उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड (NCRB) के पास आखिरी उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 2016 में मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराध और अपहरण के 6016 प्रकरण सामने आए हैं।
मध्यप्रदेश के डीजीपी वीके सिंह का तर्क है कि एक नया ट्रेंड 363 के रूप में नजर आ रहा है, लड़कियां स्वतंत्र ज्यादा हो रही हैं, स्कूल और कॉलेज जाती हैं तो आज के समाज में बढ़ती स्वतंत्रता एक तथ्य है।
डीजीपी वीके सिंह ने कहा कि ऐसे में उनका जो सामना हो रहा है, इंटरेक्शन हो रहा है दूसरे लड़कों के साथ यह भी एक सच्चाई है।
सिंह ने आगे कहा कि ऐसे मामलों में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, जिसमें लड़कियां लड़कों से बातीत करती हैं और फिर वे घर से भाग जाती हैं, जिसके बाद अभिभावक पुलिस के पास किडनैपिंग की शिकायत करने आते हैं।
मध्यप्रदेश के डीजीपी का बयान ऐसे समय में आया है जब प्रदेश में बच्चों के अपहरण और उसके बाद रेप करके मर्डर की घटनाएं हो रही हैं। डीजीपी का यह बयान ग्वालियर-चंबल रेंज के दौरे पर सामने आया है।
क्या कहते हैं गृहमंत्री
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन से जब मीडिया ने डीजीपी के बयान पर प्रतिक्रिया चाही तो उन्होंने कहा कि अपराध नहीं बढ़ना चाहिए, पहले तो अपराध होना ही नहीं चाहिए। हमारी समीक्षा बैठक में सरकार की मंशा स्पष्ट कर दी गई थी कि यदि किसी थाना क्षेत्र में कोई अपराध होता है या घटनाएं होती हैं तो वहां का छोटे से लेकर बड़ा अधिकारी तक जिम्मेदार होगा। गृहमंत्री ने कहा कि अपराध पर कसावट करने में लगे हैं। हम सब मध्यप्रदेश की जनता की सुरक्षा और हिफाजत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भाजपा बोली- ये गैर-जिम्मेदाराना बयान है
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राहुल कोठारी ने मध्यप्रदेश पुलिस के मुखिया की ओर से आए इस बयान को ‘गैर जिम्मेदाराना’ बताया। कोठारी ने डीजीपी को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें इस तरह के सामान्य और गैर-जिम्मेदाराना बयानों से बचना चाहिए। वे राज्य पुलिस के प्रमुख हैं। कोठारी ने कहा कि महिलाओं पर बढ़ रहे अपराध रुकना चाहिए, उन्हें इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उधर, कांग्रेस मीडिया सेल की प्रमुख शोभा ओझा के मुताबिक मुझे नहीं पता कि उनके बयान का क्या मतलब है, लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ ने केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात कर अपराध रोकने के लिए केंद्रीय अनुदान की मागं की है।