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अमावस्या की काली रात्रि से दिवाली का संबंध: जानें टोटके, तंत्र मंत्र, साधना और काला जादू का रहस्य

locationभोपालPublished: Sep 20, 2019 12:27:12 pm

दीपावली पर तंत्र एवं तांत्रिक वस्तुओं का महत्व…

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भोपाल। सनातन धर्मावलंबियों के प्रमुख त्योहारों में से एक पांच दिवसीय पर्व दीपावली भी है। इस पर्व के मुख्य दिन यानि दिवाली पर तंत्र और तांत्रिक वस्तुओं का महत्व कुछ खास ही माना जाता है। दिवाली की रात वैसे भी अमावस्या होती है। और अमावस्या को वैसे भी बहुत रहस्यमयी माना जाता है।

रहस्यमयी होती है अमावस्या!
शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। हिन्दू-धर्म में पूर्णिमा, अमावस्या और ग्रहण के रहस्य को उजागर किया गया है। इसके अलावा वर्ष में ऐसे कई महत्वपूर्ण दिन और रात हैं, जिनका धरती और मानव मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
उनमें से ही हर माह में पड़ने वाले 2 दिन सबसे महत्वपूर्ण हैं- पूर्णिमा और अमावस्या। पूर्णिमा और अमावस्या के प्रति बहुत से लोगों में डर है। खासकर अमावस्या के प्रति ज्यादा डर है।
शाक्तों का पर्व दिवाली:
पांच दिवसीय दीपावली पर्व के तीसरे दिन यानि दिवाली की विशेष रात्रि को तांत्रिक विधि द्वारा सिद्धि प्राप्त करने की विशेष परंपरा रही है।

इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि दरअसल दिवाली का पर्व विशेष रूप से शाक्तों का पर्व है। शाक्त यानि तांत्रिक,ये वे होते हैं जो विभिन्न दस महाविद्याओं या महाशक्तियों में से किसी एक की उपासना करते हैं।
ये दीपावली की रात को शाक्त शक्ति का विशेष रूप से आवाहन करते हैं, ताकि पूजा करके अपनी शक्तियों को बढ़ा सकें।

ये हैं दस महाविद्याएं या महाशक्तियां:
1. महाकाली 2. मां तारा 3. मां षोडशी 4. मां भुवनेश्वरी 5. मां छिन्नमस्तिका 6. मां त्रिपुर भैरवी 7. मां धूमावती 8. माता श्री बगलामुखी 9. मां मातंगी 10. मां कमला
माना जाता है कि इन महाविद्याओं की श्रृद्धापूर्वक साधना करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। आत्म-ज्ञान बढ़ता है, अलौकिकता आती है।

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ऐसे उपाय जिससे घर में कभी नहीं होगी धन की कमी : दिवाली की रात करें ये टोने-टोटके और उपाय, साल भर बरसेगा धन…

1. दिवाली वाले दिन लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजाना चाहिए। इससे घर की सारी निगेटिविटी दूर हो जाएगी।
2. दीपावली पर तेल का दीपक जलाएं और दीपक में एक लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें।

3. दिवाली वाले दिन शिवलिंग पर अक्षत यानी चावल चढ़ाएं। ध्यान रहें सभी चावल पूर्ण होने चाहिए। खंडित चावल न हो। ये काम मंदिर में ही करें।
4. दिवाली पर महालक्ष्मी के पूजन में पीली कौड़ियां रखें। इससे धन संबंधी सभी परेशानी दूर होगी।

5. लक्ष्मी पूजन में हल्दी की गांठ जरूरी रखें और पूजा के बाद इसे अपने तिजोरी में रखें।
6.दीपावली के दिन झाड़ू अवश्य खरीदना चाहिए। पूरे घर की सफाई नई झाड़ू से करें। जब झाड़ू का काम न हो तो उसे छिपाकर रखें।

7. दीवाली के दिन किसी मंदिर में झाड़ू का दान करें। यदि आपके घर के आसपास कहीं महालक्ष्मी का मंदिर हो तो वहां गुलाब की सुगंध वाली अगरबत्ती का दान करें।
8. दिवाली अमावस्या के दिन पड़ती है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ में जल जरूर दें। इससे शनि के दोष और कालसर्प दोष खत्म हो जाता है। साथ ही देर रात पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं। ध्यान रखें दीपक लगाकर चुपचाप अपने घर लौट आएं, पलटकर न देखें।
9. दीपावली पर पूजा में लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और श्रीयंत्र स्थापित करें। स्फटिक का श्रीयंत्र बेेहतर होगा।

