सुविधा के नाम पर बनाई है मोटी कमाई की नीति
लॉजिस्टिक हब में पार्किंग की दरों को लेकर विवाद जारी, एकेवीएन अधिकारियों को आज ज्ञापन सौंपेगी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन

मंडीदीप। शहर को दो दशक बाद मिली सर्वसुविधा युक्त पार्किंग शुरू होते ही विवादों में आ गई है। औद्योगिक केन्द्र विकास निगम ने क्षेत्र में यहां-वहां खड़े रहने वाले भारी वाहनों को व्यवस्थित करने के लिए सतलापुर रोड पर लॉजिस्टिक हब बनाया है, लेकिन पार्किंग की दरें अधिक होने से यह सुविधा ट्रांसपोर्टरों के लिए पेरशानी और निगम के लिए कमाई का जरिया बन गई है। यह आरोप बुधवार को शहर के वरिष्ठ ट्रांसपोर्टरों ने एकेवीएन पर लगाए हैं।
ट्रांसपोर्ट यूनियन के अध्यक्ष रामनिवास पाल ने बताया कि ट्रांसपोर्ट करीब दो दशक से शहर में एक व्यवस्थित पार्किंग की मांग कर रहे थे। एकेवीएन ने इसे पूरा भी किया, लेकिन गलत नीति के कारण इस सुविधा का लाभ ट्रांसपोटरों को नहीं मिल पा रहा है।
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण एकेवीएन द्वारा लॉजिस्टिक हब की दरें तय करने से पहले स्थानीय ट्रांसपोर्टरों को विश्वास में नहीं लेना है। वहीं ट्रांसपोर्टर गौरव कहना है कि एकेवीएन ने क्षेत्र में सुविधा के नाम पर मोटी कमाई की नीति बनाई है जो किसी भी तरह से न तो व्यवहारिक है और न ही उस पर अमल किया जा सकता है।
हब खाली, सडक़ों पर खड़े किए जा रहे भारी वाहन
पार्किंग की दरों मे विवाद के चलते बुधवार को लॉजिस्टिक हब लगभग खाली पड़ा रहा, वहीं हाइवे सहित औद्योगिक क्षेत्र की सडक़ों पर भारी वाहनों का रेला लगा रहा। एजेंसी के सूत्रों की माने तो एक दो दिन में विवाद समाप्त होने के बाद सभी वाहन पार्किंग हब में ही खड़े होंगे।
अधिकारियों से मिलेगा ट्रांसपोर्टरों का प्रतिनिधिमंडल
शहर के१९३ ट्रांसपोर्टर और ६० से अधिक गाड़ी मालिकों का एक प्रतिनिधि मंडल गुरुवार को एकेवीएन के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर उन्हें पार्किंग की दरें कम करने सहित बड़े शहरों में स्थित पार्किंग हबों की दरों की सूची और वाहन खड़े करने की रशीद सौंपेगा। ट्रंासपोर्टर धमेन्द्र सिंह ने बताया कि शहर में पार्किंग हब बनने की खुशी सभी ट्रांसपोर्टरों को थी, लेकिन इसके संचालन की नीति अपेक्षाओं के विपरीत है।
पार्किंग दरें ज्यादा या कम रखना एजेंसी को तय करना है
एकेवीएन ने लॉजिस्टिक हब के संचालन के लिए बाकायदा टेंडर जारी किया है, अब टेंडर लेने वाली एजेंसी को तय करना है कि वह पार्किंग की दरें रखें, दरें ज्यादा हैं या कम है यह एजेंसी को तय करना है। जगदीश व्यास, एमडी एकेवीएन
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