पैक मीठा ज्यादा चला
इस बार दिवाली पर खुले की बजाय पैकिंग वाली मिठाइयों का उठाव ज्यादा रहा। इसका कारण स्वास्थ्य की दृष्टि से लोगों को सचेत होना रहा। ग्राहकों की भावनाओं को देखते हुए ज्यादातर मिठाई कारोबारियों ने भी आर्डर पर ही माल तैयार करवाया था। मनोहर डेयरी के डायरेक्टर कुश हरवानी ने बताया कि वैसे तो 300 रुपए से लेकर 2200 रुपए किलो तक की मिठाइयां तैयार करवाई गई थीं, लेकिन खुली मिठाई की बनिस्वत पैकिंग वाली मिठाइयां ज्यादा चलीं।
घंटेवाला के मोहन शर्मा ने बताया कि हमेशा की तरह इस बार कम शक्कर वाली, मावे की मिठाइयों पर ग्राहकों का जोर ज्यादा था। इसके अलावा सूखे मेवे से बनने वाली और ज्यादा दिन तक चलने वाली मिठाई मांग में रही। सूखा मेवा मिठाई के साथ इस बार सूखा मेवा (ड्रायफ्रू ट) की मांग भी अच्छी रही। कारोबारियों ने बताया कि दीप पर्व पर काजू, बादाम, किसमिश, अंजीर, खोपरा गोला, इलायची, चारोली, अखरोट, पीस्ता, चरगुजा, छुआरा आदि की मांग बेहतर रही। कंपनियां सहित कई निजी प्रतिष्ठान उपहार में पैकिंग वाले ड्रायफ्रू ट देते हैं। भोपाल किराना व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष कुंदन भूरानी बताते हैं कि अब घरों में ही मिठाई बनाने और बनवाने का चलन बढ़ता जा रहा है। इससे सूखे मेवे की मांग घरों में भी बढ़ गई है। दिवाली पर उपहार में भी सूखे मेवे दिए जाने लगे हैं। कई कंपनियां सूखे मेवे की आकर्षक पैकिंग करके विक्रय कर रही है। महासंघ के पूर्व अध्यक्ष सुनील पंजाबी ने बताया कि सूखे मेवे में इस बार दिशावरी डिमांड कम थीं लेकिन शहरी मांग बेहतर रही।
पटाखों पर असर
सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध का असर पटाखा व्यवसाय पर देखने को मिला। राजधानी में दिवाली पर रिटेल में पटाखा विक्रेताओं की दुकानों पर कम आवाज वाले पटाखों की ही मांग देखी गई। पटाखा कारोबारी सुरेश साहू ने बताया कि इस बार ज्यादा आवाज वाले पटाखों की मांग कम रही। ज्यादातर छोटे साइज के पटाखे ग्राहकों ने खरीदे। उन्होंने बताया कि हर साल देव उठनी ग्यारस तक पटाखों की मांग रहती थी, लेकिन इस बार दिवाली पर ही कारोबार धीमा चला। थोक पटाखा विक्रेता एसोसिएशन के अध्यक्ष दौलतराम सबनानी ने बताया कि आचार संहिता और न्यायालय के निर्णय को देखते हुए पटाखा व्यवसाय कम ही चला।
बिक्री का कारोबारी अनुमान
पटाखे- 2 करोड़ रुपए
मिठाई- 4 करोड़ रुपए
सूखे मेवे- 5 करोड़ रुपए