राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल की ओपीडी में हर सप्ताह 25 से 30 नए डायबिटीज मरीज पहुंच रहे हैं। पहले यह संख्या 10 से 15 होती थी। विशेषज्ञों के अनुसार कोविड काल में जिन लोगों को कोरोना हुआ और जिन्हें नहीं हुआ दोनों ही डायबिटीज के आसान शिकार बन रहे हैं। जो लोग कोरोना से पीडि़त हुए उनके पैंक्रियाज पर कोरोना वायरस ने असर डाला। इसके साथ इसके उपचार के दौरान उन्हें स्टीरॉयड दिए गए। इससे इंसुलिन का स्राव प्रभावित हुआ और उनकी ब्लड शुगर का लेवल बढ़ गया। दूसरी तरफ वे लोग हैं जो कोरोना से पीडि़त तो नहीं हुए लेकिन उससे बचने के लिए अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए मनमाने तरीके से इम्यूनिटी बूस्टर दवाएं खा रहे हैं। बिना जरूरत के जब शरीर में कोई दवा जाती है तो यह उसकी प्राकृतिक क्रियाओं को बिगाड़ देती हैं। कई क्रियाओं को यह धीमा कर देती है और कुछ को तेज कर देती है। इससे भी डायबिटीज के मरीज बढ़ रहे हैं।
यह तकनीकें दिला रही राहत इंसुलिन पंप- यह पेजर की तरह एक ऐसा उपकरण है जो शरीर में एक बार लगवाने पर यह अपने आप रोज इंसुलिन ब्लड में छोड़ता रहता है। इससे रोज इंसुलिन के इंजेक्शन लेने की जरूरत नहीं होती है। खासतौर पर टाइप-1 डायबिटीज से पीडि़त बच्चों के लिए यह बहुत अच्छा उपकरण है। इसकी कीमत ढाई से तीन लाख रूपए है। इसके साथ हर सप्ताह इसकी ट्यूब आदि बदलने के लिए भी करीब 3 हजार रूपए का खर्च करना पड़ता है। इसलिए अभी आम लोग इसे नहीं लगवा पा रहे हैं। क्योंकि विदेशों में तो यह हैल्थ इंश्योरेंस में कवर हो जाता है लेकिन हमारे यहां यह इंश्योरेंस में भी शामिल नहीं है।
सीजीएमएस- कंटीनुअस ग्लूकोज मॉनीटरिंग सिस्टम एक ऐसा उपकरण है जिससे सेंसर के माध्यम से शरीर में पल-पल के शुगर लेवल का आकलन किया जाता है। इसमें हर पांच सेकंड में ग्लूकोज लेवल दर्ज होता है उसकी का प्रति घंटा और प्रतिदिन शुगर का औसत यह उपकरण रिकॉर्ड कर बताता है। इसकी कीमत 5 से 10 हजार रूपए है।
हफ्ते में एक बार इंसुलिन- डॉक्टरों के अनुसार अब ऐसा इंसुलिन भी आ गया है जिसे सप्ताह में केवल एक ही बार लेना पड़ता है, रोज-रोज इंजेक्शन नहीं लगाना पड़ता है। लेकिन यह कुछ विशेष केस में ही दिया जाता है। हर मरीज को यह नहीं दिया जाता है।
जल्द आ रहा है स्मार्ट इंसुलिन एंडोक्राइन विशेषज्ञों के अनुसार जल्द ही स्मार्ट इंसुलिन आने वाला है। इस पर अभी शोध, प्रयोग और टेस्ट चल रहे हैं। इसकी खास बात यह है कि यह ब्लड सर्कुलेशन में पहुंचने के बाद जब जैसी जरूरत होती उतना ही इंसुलिन रिलीज करेगा। इसमें इंसुलिन के नैनो पार्टिकल रहेंगे जिनमें शुगर लेवल का आकलन करने की भी क्षमता रहेगी। इससे शुगर लेवल के अनुसार ही इंसुलिन रिलीज किया जाएगा। यह बायोटेक्नोलोजी का बड़ा काम है।
---------- क्या कहते हैं विशेषज्ञ
गांधी मेडिकल कॉलेज के एंडोक्राइनोलोजिस्ट और डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ मनुज शर्मा के अनुसार कोरोना संक्रमण के दौर में स्टीरॉयड और वायरस के असर के कारण डायबिटीज के मरीज बढ़े हैं। इंसुलिन पंप से बार—बार इंसुलिन के इंजेक्शन लगाने से मुक्ति मिल सकती है। डायबिटीज पर नियंत्रण के लिए स्मार्ट इंसुलिन पर रिसर्च जारी है। इसके आने के बाद मरीजों को काफी राहत मिल सकती है।
गांधी मेडिकल कॉलेज के एंडोक्राइनोलोजिस्ट और डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ मनुज शर्मा के अनुसार कोरोना संक्रमण के दौर में स्टीरॉयड और वायरस के असर के कारण डायबिटीज के मरीज बढ़े हैं। इंसुलिन पंप से बार—बार इंसुलिन के इंजेक्शन लगाने से मुक्ति मिल सकती है। डायबिटीज पर नियंत्रण के लिए स्मार्ट इंसुलिन पर रिसर्च जारी है। इसके आने के बाद मरीजों को काफी राहत मिल सकती है।