइल प्रदेश शासन को भेज दी है। कॉलेज भवन कब तक बनेगा? यह भविष्य के गर्त में हैं।

सीपीए के ८० फीट रोड का निर्माण भी अटका
सीपीए को मास्टर प्लान के तहत करीब 7.50 करोड़ रुपए की लागत से कॅरियर कॉलेज के पास से कस्तूरबा अस्पताल होकर शक्ति नगर तक 80 फीट रोड बनानी है। इस रोड को सीपीए ने 2012 में मास्टर प्लान में शामिल किया था। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद विभाग ने 2015 में भेल प्रंबधन को अनुमति के लिए भेजा। जो अभी तक नहीं मिली। इस सडक़ निर्माण में कई पेड़ कटेंगे, इसके लिए पर्यावरण विभाग से भी अनुमति लेनी होगी।

स्थानीय प्रबंधन को नहीं है मंजूरी देने का अधिकार
भेल की जमीन पर गड्ढा भी खोदना हो, तो दिल्ली कॉर्पोरेट से अनुमति लेनी होती है। स्थानीय प्रबंधन को सीधे अनुमति नहीं देने का अधिकार नहीं है। बताया जाता है कि सार्वजानिक उपक्रमों में शामिल भेल का संचालन भारी उद्योग मंत्रालय करता है, इसका मुख्यालय दिल्ली है। टाउनशिप में अनुमति के लिए किसी भी शासकीय विभाग को स्थानीय प्रबंधन को कार्य निर्माण का प्रस्ताव फाइल भेजना पड़ता है।

 

भेल टाउनशिप की जमीन केंद्र सरकार के भारी उद्योग विभाग के अधीन है। यहां किसी भी शासकीय एजेंसी या विभाग को सडक़, भवन निर्माण सहित अन्य विकास कार्य कराना हो, तो कार्पोरेट प्रबंधन से अनुमति जरूरी है। स्थानीय प्रबंधन को इसके लिए अधिकार नहीं है।
– विनोदानंद झा, प्रवक्ता भेल

टाउनशिप के पिपलानी, बरखेड़ा, गोविंदपुरा आदि क्षेत्र की सिविल एरिया में नगर निगम के वार्ड लगते हैं,प्रबंधन की मनमानी के चलते नगर निगम विकास कार्य नहीं करा पा रही है। चारों वार्डों में करीब दो करोड़ रुपए के विकास कार्य भेल की हरी झंडी पाने के इतंजार में हैं।
– केवल मिश्रा, पार्षद और एमआईसी मेंबर, वार्ड 56

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