इंद्रपुरी निवासी सुभाष सिंह पिता फूल सिंह राजपूत (55) भवानी शंकर अपार्टमेंट के बिल्डर थे। 4 जून दोपहर करीब दो बजे नगर निगम की टीम अयोध्या नगर चौराहा स्थित भवानी शंकर अपार्टमेंट में निरीक्षण करने गई थी। बिल्डर सुभाष भी टीम के साथ थे। वे छठी मंजिल पर टीम को लेकर गए, वहां से वे सीढ़ी के माध्यम से पांचवीं मंजिल पर पहुंचे। सुभाष फोन पर बात कर रहे थे। उन्होंने नीचे जाने के लिए लिफ्ट का बटन दबाया, जिससे पांचवें फ्लोर पर लगा लिफ्ट का गेट खुल गया। सुभाष ने लिफ्ट आने के धोखे में जैसे ही अपना पैर आगे बढ़ाया वे लडखड़़ाते हुए नीचे गिर गए और उनकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने जांच में लिफ्ट लगाने वाले की खामी को रेखांकित किया। इसके बाद विद्युत सुरक्षा विभाग सतपुड़ा भवन से जांच कराया। जांच में लिफ्ट लगाने वाले कंपनी की खामी मिली।
एक साल का था मेंटेनेंस एग्रिमेंट
जांच में यह सामने आया है कि क्रोन लिफ्ट के मालिक ने अपार्टमेंट में जो लिफ्ट लगाया था, उसके मेंटेनेंस का एग्रिमेंट एक साल के लिए था। मालिक ने बिल्डर को जनवरी में ही लिफ्ट हैंडओवर किया था। बीच में लिफ्ट खराब होने की शिकायत भी हुई थी। इसके बाद भी लिफ्ट का मेंटेनेंस नहीं कराया। जांच टीम ने इसे आधार माना है और कंपनी की बड़ी लापरवाही मानी है।
मशीन में थी खराबी सुभाष ने पांचवें माले से लिफ्ट का बटन दबाया था, जिससे पांचवें फ्लोर पर लगा लिफ्ट का गेट खुल गया। सुभाष ने लिफ्ट आने के धोखे में जैसे ही अपना पैर आगे बढ़ाया वे लडखड़़ाते नीचे गिर गए। जांच टीम ने इसे भी आधार माना है। जांच टीम ने रिपोर्ट में ये बताया कि ये तभी होगा जब मशीन में कोई खराबी होगी। मशीन में खराबी होने के कारण ही लिफ्ट नहीं आती है।
सेफ्टी बाइपास होने के कारण लिफ्ट आने से पहले ही खुल जाता है गेट
लिफ्ट एक्सपर्ट अरुण तिवारी ने बताया कि लिफ्ट को दो तरह से संचालित किया जाता है। एक इलेक्ट्रिकल और दूसरा मैकेनिकल। इलेक्ट्रिकल में दरवाजा और चैनल एक दूसरे से लिंक कर दिया जाता है। चैनल तभी खुलता है जब लिफ्ट आता है। वहीं मैकेनिकल में सेफ्टी के लिए ये कर दिया जाता है कि जिस फ्लोर पर डोर न खड़ी हो वहां का दरवाजा न खुले। एक्सपर्ट ने बताया कि कई बार लिफ्ट संचालक सेफ्टी में बाइपास लगा देते हैं। ऐसे में पहले चैनल खुलता है और बाद में लिफ्ट। इससे हमेशा खतरा बना रहता है।