जब कांग्रेस के भीतर नेतृत्व संभालने को लेकर जंग छिड़ी हुई है। उस दौर में दिग्विजय सिंह ने एक नया राग फेंका है। दरअसल, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ खुद सीएम कैंडिडेट बनने के लिए एडी—चोटी का जोर लगा रहे हैं। दोनों ही नेता सार्वजनिक तौर पर खुलकर नहीं बोल रहे हों, लेकिन अंदरखाने दोनों ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस की ओर सीएम चेहरा बनना चाह रहे हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए तो खुद हार्दिक पटेल ने भी वकालत करते हुए कहा कि युवा चेहरा के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को बतौर मुख्यमंत्री चेहरा प्रोजेक्ट किया जाना चाहिए। कहीं न कहीं प्रदेश के भीतर ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर कांग्रेस के भीतर एक माहौल बनाया जा रहा है।
इधर, कमलनाथ खेमे के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बयान जारी कर कहा है कि कांग्रेस को चाहिए कि वह खुले मन से कमलनाथ को बतौर मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करे, जिससे कार्यकर्ता पूरे मन से कांग्रेस के साथ खड़े हो सकें। फिलहाल कांग्रेस के भीतर खुद का प्रोजेक्ट कराने को लेकर दबाव की सियासत हो रही है।
इस बीच में दिग्विजय सिंह के बयान ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। खासकर, तब जब उन्हें पूरे मैच में अंपायर की भूमिका में देखा जा रहा था। उन्होंने यह कहकर चौंका दिया है कि पार्टी हाई कमान यदि उनसे एमपी में सरकार के ख़िलाफ़ अगुवाई के लिए कहेगा, तो वो तैयार हैं लेकिन सी एम नहीं बनूँगा…नर्मदा यात्रा के समापन के बाद फ़ेविकोल की भूमिका में रहूँगा। पूरी पार्टी को मज़बूती से जोड़े रखूंगा।
कुल मिलाकर दिग्विजय के फेवीकॉल भर के बयान से हर खेमे में राजनीति गर्मा गई है। दरअसल, इससे पहले भी दिग्विजय सिंह कह चुके हैं कि नर्मदा यात्रा खत्म करने के बाद वह प्रदेश में राजनीतिक यात्रा पर निकलेंगे। उन्होंने पूरी नर्मदा यात्रा के दौरान राजनीतिक बयानों से परहेज किया। लेकिन अब माना जा रहा है कि वह हमलावर होकर भाजपा पर प्रहार करेंगे। लेकिन अभी तो उनकी पार्टी के भीतर ही एक बयान से जोरदार हमला हो गया है। अंपायर ही अब मैदान में आने की तैयारी कर रहा है।