10. दीपावली की रात लक्ष्मी पूजा करते समय एक थोड़ा बड़ा घी का दीपक जलाएं, जिसमें नौ बत्तियां लगाई जा सके। सभी 9 बत्तियां जलाएं और लक्ष्मी पूजा करें।
11. प्रथम पूज्य श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करें। दूर्वा की 21 गांठ गणेशजी को चढ़ाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। दीपावली के शुभ दिन यह उपाय करने से गणेशजी के साथ महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
12. दीपावाली पर श्रीसूक्त एवं कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। रामरक्षा स्तोत्र या हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ भी किया जा सकता है।

मान्यता: ये हैं कुछ खास विधि…
1. घर में किसी प्रकार की बाधा हो तो दीपावली की रात में उल्लू पर विराजी या उल्लू के साथ मां लक्ष्मीजी की प्रतिमा के समक्ष लाल चंदन की माला से जाप करें। साथ ही माला के साथ इस नवग्रह शांति मंत्र को पढ़ें।
मंत्र : ॐ ह्रीं नवग्रह बाधा दूर कुरु कुरु स्वाहा।।

2. धन पाने के लिए दीपावली की कालरात्रि बहुत ही उपयोगी व सिद्धिदायिनी मानी गई है। इस दिन मंत्र जाप करने से निश्चित ही घर की दरिद्रता दूर कर मां लक्ष्मीजी मनोकामना की पूर्ति करती है।
ऐसे करें मंत्र का जाप –
नहा-धोकर साफ-सुथरी जगह एक ऊन का आसन बिछाएं और इस पर बैठें। सामने लक्ष्मी मां की ऐसी प्रतिमा या तस्वीर हो जिसमें वह उल्लू के साथ हों। जहां तक हो सके शंख की माला या कमलगट्टे की माला लेकर इस मंत्र का जाप करें।
मंत्र: ॐ नमो उलूकवाहनी विष्णु प्रिया भगवति लक्ष्मी दैव्ये मम ।।

दुर्भाग्यनाशाय नाशाय सौभाग्य-वृद्धि कुरु कुरु श्रां श्रं श्रै श्रौ फट् स्वाहा। या इस अन्य उल्लू मंत्र का जाप करें: ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं ॐ फट्‍ स्वाहा।
यह मंत्र लक्ष्मीजी का श्रेष्ठ मंत्र व अत्यंत सिद्धिदायक के साथ ही लाभप्रद माना गया है।

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दिवाली की रात के टोने-टोटके और उपाय…
मान्यता के अनुसार महालक्ष्मी के महामंत्र ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: का कमलगट्टे की माला से कम से कम 108 बार जप करेंगे तो आपके उपर मां लक्ष्‍मी की कृपा बनी रहेगी।
यही नहीं आप चाहें तो लक्ष्मी पूजन में सुपारी रखें। सुपारी पर लाल धागा लपेटकर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि पूजन सामग्री से पूजा करें और पूजन के बाद इस सुपारी को तिजोरी में रखें।
ऐसे समझें दिवाली पर वशीकरण, तंत्र मंत्र, सिद्धि प्रयोग, टोटके :

ये तो सभी चाहते हैं उत्साह और रोशनी के त्यौहार दिवाली का एक स्वयंसिद्ध और सर्वमान्य मुहूर्त होता है। वहीं तंत्र मंत्र साधना के लिए तो दिवाली की रात एक कुबेर के खजाना के समान मानी जाती है। ऐसे में बताया जाता है कि दिवाली पर तंत्र प्रयोग कर साधक कई तरह की सिद्धि को प्राप्त करता है।
इन सिद्धि को प्राप्त कर साधक अपने मनवांछित कार्यो को पूरा करने में सक्षम हो सकता है। इस रात को कि गई किसी भी तंत्र साधना का फल अन्य किसी भी रात से अधिक मिलता है। इस लिए साधक ज्यादा बढ़ चढ़कर इस क्रिया को सम्पन्न करना चाहते हैं।
ऐसे समझें दिवाली रात को किए जाने वाले तंत्र प्रयोग को…

दिवाली पर तंत्र प्रयोग:

1) लक्ष्मी पूजन के वक्त चांदी के कुछ पुराने सिक्के लें। इन्हें अन्य सिक्कों और कौड़ियों के साथ पूजन में रखकर हल्दी और केसर से पूजा करें। फिर इन्हें अपने गल्ले या तिजोरी पर रख दें। माना जाता है ऐसा करने से कभी भी धन की कमी नहीं रहती।
2) धनतेरस यानि दीपावली पर्व के पहले दिन की सुबह जल्दी स्नान कर लक्ष्मी जी के मंदिर में जाएं। उन्हें कमल फूल और सफेद रंग की मिठाई अर्पित करें।

वहीं इस दिन शुद्धता के साथ पूजा के वक्त पीले रंग के वस्त्र धारण कर किसी आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुंह कर बैठ जाएं। यहां अपने सामने रखे महा लक्ष्मी यंत्र/ श्री कनकधारा यंत्र/ कुबेर यंत्र/ श्री मंगल यंत्र/ श्री यंत्र की अब विधि विधान से इनकी पूजा करें। वहीं दूसरे दिन उन्हें अपने पूजा स्थल पर स्थापित कर दें और प्रतिदिन धूप-दीप से उनकी पूजा करें। मान्यात के अनुसार ऐसाकरने से कभी भी धन की कमी नहीं पास आएगी।
3) छोटे आकार का श्रीफल (नारियल) लेकर दीपावली वाले दिन विधि-विधान से उसकी पूजा करें। अब इसे एक लाल रंग के कपड़े में बांधकर किसी की नजर ना पड़े ऐसी जगह पर रख दीजिए। माना जाता है ऐसा करने से मां लक्ष्मी आप पर अति प्रसन्न होगी।
4) दीपावली पर्व के तीसरे यानि दिवाली वाले दिन रात में लक्ष्मी पूजन के वक्त मोती शंख या दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करें। इसके बाद दूसरे दिन उन्हें अपनी तिजोरी में रख दें। कहा जाता है कि यह टोटका धन वृद्धि के साथ साथ परिवार वालों के मध्य में प्रेम की वृद्धि करता है।
5) दिवाली वाले दिन पीपल के पेड़ के नीचे तेल का एक दीपक जलाएं । इसके बाद वहां से लौटते वक्त पीछे ना देखें। हर शनिवार इस प्रयोग को एक वर्ष तक नियमित करें। ऐसा करने धन की प्राप्ति होने की मान्यता है।
6) दिवाली वाली रात को लक्ष्मी पूजन के वक्त सफेद रंग की ग्यारह गूंजा लेकर इनकी पूजा करें। फिर अगले दिन स्नान के बाद इन्हें अपने गल्ले में रख दें। माना जाता है कि ऐसा करने से अटूट धन की प्राप्ति होती है।
7) लक्ष्मी पूजन में दिवाली वाले दिन बिना टूटे हुए एक चुटकी अक्षत और पांच कौड़ियां एक सफेद रंग के कपड़े में बांधकर रख लें, और फिर रात को इसकी पूजा करें। दूसरे दिन शुद्ध होकर इसे अपने गल्ले में रखें। माना जाता है ऐसा करने से भी कभी पैसे की कमी नहीं होती है।
दिवाली पर मंत्र साधना :

1) दिवाली वाली रात को मंत्र सिद्धि के क्षेत्र में विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन कमलगट्टे द्वारा बनाई गई माला से मंत्रों का ग्यारह अथवा इक्कीस हजार बार जप और जप का दशांश हवन करने के बाद बाल कन्याओं को भोजन कराने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। कमलगट्टे द्वारा बनाई गई माला से किसी भी एक मंत्र का उपयोग करें:—
— “ओम् ह्नीं श्रीं घण्टाकर्णी नमोस्तुते ठ: ठ: ठ: स्वाहा।” ( प्रतिदिन 11 माला )

— “ओम् श्री ह्नीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।” ( 11 माला )

— “ह्नीं महालक्ष्मी ह्नीं “ ( 5 माला )
2) पंचामृत से स्नान कराने के उपरांत कुबेर यंत्र /श्री यंत्र / बीसा यंत्र का पूजन करें। अब दीपावली की रात को मंत्र द्वारा इक्कीस हजार या सवा लाख बार जाप कर इसे सिद्ध कर लें।
मंत्र –

