पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि शनिदेव को लेकर लोगों के मन में कई भ्रांतियां भी हैं, जिन्हें उन्हें समझकर ही दूर किया जा सकता है। उनके अनुसार न्याय देवता होने के कारण अपकी गलतियों का दंड तो वे देंगे ही, लेकिन यदि आप धर्म मार्ग पर चलेंगे तो वे आप पर इतनी कृपा भी बरसाएंगे जिसके बारे में आप कल्पना भी नहीं कर सकते यानि दंड के साथ ही वे अच्छा कार्य करने पर इनाम भी देते हैं। इसके लिए बस धर्म मार्ग यानि अच्छे मार्ग पर चलते हुए छोटे-छोटे उपायों से भी उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।
शनिदेव का हिन्दुओं में अत्यधिक महत्व होने के चलते उनके जन्म वाले दिन को शनि जयंती यानी शनि जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। शनि ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनि का जन्म होने के कारण इस दिन शनि जंयती मनाई जाती है। इस वर्ष यह शनि जंयती 15 मई को मनाई जाएंगी। मान्यता है कि शनि की पूजा अर्चना से जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते है। वहीं शनि जयंती के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से रोग दूर होते है।
इस बार विशेष संयोग…
न्याय के देवता शनि की जयंती ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को पड़ती है। माना जाता है कि इस दिन शनिदेव की उपासना करने से शनि के सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। इस बार शनि जयंती 15 मई को है और इस बार शनि जयंती के दिन सर्वार्थसिद्धि योग है। इसके साथ ही वट्सावित्री अमावस्या और भौमवती अमावस्या का भी संयोग है।
न्याय के देवता शनि की जयंती ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को पड़ती है। माना जाता है कि इस दिन शनिदेव की उपासना करने से शनि के सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। इस बार शनि जयंती 15 मई को है और इस बार शनि जयंती के दिन सर्वार्थसिद्धि योग है। इसके साथ ही वट्सावित्री अमावस्या और भौमवती अमावस्या का भी संयोग है।
इनके लिए यह समय है खास…
पंडित शर्मा के अनुसार शनि जन्मोत्सव इस बार उन लोगों के लिए खास होगा जो शनि की साढ़ेसाती, शनि के ढैया या जन्मकुंडली में शनि की महादशा या शनि की खराब स्थिति के कारण पीड़ित चल रहे हैं। वे लोग शनि जयंती पर शनि को प्रसन्न करने के उपाय कर अपनी सभी परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं।
पंडित शर्मा के अनुसार शनि जन्मोत्सव इस बार उन लोगों के लिए खास होगा जो शनि की साढ़ेसाती, शनि के ढैया या जन्मकुंडली में शनि की महादशा या शनि की खराब स्थिति के कारण पीड़ित चल रहे हैं। वे लोग शनि जयंती पर शनि को प्रसन्न करने के उपाय कर अपनी सभी परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं।
शनि जयंती के दिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित देश में स्थापित विभिन्न शनि मंदिरों में भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। कई जगह इस दिन मंदिर को फूलों से सजाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन शनि महाराज की पूजा करने से विघ्न दूर होते है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस मान्यता को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। इन्हीं कथाओं के अनुसार पिता सूर्य और छाया की संतान शनि का जन्म कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हुआ था।
शनि का जन्म हुआ तो सर्वप्रथम शनि की दृष्टि अपने पिता सूर्य पर पड़ी तो कुष्ठ रोग हो गया। शनि का अपने पिता से हमेशा मतभेद रहा। यह भी मान्यता है कि शनि के प्रकोप के कारण ही भगवान राम को वनवास हुआ था व लंकापति रावण का संहार हुआ था। उनके कारण ही विक्रमादित्य जैसे राजा को कई कष्टों का सामना करना पड़ा। जबकि राजा हरिश्चंद्र को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी थी। कहा जाता है कि कलयुग में शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन दान करना चाहिए।
