विधानसभा चुनाव के दौरान भी गौर के कांग्रेस के संपर्क में होने की अटकलें लगीं थी। बाद में भाजपा ने उनकी बहू कृष्णा गौर को टिकट देकर स्थिति को संभाल लिया था।
यह राजनीतिक खिचड़ी बाबूलाल गौर के चौहत्तर बंगला स्थित सरकारी निवास पर ही पकी थी।
यह राजनीतिक खिचड़ी बाबूलाल गौर के चौहत्तर बंगला स्थित सरकारी निवास पर ही पकी थी।
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह १८ जनवरी को भोज के लिए गौर के निवास पहुंचे थे। सिंह करीब दो घंटे रुके । भोजन के दौरान ही दिग्विजय ने गौर को यह प्रस्ताव दिया था कि वे भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें, कांग्रेस उन्हें प्रत्याशी बनाने को तैयार है।
भोजन के दौरान ही दिग्विजय ने गौर को यह प्रस्ताव दिया था कि वे भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें, कांग्रेस उन्हें प्रत्याशी बनाने को तैयार है। गौर ने इसका कोई सीधा जवाब नहीं दिया था। बल्कि यही कहा कि इस प्रस्ताव पर उन्हें सोचने के लिए वक्त चाहिए। सोच विचार के बाद ही वे कोई निर्णय ले पाएंगें।
35 साल से कांग्रेस का सूखा
भोपाल लोकसभा सीट में कांग्रेस के लिए ३५ साल से सूखा चला आ रहा है। 1993 से 2003 तक दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री रहे, लेकिन सारी ताकत लगाने के बाद भी उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाई। इसी सूखे को खत्म करने लिए कांग्रेस बड़े चेहरे की तलाश कर रही है। भाजपा द्वारा हासिए पर ढकेले गए सरताज सिंह के कांग्रेस में आने के बाद पार्टी की नजर गौर पर है।
वैसे भी उसके पास भोपाल लोकसभा से उतारने के लिए कोई बड़ा चेहरा नहीं है। उधर, भाजपा के बागी पूर्व सांसद डॉ रामकृष्ण कुसमारिया पहले से ही कांग्रेस के संपर्क में हैं। इसके पहले भी गौर विधानसभा में इसी तरह कांग्रेस को जवाब देकर भाजपा को डरा चुके हैं।