”ओम् नमो विघ्न राजाया सर्व सौख्य प्रदायिने, दुष्टारिष्ट विनाशाय पराय परमात्मने। लंबोदरं महावीर्यम् नागयज्ञोप शोभितम्। अर्धचंद्र धरं देवं विघ्न व्यूह विनाशम। ओम् ह्नां ह्नीं ह्नैं ह्नौं ह्नं हेरम्बाय नमोनम:। सर्वसिद्धि प्रदोसि त्वं सिद्धि-बुद्धि प्रदेभव:। चिंतितार्थ प्रवस्वहिसततं मोदक प्रिय:। सिंदूरारुणवरभ्रैश्च पूजितो द्वारा वरदायकम्। इह गणपति स्त्रोतम च पठेत भक्ति भाव नर:। तस्यदेहं च गेहं स्वयं लक्ष्मीर्न मूच्चती।”

माना जाता है इस मंत्र का एक माला का प्रतिदिन जाप करने से स्वास्थ्य, सुयश और धन की प्राप्ति निश्चित ही होती है।

वस्तुओं को सदा गुप्त रखने की परंपरा:
दिवाली के दिन अमावस्या के चलते कई तंत्र साधक कई तरह की क्रियाएं व साधनाएं करते हैं। ऐसे में तंत्र साधनाओं के जानकार बताते हैं कि तंत्र-साधना की ये क्रियाएं और उसमें प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं को सदा गुप्त रखने की परंपरा रही है। तंत्र साधना में प्रयोग में आने वाली विभिन्न वस्तुएं इस प्रकार हैं।
1. आसनः तांत्रिक क्रियाओं में चर्म-आसन का विधान है। सात्विक तंत्र साधना के लिए मृगचर्म और अघोर-साधना के लिए सिंह चर्म के आसन की आवश्यकता पड़ती है। सिंह चर्म से तेजस्विता और मृगचर्म से सौम्यता आती है। इसी कारण तंत्र साधना में आसन के रूप में चर्म का प्रयोग अनिवार्य माना गया है।
2. खप्परः प्रायः साधुओं के हाथ में मटमैले या काले रंग का खप्पर होता है। साधु इसी में दान लेते हैं, खाना खाते हैं, जल पीते हैं। आम साधुओं के लिए ये खप्पर सूखे कद्दू या लौकी का बना होता है।
लेकिन तांत्रिक इसके लिए मानव खोपड़ी का प्रयोग करते हैं। खोपड़ी के खप्पर में ही वे पानी पीते हैं, भोजन करते हैं और उसी में तंत्र साधना के क्रम में श्मशान की चिता में चावल बनाकर खाते हैं।
माना जाता है कि यह मानव खोपड़ी वाला खप्पर तांत्रिक के अदृश्य शक्तियों से संपर्क करने में एक प्रकार से एंटीना का काम करता है। तंत्र में भिन्न-भिन्न खोपड़ियों का महत्व अलग-अलग है, पर उद्देश्य एक ही होता है- सिद्धि प्राप्त करना।
3. हड्डियांः तांत्रिक कुछ हड्डियां भी रखते हैं। ये हड्डियां उनकी रक्षा करती हैं। पारद शिवलिंगः पारा पृथ्वी के गर्भ से वैसे ही प्राप्त होता है, जिस प्रकार पेट्रोल। यह पकड़ में न आने वाला, किसी से मेल न खाने वाला, कहीं न चिपकने या न रुकने वाला तत्व है।
इसे जमाने, रोकने या चिपकाने के उपाय आज तक विज्ञान नहीं खोज पाया है, लेकिन तंत्र द्वारा यह जमा दिया जाता है अर्थात् इसको पिंडाकार बना दिया जाता है। यही पिंडाकार पारद शिवलिंग कहलाता है।
4. रुद्राक्षः रुद्राक्ष मुख्यतः दो रूपों में मिलते हैं- मटर और बेर के आकार के। मकर के आकार वाले रुद्राक्ष इंडोनेशिया तथा मलेशिया के जंगलों में और बेर के आकार वाले हिमालय की तराई में, विशेष रूप से नेपाल में प्राप्त होते हैं।
रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिव के आसुओं से मानी गई है। इसमें धारियां होती हैं, जिन्हें मुख कहा जाता है। एक से चैदह मुख तक के होते हैं। एक मुखी अत्यंत दुर्लभ है। जिसके पास यह होता है, उसके पास सब कुछ होता है।
इस रुद्राक्ष से अनेक मंत्र स्वतः ही सिद्ध हो जाते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष खरीदन में सावधानी बरतनी चाहिए। पांच मुखी रुद्राक्ष सर्व सुलभ है। तंत्र-मंत्र साधना में पांच मुखी रुद्राक्ष माला का प्रयोग होता है।
तंत्र में रुद्राक्ष की माला से मंत्र साधनाएं की जाती हैं। जहां एक ओर उच्च रक्तचाप, उदर विकार आदि रोगों का निदान रुद्राक्ष से होता है, वहीं दूसरी ओर यह भूत-प्रेत बाधा के निवारण में भी काम आता है।
5. हत्थाजोड़ीः तंत्र में हत्था जोड़ी का प्रयोग करने से लक्ष्य की प्राप्ति
शीघ्र होती है। यह अति दुर्लभ है। यह संकटों, बाधाओं आदि से साधक की रक्षा करती है।

