scriptगांव में नहीं की नौकरी तो खतरे में डॉक्टरी | Do not have a job in the village, then the doctor in danger | Patrika News

गांव में नहीं की नौकरी तो खतरे में डॉक्टरी

locationभोपालPublished: Jun 25, 2019 08:46:58 pm

Submitted by:

anil chaudhary

सरकार बदलेगी बॉन्ड नियम : राज्यस्तरीय कमेटी करेगी फैसला- गांव में न रहने बॉन्ड की राशि भी जमा कर देते हैं डॉक्टर- गांव में सेवा को अब सर्विस रूल्स व रजिस्ट्रेशन से जोडऩे विचार

Doctors recruitment

District doctors will be on strike today

जितेन्द्र चौरसिया, भोपाल. कमलनाथ सरकार गांवों में डॉक्टरों को रोकने के लिए बॉन्ड के नियमों में बदलाव करेगी। इसके तहत गांवों में नौकरी न करने पर बॉन्ड का पैसा भरने के अलावा सर्विस व एमआईसी रजिस्ट्रेशन को जोड़ा जाएगा। इसमें निश्चित समय तक गांव में सेवाएं न देने पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों के पासआउट का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रावधान रखा जा सकता है। इसके लिए बॉन्ड नियमों का नया मसौदा तैयार किया जाएगा।
राज्य सरकार ने गांवों में चिकित्सकों की सेवा सुनिश्चित करने के लिए नई नीति तैयार करना तय किया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हाल ही में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधो को इसके लिए नीति तैयार करने के लिए कहा है। इसी के तहत मौजूदा बांड नियमों को रिफॉर्म किया जाएगा। अभी डॉक्टर गांव में नौकरी नहीं करते हैं और निर्धारित बांड की राशि जमा करके प्रायवेट अस्पतालों में नौकरी करने चले जाते हैं। सरकार की कोशिश है कि बॉन्ड राशि के अलावा सर्विस प्रावधानों और एमआईसी के रजिस्ट्रेशन को भी इससे जोडऩे पर विचार है। इसके लिए राज्यस्तरीय कमेटी इसी महीने बैठक कर सकती है। इसमें यह विचार किया जाएगा कि गांवों में डॉक्टर्स को रोकने के लिए कौन-कौन से प्रावधान किए जा सकते हैं। इसमें किस तरह सर्विस रूल्स व रजिस्ट्रेशन को इनकी गांव में सेवा से जोड़ा जाए यह भी शामिल रहेगा। गांव में सर्विस नहीं करने पर जब्ती और अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान रखा जा सकता है। इसके अलावा निर्धारित पीरियड तक गांव में सेवा न देने पर एमआईसी को रजिस्ट्रेशन रद्द करने की अनुशंसा का प्रावधान भी रखने का विचार है। इससे यदि डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन रद्द हो गया तो वह कहीं भी डॉक्टरी नहीं कर पाएगा।
– अभी तक हर जतन विफल
वर्तमान में तीन साल तक गांव में नौकरी करना अनिवार्य रहता है। ऐसा न करने पर बॉन्ड की राशि भरना होती है। पूर्व में दो बार पिछली सरकार बॉन्ड की राशि बढ़ा चुकी है, लेकिन इसका खास असर डॉक्टर्स पर नहीं पड़ा। औसत 800 डॉक्टर हर साल बॉन्ड भरते हैं, जिनमें से औसत 400 सीधे तौर पर ग्रामीण सेवा में नहीं जाकर बांड राशि जमा कर देते हैं। डॉक्टर गांवों में नहीं रहना चाहते हैं। इसी कारण सूबे में अभी भी 250 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सक विहीन है। इनमें से कुछ को पिछली सरकार ने निजी हाथों में देना तय कर लिया था।
– अभी ये हैं नियम
राज्य के सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेज से यूजी व पीजी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स से एडमिशन के समय चिकित्सा शिक्षा विभाग की स्टेट लेवल काउंसलिंग कमेटी रूरल बॉन्ड भरवाती है। बॉन्ड के तहत डिग्री पूरी होने के बाद डॉक्टर को ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में एक साल से पांच साल तक की नौकरी करनी होती है। ऐसा नहीं करने पर डॉक्टर्स को पांच लाख से लेकर 10 लाख रुपए तक जमा करने होते हैं। ग्रामीण इलाकों में ड्यूटी कंप्लीट करने या बॉन्ड की राशि जमा करने पर ही डीन संबंधित डॉक्टर के मूल शैक्षणिक दस्तावेज वापस करते हैं।
– अब ऐसा करने पर विचार
बॉन्ड राशि को डेढ़ गुना तक बढ़ाया जाए। साथ ही ग्रामीण इलाकों में ड्यूटी कम्पलीट न करने पर सर्विस रूल्स में जुर्माने व कार्रवाई का प्रावधान हो। इसमें निजी प्रैक्टिस के लिए निर्धारित समयावधि तक पाबंदी सहित अन्य कार्रवाई हो सकती है। इसके अलावा 50 फीसदी से कम ग्रामीण सेवा करने पर सीधे एमआईसी को रजिस्ट्रेशन रद्द करने की अनुशंसा का विचार है। इसमें अलग-अलग श्रेणी रखी जा सकती है। विशेष प्रकरणों के लिए छूट का प्रावधान भी रखना होगा।
गांवों में डॉक्टरों की कमी को दूर करना सरकार की प्राथमिकता पर है। इसके लिए नई नीति पर विचार हो रहा है। गांवों में डॉक्टर को रोकने के लिए सख्त नियम तैयार किए जाएंगे। राज्यस्तरीय कमेटी इस पर विचार करके निर्णय करेगी।
– विजयलक्ष्मी साधो, मंत्री, चिकित्सा शिक्षा
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