क्या कहते हैं स्कूल संचालक
लॉन्ग टर्म प्लान जरूरी
लॉकडाउन के शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म, दोनों तरह के इफैक्ट देखने को मिलेंगे। अगले तीन से छह माह तक जीरो एक्टिविटी होंगी। संस्थानों की इनकम नहीं होगी, लेकिन सैलेरी, वेंडर कॉस्ट सहित अन्य खर्चे होंगे। सरकार को चाहिए कि वह डिजिटल एजुकेशन सिस्टम पर पॉलिसी लाए।
-सिद्धार्थ चतुर्वेदी, डायरेक्टर, आईसेक्ट ग्रुप
ब्याज माफी पर विचार
एजुकेशन सेक्टर को राहत देने पर विचार होना चाहिए। तीन की जगह चार माह तक लोन की किश्त से छूट मिलनी चाहिए। ब्याज का भार कम होना चाहिए। टेक्निकल सेक्टर प्रभावित होने से जिन स्टूडेंट्स का कैंपस प्लेसमेंट हुआ है, उनकी ज्वाइनिंग को चार से छह माह तक टाल दिया है।
-इंजी. बीएस यादव, चांसलर, आईईएस यूनिवर्सिटी
रिजल्ट जल्द घोषित हो
यह तय नहीं हो पाया है कि १२वीं का रिजल्ट कब तक घोषित होगा। मई-जून तक कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यदि लॉकडाउन से थोड़ी राहत मिले तो कर्मचारियों को बुलवाकर जरूर तैयारियां पूरी करा ली जाए। सरकार ने ऑनलाइन एडमिशन की गाइडलाइन भी तैयार नहीं की है।
-डॉ. दीपिका सिंह, डायरेक्टर, विक्रमादित्य ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट
अलग-अलग हो पॉलिसी
हर संस्थान का फाइनेंशियल स्ट्रक्चर अलग है। कोई छह माह तक सैलेरी दे सकता है तो एक माह ही दे पाएगा। सरकार की पॉलिसी सभी के लिए एक जैसी नहीं हो सकती। सरकार को चाहिए कि संस्थानों को अपने स्तर पर पॉलिसी बनाने का मौका दे।
-गौरव तिवारी, चीफ एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, मानसरोवर ग्लोबल विवि
ऑनलाइन स्टडी जरूरी
अमेरिका के 31 राज्यों ने एक साल के लिए एजुकेशन सिस्टम को आगे बढ़ा दिया है। कई पैरेन्ट्स ऐसे भी हैं जो ऑनलाइन स्टडी का विरोध कर रहे हैं। उनकी सोच है कि हम उनसे फीस मांगेंगे। हम फीस नहीं मांग रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन स्टडी जरूरी है। इससे स्टूडेंट्स को नया सीखने को मिलेगा।
-डॉ. प्रशांत जैन, प्रो. चांसलर, सेज यूनिवर्सिटी इंदौर एवं भोपाल
सरकार दे सब्सिडी
अर्थव्यस्था पर असर ६ माह बाद दिखाई देगा। कई स्टूडेंट्स स्कॉलरशिप से फीस देते हैं।स्कॉलरशिप लेट होने से संस्थानों पर असर पड़ेगा। हमें यदि सरकार ग्रांट देती है तो हम इंप्लॉय को सैलेरी दे पाएंगे। सरकार को रेग्युलेशन में बदलाव कर सब्सिडी देना चाहिए।
-डॉ. सुबोध सिंह, चेयरमैन, एनआरआई ग्रुप
इंटर्नशिप हो सकती है प्रभावित
अभी जनरल पेशेंट भर्ती करनी की अनुमति नहीं है। मेडिकल स्टूडेंट्स पेशेंट का इलाज कर ही स्टडी करते हैं। फाइनल ईयर को छोड़कर अन्य एग्जाम नहीं हुए हैं। ऐसे में अगले साल 30 मार्च तक एग्जाम शायद ही संभव हो पाए। इससे इंटर्नशिप प्रभावित होगी।
-अनुपम चौकसे, सचिव, एलएनसीटी ग्रुप
स्कॉलरशिप का 30 प्रतिशत सीधा मिले
स्कॉलरशिप का 30 प्रतिशत हिस्सा संस्थानों को सीधे मिले तो स्टाफ की सैलेरी निकलेगी। आरजीपीवी सॉफ्ट लोन दे। सरकार को सिक्युरिटी डिपॉजिट, एफिलेशन फीस, एप्रुवल-रिन्यूअल फीस को माफ करना चाहिए।
-इंजी. विनोद यादव, चेयरमैन, मिलेनियम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस
फाइनेंशियल सपोर्ट भी मिले
-प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस के जो फंड सरकार के पास हैं, उन्हें सरकार वापस कर दे।
-सरकार खुद ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लाए जिससे जूम जैसे किसी अन्य प्लेटफॉर्म की जरूरत न हो और ऐसा प्लेटफॉर्म जिससे गांव में बैठे छात्र भी आसानी से कनेक्ट हो सकें।
-गांव-गांव इंटरनेट पहुंचाना होगा। भविष्य में इससे ऑनलाइन क्लासेस या एग्जाम हो सकेंगे। इंटरनेट के लिए कोई नीति बनानी होगी, जिससे शिक्षा क्षेत्र को यह सस्ती दरों में उपलब्ध हो सके।
– आज की तारीख में इंस्टीट्यूशंस को भी फाइनेंस सपोर्ट सिस्टम की जरूरत है। जिससे कर्मचारियों को पेमेंट और अन्य जरूरी चीजों के लिए धनराशि जुटाई जा सके। इसके लिए सरकार कुछ लोन आदि का इंतजाम करना चाहिए।
– छात्रों को लैपटॉप खरीदने में और शिक्षकों को भी इंटरनेट संसाधन आदि के लिए भी सब्सिडी देना चाहिए।
– सरकार जल्द से जल्द बारहवीं के रिजल्ट घोषित करे और एडमिशन कैंपेन के लिए प्रयास करे। निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों ने सरकार से मांगी राहत