राज्य के सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेज से यूजी व पीजी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स से एडमिशन के समय चिकित्सा शिक्षा विभाग की स्टेट लेवल काउंसलिंग कमेटी रूरल बॉन्ड भरवाती है। बॉन्ड के तहत डिग्री पूरी होने के बाद डॉक्टर को ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में एक साल से पांच साल तक की नौकरी करनी होती है। ऐसा नहीं करने पर डॉक्टर्स को पांच लाख से लेकर 10 लाख रुपए तक जमा करने होते हैं। ग्रामीण इलाकों में ड्यूटी कंप्लीट करने या बॉन्ड की राशि जमा करने पर ही डीन संबंधित डॉक्टर के मूल शैक्षणिक दस्तावेज वापस करते हैं।
– अब ऐसा करने पर विचार
बॉन्ड राशि को डेढ़ गुना तक बढ़ाया जाए। साथ ही ग्रामीण इलाकों में ड्यूटी कम्पलीट न करने पर सर्विस रूल्स में जुर्माने व कार्रवाई का प्रावधान हो। इसमें निजी प्रैक्टिस के लिए निर्धारित समयावधि तक पाबंदी सहित अन्य कार्रवाई हो सकती है। इसके अलावा 50 फीसदी से कम ग्रामीण सेवा करने पर सीधे एमआईसी को रजिस्ट्रेशन रद्द करने की अनुशंसा का विचार है। इसमें अलग-अलग श्रेणी रखी जा सकती है। विशेष प्रकरणों के लिए छूट का प्रावधान भी रखना होगा।
– विजयलक्ष्मी साधो, मंत्री, चिकित्सा शिक्षा