शनिवार से भोपाल में शुरू हुई आरएसएस (rashtriya swayamsevak sangh) की अखिल भारतीय चिंतन बैठक से पहले मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम एवं राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर सवाल दागा है। उन्होंने एक बार फिर ट्वीट करके कहा है कि मोहन भागवत जी, आप के अखंड भारत की कल्पना का भूगोलिक नक़्शा क्या होगा ? कृपया बताने का कष्ट करें। दिग्विजय सिंह का यह सवाल मोहन भागवत के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत 10-15 साल में अखंड भारत बन जाएगा।
प्रज्ञा प्रवाह की दो दिवसीय बैठक
राजधानी भोपाल में शनिवार और रविवार को प्रज्ञा प्रवाह की दो दिवसीय बैठक चलेगी। अखिल भारतीय चिंतन बैठक में हिन्दुत्व का वैश्विक पुनरुत्थान पर चर्चा होगी। इस अहम बैठक में सरसंघचालक मोहन भागवत ( 6th Sarsanghchalak of the Rashtriya Swayamsevak Sangh) के साथ ही देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के कुलपति इतिहासकार और अर्थशास्त्री समेत कई विद्वान शामिल हुए हैं। प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे नंदुकमार के अनुसार इन दिनों विश्व में कई लोग हिंदुत्व की ओर आकर्षित हो रहे हैं। हिन्दू जीवन शैली के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है। कोविडकाल की त्रासदी के बाद हिन्दुत्व के प्रति आकर्षण और भी तेज हो गया था।

दिग्विजय की है संघ से पुरानी खटास
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की आरएसएस से पुरानी खटास है। वे हर मोर्चे पर संघ को घेरते रहे हैं। वे संघ की तुलना तालिबान से भी कर चुके हैं। दिग्विजय ने आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत के 2013 में दिए गए एक बयान पर टिप्पणी की थी, जिसमें भागवत ने कहा था कि शादी समझौता है। इसके तहत महिलाएं घर की देखभाल और अन्य चीजों का ध्यान रखती हैं, जबकि पुरुष के पास कामकाज और महिला की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है।
पांच दिन के लिए भोपाल पहुंचे संघ प्रमुख, दिग्विजय ने खरीद-फरोख्त और राम मंदिर पर पूछे सवाल
संघ प्रमुख की इस टिप्पणी के बाद दिग्विजय ने सवाल उठाए थे। दिग्विजय ने पूछा था कि क्या तालिबान और आरएसएस के बीच कामकाजी महिलाओं को लेकर समानताएं हैं? ऐसा ही लगता है, जब तक मोहन भागवत जी और तालिबान अपने विचार नहीं बदलते। दिग्विजय सिंह ने इसी सप्ताह कहा था कि संघ झूठ और गलतफहमियां फैलाकर हिन्दुओं और मुस्लिमों को बांट रहा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत के 'हिन्दू-मुसलमान का डीएनए एक' वाले बयान पर दिग्विजय सिंह ने पूछा है कि तो लव जिहाद जैसे मुद्दे क्यों उठ रहे हैं?