– पांडे ने फेसबुक वॉल पर यह की टिप्पणी
बलात्कार विरोध-प्रदर्शन व कैंडल-मार्च से नहीं, बलात्कारियों को सजा दिलाने से खत्म होंगे। किंतु, जब सजा की बात आती है तो लोग कहते हैं, लड़कों से गलती हो जाती है, क्या फांसी दोगे? कितने बलात्कारियों, उनके साथ खड़े उनके परिवार, उनके रिश्तेदार, उसकी सहायता करने वालों का समाज ने बहिष्कार किया? जाहिर है, किसी का नहीं। आज बलात्कार का विरोध हुकूमते वक्त का विरोध बन गया है, जो बलात्कारी एवं उसके सहायकों का विरोध नहीं है। यदि बलात्कार का विरोध करना है तो सब मिलकर बलात्कारी को सजा से बचाने के लिए साम, दाम, दण्ड, भेद की नीति अपनाने वालों का विरोध करें।
उनको असफल करें, जिसमें समाज कभी नहीं खड़ा होता है और बलात्कारी को सजा दिलाने की कोशिश करने वाले तरह तरह के आरोप लगाकर प्रताडि़त किए जाते हैं। समाज कभी उनके पक्ष में नहीं खड़ा होता है। बलात्कार खत्म करना है तो समाज बलात्कारी को बचाने की कोशिश करने वालों की शिनाख्त कर उनके विरोध में खड़ा होना सीखे। ऐसे लोगों को सजा दिलाने का साहस पैदा करे। यह एक भोगा हुआ सच है।
मुझे डीजीपी के निर्देश की जानकारी नहीं थी। मुझे जैसे ही इसकी जानकारी मिली, मैंने फेसबुक वॉल से अपनी पोस्ट हटा दी।
– एके पांडे, डीआइजी, खरगोन डीआइजी खरगोन ने अपने फेसबुक वॉल पर क्या टिप्पणी की है, वह मेरी जानकारी में नहीं है। आपने बताया है तो हम दिखवाते हैं। सभी पुलिस अफसरों को सोशल मीडिया पर टिप्पणी न करने की हिदायत दी गई है। इसका उल्लंघन करना अनुशासनहीनता माना जाएगा।
– ऋषि शुक्ला, डीजीपी