रामनामी केले का पत्ता केले और केले के पत्ते का पूजन में अपना एक विशिष्ट स्थान है। केले का थम भी पूजा में प्रयुक्त होता है। केले के सूखे पत्तों को ध्यान से देखने पर उस पर यदा-कदा ‘रामनाम’ लिखा सा देखा जा सकता है। तंत्र-मंत्र साधना में तो इसका प्रयोग होता ही है, अगर इसे राम मंदिर में चढ़ा दिया जाए तो मनवांछित फल की प्राप्ति भी होती है।
6. चितावर की लकड़ीः चितावर की लकड़ी पानी में पहुत तेज गति से लहराती है। तंत्र में इस लकड़ी के माध्यम से भूत-प्रेतों, मृतात्माओं से संपर्क किया जाता है। चितावर की लकड़ी पास रखने वाले व्यक्ति को सांप, बिच्छू व अन्य जानवर परेशान नहीं करते।
7. तैरते पत्थरः रामकथा का यह प्रसंग हर कोई जानता है कि लंका तक जाने का पुल नल-नील बंदरों ने बनाया था। नल-नील इस प्रकार के पत्थर लाए जो पानी में तैरते थे, डूबते नहीं थे। यह सब उनकी यांत्रिकी का ही प्रभाव था।
यांत्रिकी दो प्रकार की होती है- दृश्य और अदृश्य। दोनों ही यांत्रिकी का अपना-अपना अलग-अलग महत्व है। कुछ लोग तंत्र विद्या को भी इसी प्रकार की अदृश्य यांत्रिकी मानते हैं। वहीं भक्तों का मानना है कि तैरने वाले पत्थरों पर इष्ट देवता को स्थापित कर तंत्र साधना करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति शीघ्र होती है।
8. सियार सींगी: सियार को कोई सींग नहीं होता है। सियार (गीदड़) रात के समय जब जोर-जोर से ‘हुंआ-हुंआ’ करते हुए अपनी गर्दन आगे बढ़ाकर जमीन की ओर झुकता है तो उसकी गर्दन की एक विशेष हड्डी उभर आती है।
इसी समय शिकारी उसके शोर करने पर उसे मार देता है तथा तत्काल इस हड्डी विशेष को काट लेता है। इसे ही सियार सींगी कहा जाता है। इस हड्डी में सदैव जान बनी रहती है। यह जिसके पास रहती है उसे चालाक बनाती है। लेकिन, यह केवल सिंदूर में ही जीवित रहती है।
9. उल्लूः तंत्र शास्त्र में उल्लू का बड़ा महत्व है। उल्लू का संपूर्ण शरीर तंत्र में काम आता है। उल्लू को लक्ष्मी का वाहन और तंत्र में वशीकरण का प्रतीक माना गया है।

उल्लू को मारकर गांव या शहर के बाहर किसी ऊंचे पेड़ पर लटका दिया जाता है। जब यह पूर्णतः सूख जाता है तो उसका हर अंग निकाल लिया जाता है। फिर इन अंगों को तंत्र-मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करके इनसे नाना प्रकार के काम लिये जाते हैं। तांत्रिक उल्लू को वरदान मानते हैं और उसे सिद्ध करते हैं।
10. काली हल्दीः हल्दी आलू की तरह जमीन के अंदर पैदा की जाती है। फिर इसे खोदकर निकाल कर धूप में सुखाया जाता है। सूखने के पश्चात् इसका रंग पीला पड़ जाता है।

