– स्कूल का नहीं हुआ उन्नयन
आदिवासी बाहुल्य खजूरी की सबसे बड़ी समस्या बच्चों की पढ़ाई की है। हाईस्कूल और आदिवासी छात्रावास है, लेकिन दसवीं से आगे की पढ़ाई के लिए गांव छोडऩा पड़ता है। स्थानीय नागरिकों ने विद्यालय के उन्नयन की मांग उठाई, लेकिन यह प्रस्ताव तक ही सीमित है।
– अफसरों ने किया किनारा
अफसरों ने गांव का सर्वे कराया था। लोगों को तमाम योजनाएं भी बताई थीं। सांसद ने पहले ही कह दिया था कि वे एक साल तक ही मदद करेंगे, फिर प्रशासन को ही सारे काम करने होंगे। सांसद के पीछे हटते ही अफसरों ने भी गांव से किनारा कर लिया। गांव की बड़ी आबादी वाली इंदिरा कॉलोनी के मुख्य मार्ग के रास्ते की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। कॉलोनी के मुख्य मार्ग पर निर्माण कार्य नहीं हुआ है। इसके कारण कॉलोनीवासियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छह माह पहले ही इस निर्माण की स्वीकृति मिली थी। काम शुरू कब होगा ये पता नहीं।
आदिवासी बाहुल्य खजूरी की सबसे बड़ी समस्या बच्चों की पढ़ाई की है। हाईस्कूल और आदिवासी छात्रावास है, लेकिन दसवीं से आगे की पढ़ाई के लिए गांव छोडऩा पड़ता है। स्थानीय नागरिकों ने विद्यालय के उन्नयन की मांग उठाई, लेकिन यह प्रस्ताव तक ही सीमित है।
– अफसरों ने किया किनारा
अफसरों ने गांव का सर्वे कराया था। लोगों को तमाम योजनाएं भी बताई थीं। सांसद ने पहले ही कह दिया था कि वे एक साल तक ही मदद करेंगे, फिर प्रशासन को ही सारे काम करने होंगे। सांसद के पीछे हटते ही अफसरों ने भी गांव से किनारा कर लिया। गांव की बड़ी आबादी वाली इंदिरा कॉलोनी के मुख्य मार्ग के रास्ते की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। कॉलोनी के मुख्य मार्ग पर निर्माण कार्य नहीं हुआ है। इसके कारण कॉलोनीवासियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छह माह पहले ही इस निर्माण की स्वीकृति मिली थी। काम शुरू कब होगा ये पता नहीं।
सांसद ने वादे पूरे नहीं किए। सोलर लाइट केवल एक माह चली। फिर उन्हें सुधारने के लिए कोई नहीं आया। सड़कें नहीं बनने से भारी परेशानी होती है। अब तो आदर्श गांव के नाम से चिढ़ होती है।
– रमेश सोनी
– रमेश सोनी
गांव को पर्याप्त बजट नहीं मिला। पंच परमेश्वर योजना के तहत जो राशि मिली थी, उसी से कुछ काम हुए हैं। कुछ अभी शुरू कराए जाने हैं, लेकिन खजूरी की तस्वीर दूसरे गांवों से अलग नहीं बन पाई।
– आशाराम बड़ोले, सरपंच खजूरी
– आशाराम बड़ोले, सरपंच खजूरी
खजूरी को एक साल के लिए गोद लिया था। सांसद निधि से एक करोड़ के काम करवाएं हैं। आगे का विकास कार्य प्रशासन को करवाना था। प्रशासन का सहयोग नहीं मिला, इसलिए दूसरा गांव गोद नहीं लिया।
– सुभाष पटेल, सांसद खरगोन/बड़वानी