शनि जयंती पर करें उपाय…
पंडित शर्मा के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि के बाद शनि महाराज की पूजा करनी चाहिए। इस दिन सरसों के तेल में तिल डालकर पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक को जला कर रखना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। शनि के मंदिर में सफेद और काले ध्वजा लगाने का लाभ मिलता है। शनि महाराज की कृपा के लिए गाय की सेवा करनी चाहिए।
पंडित शर्मा के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि के बाद शनि महाराज की पूजा करनी चाहिए। इस दिन सरसों के तेल में तिल डालकर पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक को जला कर रखना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। शनि के मंदिर में सफेद और काले ध्वजा लगाने का लाभ मिलता है। शनि महाराज की कृपा के लिए गाय की सेवा करनी चाहिए।
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यह न करें…
इस दिन मांस मदिरा से बचना चाहिए। नाखूनों से जमीन खोदने से बचना चाहिए। कागज के छोटे-छोटे टुकड़े नहीं करने चाहिए।
यह न करें…
इस दिन मांस मदिरा से बचना चाहिए। नाखूनों से जमीन खोदने से बचना चाहिए। कागज के छोटे-छोटे टुकड़े नहीं करने चाहिए।
इस बार ऐसे करें शनि देव को प्रसन्न… -इस बार शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काला उड़द, काला तिल, स्टील-लोहे के बर्तन, श्रीफल, काले वस्त्र, लकड़ी की वस्तुएं, औषधि आदि का दान करें।
-किसी गरीब को भोजन कराने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
-अगर शनि की साढ़ेसाती हो तो किसी गरीब की दवाई का खर्चा उठाएं।
-इस दिन शनि के वैदिक तथा बीज मंत्र ऊं खां खीं खूं सः मंदाय स्वाहाः के 21 माला जाप करें। शनि मंदिर में शनिदेव का तेलाभिषेक पूजन करने से शुभफल की प्राप्ति होती है।
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ये छोटे-छोटे उपाय दिलाएंगे सभी कष्टों से मुक्ति
कभी-कभी व्यक्ति के जीवन में ऐसा भी समय आता है जब वह अपने को सर्वाधिक परेशान पाता है। कुंडली में शनि की साढ़ेसाती के वक्त भी व्यक्ति जीवन में इसी तरह के कठिनतम समय को भोगता है। साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति हर स्तर पर खुद को परेशान पाता है।
कोई काम नहीं बनता कई बार तो बनता काम बिगड़ जाता है। रुपयों की तंगी रहती है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ऐसे में यदि साढ़ेसाती कष्टकारी हो रही है तो व्यक्ति को शनि को शांत करने के उपाय करने चाहिए। हालांकि शनि के उपाय करने से पहले किसी ज्योतिष के जानकार से यह जरूर पता करा लें कि कुंडली में शनि की दशा, स्थान, भाव की स्थिति क्या है। पंडित शर्मा के अनुसार कुछ उपाय ऐसे भी हैं जो साढ़ेसाती में दिला सकते हैं राहत…
1. सुन्दरकाण्ड या हनुमान चालीसा का रोजाना पाठ करना चाहिए। 2. काले घोड़े के नाल की अंगूठी या नाव के कील की अंगूठी पहनना भी साढ़ेसाती से जारी कष्ट में राहत देता है।
3. शनिवार का व्रत और शनिवार को दान भी शनि साढ़ेसाती में शांति देता है। 4. शनि से जुड़ी वस्तुएं काली उड़द की दाल, तिल, लौह और काले कपड़े का दान करना चाहिए।
5. शनि शांति के लिए शनि दोष शांति यत्र भी लाभदायक साबित हो सकता है। 6. शनिवार को प्रात: काल पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करने से भी शनि पीड़ा कम होती है।
शनिदेव को ऐसे करें प्रसन्न…
कहा जाता है कि शनि अमावस्या को शनि भगवान से जुड़े उपाय करने से जीवन में खुशियां आती हैं। इस दिन का स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। यह शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती है।
