सोमवार को लिखे पत्र में दिग्विजय सिंह ने कहा है कि इस मामले को मैं सर्वोच्च न्यायालय में लेकर गया था। इसकी जांच के लिए गठित एसआईटी के सामने मैंने कई तथ्य प्रस्तुत किए थे। मैं मानता हूं कि इस मामले में न्याया की रक्षा के लिए सरकार को कदम उठाना चाहिए।
इस बार सख्त है लहजा
दिग्विजय के ताजा पत्र की खास बात यह है कि उसकी भाषा सख्त है। उन्होंने लिखा है कि सभी जानते हैं कि तत्कालीन सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर था। pmt जैसी परीक्षा के लिए राज्य में दलालों के माध्यम से दुकानें खोल दी गई थीं। पोल खुलने पर उन छात्रों को भी आरोपी बना दिया गया जो इन दुकानों पर गए ही नहीं थे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कमलनाथ को लिखा है कि व्यापमं मामले में फंसाए गए निर्दोष स्टूडेंट्स को इंसाफ दिलाया जाए। इसके लिए सरकार जरूरी फैसले करें।
दिग्विजय ने चिट्ठी में आगे लिखा है कि शिवराज सरकार ने आरोपियों को बचाने के लिए निर्देष छात्रों और उनके परिवार जनों तक को मोहरा बना दिया। ऐसे में सरकार को उन मासूमों का भविष्य बचाने के बारे में कोई ठोस कदम उठाया जाना चाहिए।
कमलनाथ को दिया सुझाव
कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को सुझाव दिया है कि उन छात्रों के खिलाफ केस वापस लेना चाहिए जो PMT में सिलेक्ट भी नहीं हुए हैं, लेकिन फिर भी आरोपी बनाए गए।
दिग्विजय ने आगे लिखा है कि कानून के दायरे में रहकर ऐसे छात्रों के लिए सरकार को कदम उठाकर उन्हें न्याय दिलाना चाहिए।
और क्या बोले दिग्विजय सिंह
-जिन छात्रों के खिलाफ पैसों के लेन-देन के सबूत हैं, उनके खिलाफ कॉल डिटेल के रूप में सबूत उपलब्ध हैं, उन्हें अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी गवाह बनाया जाए।
-ऐसे छात्र जो इम्पेरिकल रूल के तहत नहीं आते हैं, उनके विरुद्ध दर्ज केस वापस लेना चाहिए।
-जिनके खिलाफ लेन-देन के प्रमाण नहीं है और जो परीक्षा में शामिल होने की उम्र सीमा से बाहर हो गए हैं, उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाना चाहिए।
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