scriptपानी के लिए परेशान संत सिंगाजी का गांव | Disturbed Sant Singhji's village for water | Patrika News

पानी के लिए परेशान संत सिंगाजी का गांव

locationभोपालPublished: Feb 18, 2019 08:26:11 pm

Submitted by:

anil chaudhary

– सांसद बोले- प्रशासन के असहयोग के कारण आदर्श गांव नहीं बन पाया खजूरी
 

The rapidly emerging factionalism in the district BJP

The rapidly emerging factionalism in the district BJP

– खजूरी एक नजर
मकान 900
आबादी 4000
मतदाता 1911
बड़वानी/राजपुरञ्चपत्रिका. संत सिंगाजी के खजूरी गांव में पेयजल और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। सांसद सुभाष पटेल के गोद लेने के बाद यहां सोलर लाइट लगाई गई थीं, जो एक माह में ही खराब हो गई। मेंटेनेंस नहीं होने से सोलर पैनल शोपीस बन गए हैं। पांच हाईमास्ट कभी कभार ही रोशन होते हैं। सांसद का कहना है कि खजूरी को आदर्श बनाने के लिए एक करोड़ रुपए का आवंटन किया था। प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, इससे आदर्श गांव के मापदंड में जो काम होने थे, वे नहीं हो पाए।
राजपुर विधानसभा का खजूरी गांव ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। संत सिंगाजी की जन्मस्थली होने के कारण आस्था का केंद्र है। सांसद पटेल ने इसे गोद लेकर बड़े धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करने का वादा किया था। उसी समय मंदिर का निर्माण शुरू कराया गया, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है। गांव में तीन मांगलिक भवनों का निर्माण कराया है, जिसे ग्रामीण अमांगलिक कहने लगे हैं। वजह दो साल से ताला लगा होना है। इनका लोकार्पण ही नहीं हो पाया। ऐसी ही स्थिति पंचायत भवन की भी है, जो सालभर से बनकर तैयार है। इसका भी उद्घाटन नहीं हुआ।
– स्कूल पहुंच मार्ग जर्जर
ग्रामीण छगन मुजाल्दे ने बताया कि शासकीय हाईस्कूल का रास्ता अभी तक नहीं बना है। बारिश के दिनों में बच्चों को घुटनों तक कीचडय़ुक्त पानी से गुजरना पड़ता है। रास्ते के निर्माण बीईओ और आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त को भी अवगत कराया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं, नालियां नहीं बनने से सड़क पर गंदा पानी बहता रहता है। इसके कारण मच्छरों की भरमार हो रही है। शासकीय बालक आदिवासी छात्रावास पहुंच मार्ग का कार्य भी पूरा नहीं हुआ है। पिछले हफ्ते गिट्टी और रेत डाली गई है।
– स्कूल का नहीं हुआ उन्नयन
आदिवासी बाहुल्य खजूरी की सबसे बड़ी समस्या बच्चों की पढ़ाई की है। हाईस्कूल और आदिवासी छात्रावास है, लेकिन दसवीं से आगे की पढ़ाई के लिए गांव छोडऩा पड़ता है। स्थानीय नागरिकों ने विद्यालय के उन्नयन की मांग उठाई, लेकिन यह प्रस्ताव तक ही सीमित है।
– अफसरों ने किया किनारा
अफसरों ने गांव का सर्वे कराया था। लोगों को तमाम योजनाएं भी बताई थीं। सांसद ने पहले ही कह दिया था कि वे एक साल तक ही मदद करेंगे, फिर प्रशासन को ही सारे काम करने होंगे। सांसद के पीछे हटते ही अफसरों ने भी गांव से किनारा कर लिया। गांव की बड़ी आबादी वाली इंदिरा कॉलोनी के मुख्य मार्ग के रास्ते की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। कॉलोनी के मुख्य मार्ग पर निर्माण कार्य नहीं हुआ है। इसके कारण कॉलोनीवासियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छह माह पहले ही इस निर्माण की स्वीकृति मिली थी। काम शुरू कब होगा ये पता नहीं।
सांसद ने वादे पूरे नहीं किए। सोलर लाइट केवल एक माह चली। फिर उन्हें सुधारने के लिए कोई नहीं आया। सड़कें नहीं बनने से भारी परेशानी होती है। अब तो आदर्श गांव के नाम से चिढ़ होती है।
– रमेश सोनी
गांव को पर्याप्त बजट नहीं मिला। पंच परमेश्वर योजना के तहत जो राशि मिली थी, उसी से कुछ काम हुए हैं। कुछ अभी शुरू कराए जाने हैं, लेकिन खजूरी की तस्वीर दूसरे गांवों से अलग नहीं बन पाई।
– आशाराम बड़ोले, सरपंच खजूरी

खजूरी को एक साल के लिए गोद लिया था। सांसद निधि से एक करोड़ के काम करवाएं हैं। आगे का विकास कार्य प्रशासन को करवाना था। प्रशासन का सहयोग नहीं मिला, इसलिए दूसरा गांव गोद नहीं लिया।
– सुभाष पटेल, सांसद खरगोन/बड़वानी
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