राधाकृष्ण मंदिर के सामने बरखेड़ी अहीर मोहल्ला में काशी दीप गौ उत्पादन केंद्र द्वारा यह दीपक तैयार किए जा रहे हैं। जो दिवाली लागत मूल्य पर लोगों को देंगे। दीपक बनाने वाली कांता यादव ने बताया कि इसके पीछे उद्देश्य है कि स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा मिले और लोग स्वदेशी के महत्व के समझें। इसके लिए पड़ोस की कुछ महिलाओं के साथ मिलकर दीपक सहित कुछ सामग्री तैयार कर रहे हैं। यह दीपक गाय के गोबर से तैयार किए जा रहे हैं। इसके साथ ही घरों में लगने वाले शुभ लाभ, लक्ष्मीजी, गणेशजी, सरस्वतीजी सहित अन्य प्रतिमाएं भी तैयार की जा रही हैं।
लॉकडाउन के दौरान की तैयारी
कांता यादव ने बताया कि लॉकडाउन में घर में रहते हुए नवाचार करने सोशल मीडिया पर गोबर से धूप बनाने की विधि सीखी। इसके बाद गोबर से दीपक बनाने के बारे में सीखा। इसमें कुछ महिलाओं को भी साथ जोड़ा और सभी मिलकर दीपक सहित अन्य सामग्री तैयार कर रहे हैं। इसके पीछे सोच यहीं है कि स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल हो।
कांता यादव ने बताया कि लॉकडाउन में घर में रहते हुए नवाचार करने सोशल मीडिया पर गोबर से धूप बनाने की विधि सीखी। इसके बाद गोबर से दीपक बनाने के बारे में सीखा। इसमें कुछ महिलाओं को भी साथ जोड़ा और सभी मिलकर दीपक सहित अन्य सामग्री तैयार कर रहे हैं। इसके पीछे सोच यहीं है कि स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल हो।
ऐसे तैयार होते हैं गाय के गोबर से दीये
पहले गोबर को सूखाते हैं, फिर उसे पाउडर बनाते हैं। पाउडर को छानकर मैदा, लकड़ी पाउडर अथवा ग्वारगंभ मिलाते हैं। इसे आटे जैसा गूंथ कर इससे दीपक तैयार किए जाते हैं। उनका कहना है कि यह दीपक हम लागत मूल्य पर उपलब्ध कराएंगे। जिस हिसाब से मिट्टी के दीपक आते हैं, लगभग उसी कीमत पर यह दीपक भी उपलब्ध होंगे।
पहले गोबर को सूखाते हैं, फिर उसे पाउडर बनाते हैं। पाउडर को छानकर मैदा, लकड़ी पाउडर अथवा ग्वारगंभ मिलाते हैं। इसे आटे जैसा गूंथ कर इससे दीपक तैयार किए जाते हैं। उनका कहना है कि यह दीपक हम लागत मूल्य पर उपलब्ध कराएंगे। जिस हिसाब से मिट्टी के दीपक आते हैं, लगभग उसी कीमत पर यह दीपक भी उपलब्ध होंगे।