आरोप खारिज कर दिए गए
इसके अलावा जिन 12 विद्यार्थियों को गलत लाभ देने की शिकायत थी, उनकी सूची जांच के दौरान कॉलेज में नहीं पाई गई है। तीसरा आधार यह है कि दिग्विजय सिंह को तत्कालीन सीएम होने के नाते बिजनेस रूल में यह अधिकार था कि वे विद्यार्थियों की फीस घटा या माफ कर सके, इसलिए दिग्विजय और पटेरिया के खिलाफ गलत तरीके से फीस माफ करने के आरोप खारिज कर दिए गए।
अपराध होना नहीं पाया गया
ईओडब्ल्यू के डीजी केएन तिवारी ने कहा कि तकनीकी शिक्षा विभाग, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को उसी समय छात्रों के प्रवेश निरस्त करने चाहिए थे, जो नहीं किया गया। अब छात्र पढ़-लिखकर डिग्री ले चुके हैं, ऐसे में अपराध होना नहीं पाया गया।
यह है मामला
मामला शैक्षणिक सत्र 2009-2001 और 2001-02 में 12 विद्यार्थियों के दाखिला से संबंधित है। यह आरोप थे कि उक्त विद्यार्थियों का गलत प्रवेश कराया गया है। साथ ही इन्हें तकनीकी शिक्षा विभाग के नियमों के मुताबिक 24 लाख रुपए समझौता शुल्क जमा करना था।
तब आरकेडीएफ एजुकेशन सोसाइटी के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील कपूर और अन्य के साथ तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया ने समझौता शुल्क को घटाकर पांच लाख रुपए करने का प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को दिया था। दिग्विजय ने इसे और कम करते हुए ढाई लाख कर दिया था। इसे गलत करार देकर ईओडब्ल्यू में शिकायत हुई थी।