आरएसएस (RSS) को आड़े हाथों लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आरएसएस की विचारधारा सनातन धर्म के खिलाफ है, क्योंकि सनातन धर्म में सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है, जबकि आरएसएस की विचारधारा इससे अलग है। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति दूसरे धर्मों का सम्मान नहीं कर सकता वो सनातन धर्म का नहीं हो सकता, वह हिन्दू नहीं हो सकता। दिग्विजय ने कहा कि हिंदुत्व शब्द किसी भी ग्रंथ में नही मिलता है। सावरकर जी ने हिंदुत्व शब्द अपने इस्तेमाल के लिए गढ़ा है। हिंदुत्व शब्द से हिन्दुओं का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि धर्म का उपयोग राजनीति के लिए किया जाए हम उसके खिलाफ है। उनके लिए धर्म कभी राजनीति का हथियार नहीं रहा, वह केवल आस्था का विषय है।
कांग्रेस में आना चाहती थीं उमा –
दिग्विजय ने कहा कि शायद यह आप लोगों को पता नहीं होगा कि उमाभारती कांग्रेस में आना चाहती थीं। जब वे कांग्रेस में शामिल होने के लिए आ रहीं थीं, तब वे राजमाता तो जानकारी देने के लिए ग्वालियर में उतर गईं। राजमाता ने उन्हें वहीं रोक लिया, और वे कांगे्रस ज्वाइन नहीं कर पार्ई।
दिग्विजय ने कहा कि शायद यह आप लोगों को पता नहीं होगा कि उमाभारती कांग्रेस में आना चाहती थीं। जब वे कांग्रेस में शामिल होने के लिए आ रहीं थीं, तब वे राजमाता तो जानकारी देने के लिए ग्वालियर में उतर गईं। राजमाता ने उन्हें वहीं रोक लिया, और वे कांगे्रस ज्वाइन नहीं कर पार्ई।