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इस सरकार के निशाने पर हैं दिग्विजय सिंह और उमा भारती, मकान छिना, अब सुरक्षा भी छीन ली

locationभोपालPublished: Aug 03, 2018 03:14:01 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

अपनी ही सरकार में उमा भारती भी वीआईपी की सूची से बाहर हुईं
 

uma bharti controversial statement on digvijay singh case

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भोपाल . कांग्रेस के दिग्गज नेता अपने ही प्रदेश में सरकार के निशाने पर आए हुए हैं। पहले हाईकोर्ट के निर्देश पर बेघर हो गए और उसके बाद अब सरकार ने उनकी सुरक्षा भी हटा ली है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हाईकोर्ट के इशारे पर चार पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगले वापस लिए गए थे, जिनमें तीन को दूसरे रास्ते से सरकार ने वापस दे दिए हैं। जबकि दिग्विजय सिंह को अभी तक बंगला नहीं मिल सका है। हालांकि सरकार की दलील है कि दिग्विजय सिंह ने बंगला लेने के लिए आवेदन ही नहीं किया है। वहीं दूसरी ओर सरकार ने सुरक्षा रिव्यू के नाम पर दिग्विजय सिंह और उमा भारती को वीआईपी की सूची से बाहर कर दिया है। वहीं, बाबूलाल गौर को सूची में बरकरार रखा है। सरकार ने एक झटके में दिग्विजय और उमा भारती के कद को घटाने की कोशिश की है।
दरअसल, इस चुनाव में दिग्विजय सिंह की सक्रियता दिखाई दे रही है। ऐसे में दिग्विजय सिंह को घेरने के लिए पैंतरेबाजी का दौर शुरू हो गया है। पहले एक जनहित याचिका पर मध्यप्रदेश में सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगले खाली करा लिए गए। जिसमें दिग्विजय सिंह भी शामिल थे। लेकिन सरकार ने दूसरी गली से कैलाश जोशी, उमा भारती और बाबूलाल गौर को बंगले आवंटित भी कर दिए। जबकि दिग्विजय सिंह को अभी तक बंगला नहीं मिल सका है। उसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि दिग्विजय सिंह ने बंगला लेने के लिए तकनीकी तौर पर गलत आवेदन दिया था। ऐसे में जब तक वह नया आवेदन नहीं करेंगे, उन्हें बंगला आवंटित नहीं किया जाएगा। हालांकि अभी तक दिग्विजय ने नए बंगले के आवेदन नहीं किया है।
अब सुरक्षा वापस ली
मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को कैबिनेट स्तर का दर्जा प्रदेश सरकार ने दिया हुआ था। ऐसे में उन्हें सुरक्षा के नाम पर वह पूरी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही थी जो एक कैबिनेट मंत्री को दी जाती है। इसी के साथ ही दिग्विजय सिंह को सरकार ने अपनी वीआईपी सूची में चौथे नंबर पर रखा हुआ था। इस क्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तीसरे नंबर पर थे, जबकि बाबूलाल गौर को दूसरे नंबर पर रखा गया था।
जबकि तीसरे पर उमा भारती और चौथे पर खुद दिग्विजय सिंह थे। सरकार ने रिव्यू के नाम पर उमा भारती और दिग्विजय सिंह को वीआईपी की सूची से बाहर कर दिया है। दिग्विजय सिंह के नंबर पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को शामिल किया गया है। जबकि उमा भारती के स्थान पर अभी किसी को जगह नहीं दी गई है। बाकी शीर्ष के दोनों क्रम को पूर्व की भांति ही बरकरार रखा गया है।

क्या निशाने पर उमा—दिग्विजय
चुनावों के मौके पर उमा भारती और दिग्विजय सिंह की सुरक्षा कम किए जाने को राजनीतिक नफा—नुकसान से जोड़कर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि शिवराज सरकार दोनों को ही मध्यप्रदेश में ज्यादा तवज्जो देने के मूड़ में नहीं है। यही वजह है कि सुरक्षा के बहाने दोनों के कद को सीमित करने की कोशिश की गई है।
उमा भारती जिस तरह से चुनावों के दौरान टिकटों के बंटवारे में दखल चाहती हैं और मध्यप्रदेश में राजनीति में सक्रिय भूमिका की मांग कर रही हैं वह भाजपा और सरकार में बैठे लोगों को पसंद नहीं आ रही है। वहीं, दिग्विजय सिंह की सुरक्षा कम कर कमलनाथ की बढ़ाकर सरकार ने कांग्रेस खेमे में झगड़े बढ़ाने की रणनीति बनाई है। हालांकि सरकार अपने मकसद में कितनी कामयाब होती, यह फिलहाल कहना मुश्किल है।

डीजीपी बोले, हम तय नहीं करते सुरक्षा
पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा में कटौती के मामले में डीजीपी ऋषि शुक्ला सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि वीआईपी तय करने का काम पुलिस नहीं करती है। यह काम राज्य सुरक्षा समिति करती है। हम तो उसके आधार पर ही सभी को सुरक्षा मुहैया कराते हैं।
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