हल्दी हमारे भोजन में उपयोग में लाई जाती है। इसका रंग आम तौर पर पीला रहता है पर कभी-कभी यह काले रंग की भी पाई जाती है। ऐसी हल्दी प्रायः अमर कंटक (मंडला, मध्य प्रदेश) में मिलती है। काली हल्दी का प्रयोग तंत्र साधना में किया जाता है।
यह अर्पण के काम आती है। इसका प्रयोग ज्यादातर मशानिक क्रियाओं में होता है। इन वस्तुओं के अलावा कई अन्य प्रकार की वस्तुएं भी तंत्र में प्रयोग में लाई जाती हैं, जैसे नरमुंड, दक्षिणावर्ती शंख, श्वेतार्क गणेश, उपासनी के चावल, मीन, मुक्ता गुज्जाकल्प, वैदूर्यमणि, नागराज आदि।

दीपावली वशीकरण तंत्र मंत्र सिद्धि :

1) दीपावली पर वशीकरण / टोटके :-
कहा जाता है कि इस दिन किए जाने वाले वशीकरण प्रयोग के लिए एक नीला आसन, एक गज नीला कपड़ा, एक चौमुखी दीपक, मिट्टी की एक कड़वी, एक आसन, रूई की चार बत्ती, इलाइची ( छोटी ) के दाने, चार छोटे छुहारे, एक नीले रंग का रुमाल, चार लौंग, दियासलाई, सरसों का तेल गुलाब का इत्र की शीशी( छोटी ), गुलाब- फूल, लड्डू के टुकड़े, गेरू का टुकड़ा आदि लिया जाता है।
ये बताया जाता है तरीका:
इसके बाद सबसे पहले पूरब की ओर अपना मुंह कर एक नीले रंग के आसन पर बैठ जाएं। आप भी नीले रंग का वस्त्र पहने। अब दीपक में सरसों तेल डालकर उसे जला लें।
उसके बाद नीले रंग के कपड़े को बिछा दें और इसके चारों कोने पर लड्डू के टुकड़े, एक-एक लौंग, छुहारा और इलायची के दाने बांधे। इसके बाद पानी से भरे मिट्टी के पात्र में इत्र और गुलाब की पंखुड़ियों को डाल दें। अब अपने चारों तरफ लोहे की कांटी से एक घेरा या लकीर खींच ले और दिए गए मंत्र का जाप करें।
मंत्र है– ”ॐ अनुरागिनी मैथन प्रिये स्वाहा, शुक्लपक्षे जपे धावन्ताव दृश्यते जपेत् ”…40 दिनों तक लगातार इस क्रिया को दोहराएं।

कुल मिलाकर सवा लाख बार मंत्र का पाठ करना चाहिए। हर दिन मंत्र पाठ करने के बाद नदी में अपनी परछाई को देखें और प्रतिदिन नई सामग्री का प्रयोग करें। 40 दिन होने के बाद सारी सामग्री को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें
2) वहीं दिए गए मंत्र को लाल रंग की स्याही से किसी नगाड़े पर लिख लें। माना जाता है कि अब उसको बजाने से सारे कार्य बिना किसी बाधा के सम्पन्न हो जाते हैं।
द‍िवाली पर भैरों उपासना और जानें धन के लिए श्री यंत्र का उपाय:

