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कहीं भारी ना पड़ जाए इनकी नाराजगी: सौगात देती रही सरकार, फिर भी नाराजगी बरकरार

locationभोपालPublished: Oct 01, 2020 08:14:23 am

Submitted by:

Pawan Tiwari

मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर 3 नवंबर को वोटिंग होगी।

कहीं भारी ना पड़ जाए इनकी नाराजगी: सौगात देती रही सरकार, फिर भी नाराजगी बरकरार

कहीं भारी ना पड़ जाए इनकी नाराजगी: सौगात देती रही सरकार, फिर भी नाराजगी बरकरार

भोपाल. पांच माह के कार्यकाल में भाजपा ने हर वर्ग का साधने का प्रयास किया है। चुनाव आचार संहिता लागू होने के पहले तक सरकार के निर्णय होते रहे, लेकिन लोगों की नाराजगी दूर नहीं हुई। किसान सड़कों पर हैं, कर्मचारी आंखे दिखा रहे हैं। शिक्षक भी नाराज हैं। नाराजगी दूर करने के प्रयास हो रहे हैं। कांग्रेस इनके साथ खड़ी नजर आती है। मांगों के प्रति सहानुभूति और समर्थन जता रही है। कर्मचारी यह भी जानते हैं कि डेढ़ साल तक कांग्रेस शासनकाल में भी इस वर्ग की नाराजगी रही है।
किसान: नए कानूनों से किसानों को फसल का उचित दाम नहीं मिलेगा। व्यापारी लाभ में होंगे। मंडियों का अस्तित्व संकट में।
शिक्षक, अध्यापक: एक साल पहले पात्रता परीक्षा का रिजल्ट घोषित होने के बाद शिक्षकों को नियुक्ति नहीं।
कर्मचारी: वर्षों से पदोन्नति बंद है। आर्थिक लाभ भी रोक दिए गए है। बढ़ा हुआ डीए रोका।
दैनिक वेतन भोगी: वादे के विपरीत इन्हें दफ्तरों से बाहर किया जा रहा है। वादा तो यह भी था कि इन्हें स्थाईकर्मी बनाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
क्या कहना है
जितेन्द्र सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, मप्र अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा का कहना है कि सरकार ने कोरोना के नाम पर आर्थिक हमले कर्मचारी जगत पर किए। इससे नाराजगी है। वहीं, दिनेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष पंचायत सचिव संगठन ने कहा कि सरकार ने सभी वर्ग को 7वां वेतनमान दे दिया, लेकिन पंचायत सचिवों को नहीं मिला। अनुकंपा नियुक्ति में नियमों का पेंच होने से लाभ नहीं मिल रहा।
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