कहा जाता है कि शनि अमावस्या को शनि भगवान से जुड़े उपाय करने से जीवन में खुशियां आती हैं। इस दिन का स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। यह शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती है।
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शनिदेव को हिन्दुओं में न्याय का देवता माना गया है। कहते हैं शनि भगवान कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। शनि देव अपने भोग काल में उन्हीं को नुकसान पहुंचाते हैं जिनके कर्म बुरे होते हैं। जिन जातकों के कर्म अच्छे होते हैं शनि भगवान उनके साथ अच्छा ही अच्छा करते हैं। शनि जयंती के दिन किए जाने वाले खास उपाय…
शनिदेव को हिन्दुओं में न्याय का देवता माना गया है। कहते हैं शनि भगवान कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। शनि देव अपने भोग काल में उन्हीं को नुकसान पहुंचाते हैं जिनके कर्म बुरे होते हैं। जिन जातकों के कर्म अच्छे होते हैं शनि भगवान उनके साथ अच्छा ही अच्छा करते हैं। शनि जयंती के दिन किए जाने वाले खास उपाय…
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शनि जयंती पर ये करें उपाय
– समाज के निचले तबकों के लोगों और आर्थिक रुप से कमजोर लोगों की मदद करने वालों से शनिदेव हमेशा प्रसन्न होते हैं और उनके अच्छे कर्म के लिए अच्छा फल देते हैं।
– इस दिन न तो ना तो नीलम पहनें और ना ही लोहे से बनी कोई चीज खरीदें या पहनें इससे शनि का बुरे प्रभाव बढ़ जाते हैं।
– इस दिन पीपल के पेड़ पर शनिदेव की मूर्ति के पास तेल चढ़ाएं या फिर उस तेल को गरीबों में दान करें।
शनि जयंती पर ये करें उपाय
– समाज के निचले तबकों के लोगों और आर्थिक रुप से कमजोर लोगों की मदद करने वालों से शनिदेव हमेशा प्रसन्न होते हैं और उनके अच्छे कर्म के लिए अच्छा फल देते हैं।
– इस दिन न तो ना तो नीलम पहनें और ना ही लोहे से बनी कोई चीज खरीदें या पहनें इससे शनि का बुरे प्रभाव बढ़ जाते हैं।
– इस दिन पीपल के पेड़ पर शनिदेव की मूर्ति के पास तेल चढ़ाएं या फिर उस तेल को गरीबों में दान करें।
– इस दिन को काला तिल और गुड़ चीटों को खिलाएं। इससे भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
– शनिवार के दिन चमड़े के जूते चप्पल दान करने से भी शनिदेव मनोकामना पूरी करते हैं।
– शनि जयंती के दिन पीपल के पेड में केसर, चंदन, चावल, फूल मिलाकर अर्पित करें और तिल का तेल का दीपक जलाएं।
– शनिवार के दिन चमड़े के जूते चप्पल दान करने से भी शनिदेव मनोकामना पूरी करते हैं।
– शनि जयंती के दिन पीपल के पेड में केसर, चंदन, चावल, फूल मिलाकर अर्पित करें और तिल का तेल का दीपक जलाएं।
शनि को प्रसन्न के लिए ये हैं पांच मंत्र… 1. सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः
मंदचार प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु में शनिः। 2. नीलांजन समाभासं रवि पुत्रां यमाग्रजं।
छाया मार्तण्डसंभूतं तं नामामि शनैश्चरम्।।प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
मंदचार प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु में शनिः। 2. नीलांजन समाभासं रवि पुत्रां यमाग्रजं।
छाया मार्तण्डसंभूतं तं नामामि शनैश्चरम्।।प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
3. ओम शं शनैश्चराय नमः। 4. ओम शं शनैश्चराय नमः।
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
कण्टकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा।।
शं शनैश्चराय नमः। 5. ओम शं शनैश्चराय नमः।
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु कृष्णौ रौद्रान्तको यमः।
सौरि शनैश्चरा मंद पिप्पलादेन संस्थितः।।
ओम शं शनैश्चराय नमः।
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
कण्टकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा।।
शं शनैश्चराय नमः। 5. ओम शं शनैश्चराय नमः।
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु कृष्णौ रौद्रान्तको यमः।
सौरि शनैश्चरा मंद पिप्पलादेन संस्थितः।।
ओम शं शनैश्चराय नमः।