व्यंजनों का लुफ्त उठाएंगे
वहीं मलयाली समाज की मंडलम पूजा का समापन होगा और समाज के लोग मकर विल्लकु पर्व मनाएंगे। इसी प्रकार सनातन धर्मावलंबी सूर्य आराधना का पर्व मकर संक्रांति मनाएंगे। इन पर्वों के चलते शहर में उत्साह, उमंग और खुशियां बिखरेगी, साथ ही लोग व्यंजनों का लुफ्त उठाएंगे।
पंजाबी समाज का लोहड़ी मेला 12 को
प र्वों की शुरुआत 13 जनवरी को लोहड़ी पर्व के साथ होगी। सिख पंजाबी समाज की ओर से लोहड़ी 13 जनवरी को मनाया जाएगा। इस मौके पर पारंपरिक तरीके से तिल, गुड़, मक्के के दाने, मूंगफली अर्पित कर परिक्रमा की जाएगी।
मकरविल्लकु पर सजेंगी दीपमालाएं
मलयाली समाज का मकरविल्लकु पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। शहर के अय्यपा मंदिरों में विशेष आयोजन होंगे, साथ ही पिछले दो माह से चले आ रहे मकरविल्लकु पर्व का समापन भी होगा। सुबह से मंदिरों में महागणपति होम, अभिषेक किया जाएगा और शाम तक भागवत पारायण होगा। शाम को केले के पत्ते, फूलमालाओं से मंदिर को सजाया जाएगा। इसके साथ ही फूलों की रंगोली मंदिर में सजाई जाएगी। समाज के लोग पारंपरिक परिधानों में देर शाम को पूजा अर्चना करेंगे। इस दौरान मंदिर में कर्पूर ज्योति कार्यक्रम भी होगा, जिसमें पूरे मंदिर परिसर को दीपमालाओं से सजाया जाएगा।
खान पान के स्टॉल भी लगेंगे
इस दौरान युवा भांगड़ा और गिद्दा पर थिरकेंगे। इसी प्रकार भोपाल पंजाबी समाज की ओर से लोहड़ी मेला महोत्सव का आयोजन 12 जनवरी को होशंगाबाद रोड स्थित नर्मदा क्लब में किया जाएगा। समाज के अध्यक्ष ओपी कपूर ने बताया कि इसमें बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित होंगे। शाम 7 बजे कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे, बच्चों के लिए झूले लगेंगे, साथ ही खान पान के स्टॉल भी लगेंगे।
सूर्य की आराधना, तीर्थों में स्नानदान
सू र्य आराधना का पर्व मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस बार संक्रांति 14 जनवरी की मध्यरात्रि के बाद आएगी, इसलिए इसका पुण्यकाल 15 जनवरी को सुबह सूर्योदय के बाद शुरू होगा। इस मौके पर श्रद्धालु उत्तरायण सूर्य की आराधना करेंगे, और पवित्र स्नान करने तीर्थ स्थलों पर जाएंगे। इस अवसर पर घरों में भी विशेष पूजा -अर्चना की जाएगी और तिल के लड्डू, तिल से बने पकवानों का भगवान को भोग लगाया जाएगा। शहर में जगह-जगह पतंग उत्सव का आयोजन किया जाएगा।
तमिल समाज मनाएगा पोंगल
तमिल समाज के श्रद्धालु 14 और 15 जनवरी को पोंगल पर्व मनाएंगे। इस मौके पर भगवान सूर्यदेव की आराधना की जाएगी, घरों में पीला चावल पकाकर केले के पत्ते पर भगवान को भोग लगाया जाएगा। इसी प्रकार घरों के सामने फूलों की रंगोली सजाई जाएगी। तमिल समाज के स्वामी दुरई ने बताया कि तमिलनाडू में यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। इस मौके पर नई फसल की पूजा-अर्चना भी की जाती है, लोग घरों में नए धान से चावल पकाते हैं। मुख्य आयोजन 15 जनवरी को किया जाता है।