इन मैप को सेटेलाइट इमेजरी, राजस्व और वन विभाग के मैप को मिलाकर तैयार किया गया है। मैप तैयार करने वाली टीम में राजस्व विभाग के अधिकारियों को भी शामिल किया गया है।
वन विभाग अपनी सीमाओं को दुरुस्त करने की तैयारी कर रहा है। तीन माह के अंदर सभी 63 वन संभागों के मैप तैयार हो जाएंगे। कई जिलों में वन सीमा से जुड़े राजस्व गांवों में इसकी टेस्टिंग भी शुरू हो गई है।
यह देखा जा रहा है कि जो मैप तैयार किए गए हैं, उसकी मैदानी हकीकत क्या है। मैप ठीक से तैयार हुआ है अथवा उसमे सुधार की गुंजाइश अभी बांकी है। सत्यापन के बाद इन जिलों में डीएफओ और कलेक्टर अथवा राजस्व विभग के अधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षर के बाद ही उसे अंतिम माना जाएगा।
डिजिटल मैप में सबसे ज्यादा फोकस वन सीमा से लगे हुए गांव और राजस्व कृषि भूमि पर फोकस किया गया है। इसमें उन औद्योगिक क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है, जो वन सीमा से लगे हुए हैं।
मैप तैयार करते समय सभी जिलों में वन भूमि की भी पड़ताल की जा रही है। इसमें राजस्व और वन विभाग के अधिकारी सीमा विवाद के साथ ही राजस्व भूमि के विवादों का निराकरण कर रहे हैं।
वन भूमि की सरहद्दी करेगा विभाग
मैप तैयार होने के बाद राजस्व विभाग की सहमति मिलते ही वन विभाग अपने भूमि पर सरहद्दी करेगा। इसके बाद उन क्षेत्रों में प्लांटेशन भी किया जाएगा। जहां पहले से पौधे हैं वहां पत्थर की दीवार बनाने के अलावा तार की फैंसिंग करने का काम तत्काल शुरू कर दिया जाएगा।