दिवाली के अमावस्या वाली काली रात्रि तांत्रिकों के लिए एक सर्वश्रेष्ठ अवसर है। इसे जिंदगी का वह अमिट तांत्रिक पन्ना भी माना जाता है। वहीं ये भी मान्यता है कि तंत्र की देवी माता काली जिनके आशीर्वाद के बिना कोई भी तांत्रिक अनुष्ठान अधूरा है। वे ही मां काली इस दिन अपने तांत्रिक भक्तों की इस काली भयावह रात्रि में परीक्षा लेती हैं।
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एक तरफ संसार खुशियों संग दीपों के पर्व में आनंदित है तो वहीं तांत्रिक बिना अन्न जल ग्रहण किये कठिन तप और साधना से माता काली और तंत्र के और देवियों को अपनी कठिन साधना से प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं ताकि पूरे वर्ष उनकी साधना लोक कल्याण में काम आए। हालांक‍ि कुछ लोग इसका दुरुपयोग भी करते हैं। उच्चाटन, मारण ,सम्मोहन इत्यादि की साधना को स्वसुखाय प्रयोग करके वे केवल स्वकेन्द्रित होते हैं।
ज्‍योतिष बीडी श्रीवास्तव के अनुसार, इस दौरान बंगलामुखी साधना लोकहितकारी मानी गई है। यदि कोई मुकदमे से परेशान है, अनचाही बाधाएं प्रगति के मार्ग में आ रही हैं, कोई जाने अनजाने में पाप का फल मिल रहा हो या किसी का श्राप जीवन को बर्बाद कर रहा हो तो यह तांत्रिक सिद्धि बहुत काम आती है। अत्यंत सावधानी पूर्वक और नियम से ही यह साधना करनी होती है।
वहीं दुर्गासप्तशती के कई मंत्र भी आज की रात्रि बहुत आसानी से सिद्ध हो जाते हैं। श्री सूक्त के ऋग्वैदिक श्री सूक्तं के 16 मंत्रों को अमावस्या की रात्रि में सिद्ध किया जा सकता है।
मान्यता के अनुसार अमावस्या की रात्रि में भोज पत्र पर श्री यंत्र बनाकर स्वर्ण या चांदी की ताबीज में भरकर धारण करने से धन की प्राप्ति होती है। नदी के तट पर बंगलामुखी उपासना तेज काम करती है। साबर मंत्र भी जपे जाते हैं।

( चेतावनी: जानकारों का ये भी कहना है कि बिना सही ज्ञान या गुरु के निर्देशन में कोई भी तांत्रिक क्रिया नही करनी चाहिए अन्यथा उसका दुष्परिणाम भी भोगना पड़ता है। )
महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय भी इस रात्रि में बहुत तेज कार्य करते हैं। तंत्र में भैरो उपासना का एक अलग स्थान है। माना जाता है कि इस अमावस्या की काली रात्रि में भैरो पूजा को विधि विधान से करके कुछ बीज मंत्रो की सहायता से वो सिद्धि प्राप्त की जा सकती है, जो पूरे वर्ष कार्य करेगी जिससे राहु और केतु के किसी भी अनिष्ट का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
दिवाली पर कैसे करें उल्‍लू तंत्र की पूजा…
तंत्र-मंत्र की साधनाओं के लिए दिवाली की रात को फलदायी माना जाता है। इस दिन बाधाओं का खत्म करने और सुखी जीवन के लिए कई उपाय किए जाते हैं।
माना जाता है कि दिवाली पर उल्लू तंत्र के कुछ उपायों को आजमाकर आप भी अपने कार्यों में आ रही बाधाओं को आसानी से दूर कर सकते हैं।

दिवाली और अमावस्या…
हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या।

माना जाता है कि वर्ष के मान से उत्तरायण में और माह के मान से शुक्ल पक्ष में देव आत्माएं सक्रिय रहती हैं तो दक्षिणायन और कृष्ण पक्ष में दैत्य आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं।
जब दानवी आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं, तब मनुष्यों में भी दानवी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है इसीलिए उक्त दिनों के महत्वपूर्ण दिन में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है।
वहीं ये भी माना जाता है कि अमावस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए।

कहा जाता है कि प्रेत के शरीर की रचना में 25 प्रतिशत फिजिकल एटम और 75 प्रतिशत ईथरिक एटम होता है। इसी प्रकार पितृ शरीर के निर्माण में 25 प्रतिशत ईथरिक एटम और 75 प्रतिशत एस्ट्रल एटम होता है। अगर ईथरिक एटम सघन हो जाए तो प्रेतों का छायाचित्र लिया जा सकता है और इसी प्रकार यदि एस्ट्रल एटम सघन हो जाए तो पितरों का भी छायाचित्र लिया जा सकता है।
ज्योतिष में चन्द्र को मन का देवता माना गया है। अमावस्या के दिन चन्द्रमा दिखाई नहीं देता। इस दिन चन्द्रमा नहीं दिखाई देता तो ऐसे में हमारे शरीर में हलचल अधिक बढ़ जाती है। जो व्यक्ति नकारात्मक सोच वाला होता है उसे नकारात्मक शक्ति अपने प्रभाव में ले लेती है।

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