डायल-100 दूसरे चरण में ये देने का है दावा
डायल-100 सेवा के दूसरे चरण यानी 2021-2026 में शुरुआत में एक हजार वाहनों की जगह 1200 नए वाहन लगाए जाना थे। शहरी क्षेत्र के लिए इनोवा तो ग्रामीण के लिए बोलेरो वाहन को मंजूरी मिली थी। बाद में वाहनों की संख्या 2000 तक किए जाने की बात कही गई थी। वाहनों में डैश बोर्ड कैमरे तो वाहन पर तैनात पुलिसकर्मियों के लिए बॉडी वार्न कैमरों की व्यवस्था की जानी थी, जिससे लोकेशन की लाइव फुटेज कंट्रोल रूम को मिलती रहे। इसके अलावा कॉलसेंटर की क्षमता को बढ़ाया जाना था। इसके लिए राज्य सरकार ने 1084 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था।
कंपनी ने नहीं दिया नोटिस का जवाब
एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट में गलत जानकारी देने पर दूरसंचार शाखा ने जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। इसके साथ ही टेंडर के दौरान प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के अनुसार जीपीएस सिस्टम से लैस वाहनों की जानकारी मांगी थी। ये जानकारी कंपनी द्वारा नहीं दी गई है। सूत्रों के मुताबिक गलत जानकारी देने के कारण कंपनी पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। यहां बता दें, जय अंबे को प्रदेश में एंबुलेंस सेवा के संचालन का भी काम मिला है। हालांकि इसे भी तय समय से तकरीबन दो से तीन महीने बाद शुरू किया जा सका।
डायल-100 सेवा के दूसरे चरण यानी 2021-2026 में शुरुआत में एक हजार वाहनों की जगह 1200 नए वाहन लगाए जाना थे। शहरी क्षेत्र के लिए इनोवा तो ग्रामीण के लिए बोलेरो वाहन को मंजूरी मिली थी। बाद में वाहनों की संख्या 2000 तक किए जाने की बात कही गई थी। वाहनों में डैश बोर्ड कैमरे तो वाहन पर तैनात पुलिसकर्मियों के लिए बॉडी वार्न कैमरों की व्यवस्था की जानी थी, जिससे लोकेशन की लाइव फुटेज कंट्रोल रूम को मिलती रहे। इसके अलावा कॉलसेंटर की क्षमता को बढ़ाया जाना था। इसके लिए राज्य सरकार ने 1084 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था।
कंपनी ने नहीं दिया नोटिस का जवाब
एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट में गलत जानकारी देने पर दूरसंचार शाखा ने जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। इसके साथ ही टेंडर के दौरान प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के अनुसार जीपीएस सिस्टम से लैस वाहनों की जानकारी मांगी थी। ये जानकारी कंपनी द्वारा नहीं दी गई है। सूत्रों के मुताबिक गलत जानकारी देने के कारण कंपनी पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। यहां बता दें, जय अंबे को प्रदेश में एंबुलेंस सेवा के संचालन का भी काम मिला है। हालांकि इसे भी तय समय से तकरीबन दो से तीन महीने बाद शुरू किया जा सका।