पहले बेड़े में मंगाई गई छह कारों में से चार का उपयोग निगम के अधिकारी कर रहे हैं। हालात यह है कि नई सरकार गठन के बाद भी इन कारों की अभी तक कोई मांग नहीं आई है। ई-कारों के उपयोग को बढ़ावा नहीं मिलने के चलते ही निगम ने अब तक इन कारों का अगला बेड़ा मंगाने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
ई-कार में सरकार चलाने का था दावा
नवीन और नवकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ईईएसएल से छह कारें जून में प्रदेश में आई थीं। 12-12 लाख की कारों की कीमत इसी मॉडल के पेट्रोल वर्जन से लगभग डेढ़ गुना अधिक थी। दावा किया गया कि मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और पीएस तक इन्हीं कारों से चलेंगे। लेकिन सीएम की सिक्योरिटी ने इस कार का उपयोग करने से इंकार कर दिया वहीं अन्य मंत्रियों ने भी इन कारों में चलने में रुचि नहीं दिखाई।
यह कर रहे उपयोग
सीएस बीपी सिंह, एसीएस राधेश्याम जुलानिया, ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष बृजेन्द्र सिंह सिसोदिया, निगम के एमडी मनु श्रीवास्तव और निगम के ही चीफ इंजीनियर ने ई-कारों का उपयोग किया जबकि एक कार, एनर्जी कंजरवेशन में डेमो के लिए रखी गई। सिसोदिया के अध्यक्ष पद से हटने के बाद उनकी कार फिलहाल निगम के पास है।
ई-कारों का उपयोग प्रदेश और निगम के वरिष्ठ अधिकारी कर रहे हैं। कारों का उपयोग बढ़ाने का निर्णय इनके उपयोग और केन्द्र से उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा।
– ओपी शर्मा, पीआरओ, ऊर्जा विकास निगम